पुरी (ओडिशा): ओडिशा के पुरी जगन्नाथ धाम में विराजमान जगन्नाथ महाप्रभु की लीला अनुपम व अनूठी है. भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन के अनासरा प्रवास के दौरान पुरी जगन्नाथ मंदिर में कई अनुष्ठान किए जाते हैं. इसीक्रम में अनसर पंचमी के अवसर पर गुरुवार को महाप्रभु जगन्नाथ और उनके भाई-बहन भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को 'फुलुरी' तेल उपचार दिया जाएगा. इसे फुलुरी तेल सेवा के नाम से जाना जाता है.
बता दें कि फुलुरी तेल (एक विशेष हर्बल तेल) उपचार की यह सदियों पुरानी प्रथा पुरी के श्रीमंदिर में देवताओं के अनासार प्रवास के दौरान अनुष्ठान का हिस्सा है. ऐसा कहा जाता है कि यह 1000 से अधिक साल से गुप्त अनुष्ठान का हिस्सा है.
इस अनुष्ठान का महत्व
पवित्र त्रिदेवों की 'फुलुरी तेला सेवा' लोकप्रिय मान्यता के अनुसार, यह विशेष अनुष्ठान भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों को 'स्नान यात्रा' के दौरान अत्यधिक स्नान के कारण हुए बुखार से मुक्ति दिलाने के लिए किया जाता है. स्नान पूर्णिमा के दिन 108 घड़ों के हर्बल और सुगंधित जल से स्नान करने के बाद पवित्र त्रिदेव बीमार पड़ जाते हैं. इसलिए, विशेष हर्बल तेल उपचार से त्रिदेवों को प्रसिद्ध वार्षिक प्रवास ‘रथ यात्रा’ के लिए तैयार होने में मदद मिलेगी. फुलुरी तेल को पवित्र त्रिदेवों पर उनके शीघ्र स्वस्थ होने के लिए उनके शीतनिद्रा के दौरान लगाया जाएगा.
फुलुरी तेल कैसे तैयार किया जाता है?
परंपरा के अनुसार, हर साल बड़ा ओडिया मठ द्वारा कई सुगंधित फूलों जैसे केतकी, मल्लि, बौला और चंपा, जड़ों, चंदन पाउडर, कपूर, चावल, अनाज और जड़ी-बूटियों के साथ तेल को मिलाकर ‘फुलुरी’ तेल तैयार किया जाता है. फुलुरी तेल बनाने के लिए शुद्ध तिल का तेल, बेना की जड़ें, चमेली, जुई, मल्ली जैसे सुगंधित फूल और चंदन पाउडर उन 24 सामग्रियों में से हैं जिनका उपयोग किया जाता है. हर साल रथ यात्रा के पांचवें दिन 'हेरा पंचमी' के अवसर पर तैयारी शुरू होती है और लगभग एक साल तक जमीन के नीचे संग्रहीत होने के बाद मंदिर के अधिकारियों को उपयोग के लिए सौंप दिया जाता है. देवता, जो वर्तमान में मंदिर में 15 दिनों के ‘अनासरा’ प्रवास पर हैं, रथ यात्रा से एक दिन पहले ‘नव जौबाना दर्शन’ के अवसर पर फुलुरी तेल उपचार के बाद अपनी बीमारी से उबर जाएंगे.
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