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जिम कॉर्बेट की 149 जयंती आज, जानें कैसे एक बड़ा शिकारी बना महान वन्य जीव संरक्षक - Jim Corbett Jayanti

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 25, 2024, 9:24 AM IST

Updated : Jul 25, 2024, 12:15 PM IST

Jim Corbetts birth anniversary is being celebrated in Ramnagar आज एक ऐसे महान शख्स की जयंती है जो बड़ा शिकारी था. जिसने 33 आदमखोर बाघ और गुलदार मारे. बाद में इस महान शिकारी का ऐसा हृदय परिवर्तन हुआ कि वो जाना माना वन्य जीव संरक्षक बन गया और उसके नाम पर एक नेशनल पार्क का नाम पड़ गया. हम बात कर रहे हैं जिम कॉर्बेट की. रामनगर में आज जिम कॉर्बेट की जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है.

Jim Corbetts birth anniversary
जिम कॉर्बेट की जयंती (Photo- ETV Bharat)
जिम कॉर्बेट की जयंती (Video- ETV Bharat)

रामनगर: विश्व विख्यात एडवर्ड जेम्स जिम कॉर्बेट ने उत्तराखंड के लोगों को बचाने के लिए 33 नरभक्षी जानवरों को मार डाला. बाद में वन्यजीव संरक्षक बन गए. उस महान शिकारी की आज 149वीं जयंती है. उनकी जयंती को कॉर्बेट अधिकारी, कॉर्बेट से जुड़े कारोबारी, व्यवसायी और छोटी हल्द्वानी के लोग धूमधाम से बना रहे हैं.

Jim Corbetts birth anniversary
आज जिम कॉर्बेट की जयंती है (Photo- ETV Bharat)

आज है जिम कॉर्बेट की जयंती: शिकारी से पर्यावरण संरक्षणवादी बने जिम कॉर्बेट की 149वीं जयंती आज गुरुवार को जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में मनाई जा रही है. कॉर्बेट ग्राम विकास सामिति के सचिव ने कहा कि "जिम कॉर्बेट ने इस पार्क के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया था. स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के साथ-साथ यह पार्क पर्यटन क्षेत्र में राजस्व उत्पन्न करने का भी काम करता है." जिम कॉर्बेट ने 31 वर्ष की आयु तक 19 आदमखोर बाघों और 14 आदमखोर तेंदुओं को मार गिराया था. उन्होंने बताया कि उन्होंने छह पुस्तकें भी लिखीं, जो बाद में बहुत लोकप्रिय हुईं.

Jim Corbetts birth anniversary
जिम कॉर्बेट महान शिकारी और वन्य जीव संरक्षक थे (Photo- ETV Bharat)

शिकारी के वन्य जीव संरक्षक बने थे जिम कॉर्बेट: 25 जुलाई 1875 को नैनीताल में जन्मे वे एक प्रसिद्ध शिकारी के रूप में जाने जाते थे. बाद में वे एक संरक्षणवादी बन गए और भारत में कई राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों की स्थापना की. एडवर्ड जेम्स जिम कॉर्बेट को तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने आदमखोर बाघों को मारने के लिए बुलाया था. उस समय गढ़वाल और कुमाऊं में आदमखोर बाघों ने आतंक मचा रखा था. 1907 में चंपावत में एक आदमखोर बाघ ने 436 लोगों को मार डाला था. जिम कॉर्बेट ने ही लोगों को आदमखोर बाघों के आतंक से बचाया था. 1910 में मुक्तेश्वर में उन्होंने जो पहला तेंदुआ मारा था, उसने 400 लोगों को मार डाला था. 31 वर्ष की आयु तक उन्होंने 33 नरभक्षी बाघों और तेंदुओं को मार डाला था.

छोटी हल्द्वानी में बसाया था गांव: जिम कॉर्बेट ने साल 1915 में स्थानीय व्यक्ति से कालाढूंगी क्षेत्र के छोटी हल्द्वानी में जमीन खरीदी. सर्दियों में यहां रहने के लिए जिम कॉर्बेट ने एक घर बना लिया और 1922 में यहां रहना शुरू कर दिया. गर्मियों में वो नैनीताल में गर्मी हाउस में रहने के लिए चले जाया करते थे. उन्होंने अपने सहयोगियों के लिए अपनी 221 एकड़ जमीन को खेती और रहने के लिए दे दिया. जिसे आज कॉर्बेट का गांव छोटी हल्द्वानी के नाम से जाना जाता है. उस दौर में छोटी हल्द्वानी में चौपाल लगा करती थी.

Jim Corbetts birth anniversary
जिम कॉर्बेट की जयंती धूमधाम से मनायी जा रही है (Photo- ETV Bharat)

ऐसी बनी धरोहर: आज भी देश विदेश से सैलानी कॉर्बेट के गांव छोटी हल्द्वानी घूमने के लिए आते हैं. साल 1947 में जिम कॉर्बेट देश छोड़कर विदेश चले गए और कालाढूंगी स्थित घर को अपने मित्र चिरंजीलाल साहब को दे दिया. साल 1965 में चौधरी चरण सिंह वन मंत्री बने तो उन्होंने इस ऐतिहासिक बंगले को आने वाली नस्लों को जिम कॉर्बेट के महान व्यक्तित्व को बताने के लिए चिरंजीलाल साहब से ₹20 हजार देकर खरीद लिया और एक धरोहर के रूप में वन विभाग के सुपुर्द कर दिया. तब से लेकर आज तक यह बंगला वन विभाग के पास है. वन विभाग ने जिम कॉर्बेट की अमूल्य धरोहर को आज एक संग्रहालय में तब्दील कर दिया है. हजारों की तादाद में देश-विदेश से सैलानी जिम कॉर्बेट से जुड़ी यादों को देखने के लिए आते हैं. जिम कॉर्बेट का नाम महान शिकारियों में जाना जाने लगा. कई आदमखोर बाघों का शिकार करने के बाद जिम के मन में वन्यजीवों के प्रति प्रेम बढ़ गया.

Jim Corbetts birth anniversary
जिम कॉर्बेट ने आदमखोर बाघों को मारा तो बाद में संरक्षण किया (Photo- ETV Bharat)

हृदय परिवर्तन होने के कारण जिम कॉर्बेट ने बाघों के संरक्षण के लिए काम करना शुरू कर दिया. फिर उसके बाद जिम कॉर्बेट ने कभी बाघ या अन्य जानवरों को मारने के लिए बंदूक नहीं उठाई. इसके अलावा उन्होंने सामाजिक कार्यों से लोगों की मदद की. जिस कारण उनके सम्मान में भारत सरकार ने साल 1955 में राष्ट्रीय उद्यान रामगंगा नेशनल पार्क का नाम बदलकर कॉर्बेट नेशनल पार्क रख दिया. यह आज भी विश्व में बाघों की राजधानी के रूप में जाना जाता है. इसे देश विदेश से देखने के लिए सालभर लाखों की तादाद में पर्यटक रामनगर पहुंचते हैं.

महान शिकारी थे जिम कॉर्बेट: जिम कॉर्बेट एक असाधारण और बेहद साहसिक नाम है. उनकी वीरता के कारनामे हैरत में डालने वाले हैं. जिम कॉर्बेट एक महान शिकारी थे. उनको तत्कालीन अंग्रेज सरकार आदमखोर बाघ को मारने के लिए बुलाती थी. गढ़वाल और कुमाऊं में उस वक्त आदमखोर बाघों और गुलदारों ने आतंक मचा रखा था. उनके खात्मे का श्रेय जिम कॉर्बेट को जाता है.

Jim Corbetts birth anniversary
कॉर्बेट के नाम से रामनगर में रोजगार भी चलता है (Photo- ETV Bharat)

33 आदमखोर बाघ और गुलदार मारे: वन्यजीव प्रेमी संजय छिम्वाल कहते है कि साल 1907 में चंपावत में एक आदमखोर 436 लोगों को अपना निवाला बना चुका था. तब जिम कॉर्बेट ने लोगों को आदमखोर के आतंक से मुक्त कराया था. जिम ने 1910 में मुक्तेश्वर में जिस पहले तेंदुए को मारा था, उसने 400 लोगों को मौत के घाट उतारा था. जबकि दूसरे तेंदुए ने 125 लोगों को मौत के घाट उतारा था, उसे जिम ने 1926 में रुद्रप्रयाग में मारा था. जिम कॉर्बेट ने अपनी जान की परवाह न करते हुए एक के बाद एक सभी आदमखोरों को मौत की नींद सुला दिया था. कहा जाता है कि जिम कॉर्बेट ने 31 साल में 19 आदमखोर बाघ और 14 आदमखोर तेंदुओं को ढेर किया था. इस तरह उन्होंने कुल 33 आदमखोर बाघ और तेंदुओं को ढेर कर आम जन को राहत दिलाई थी.

एक शिकारी जिससे नाम से चलता है रोजगार: बता दें कि विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क देश-विदेश में बाघों के घनत्व के साथ ही अन्य वन्यजीवों के लिए चर्चित है. एडवर्ड जेम्स कॉर्बेट को इस दुनिया से गए आज करीब 68 साल हो गए हैं. आज भी उनके नाम पर रामनगर व आसपास के क्षेत्रों में कई प्रतिष्ठान, रिजॉर्ट और यहां तक की सैलून की दुकानें भी चल रही हैं. आज भी व्यवसाय करने वाले कहते हैं कि जिम कॉर्बेट पार्क रामनगर में अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी हैं. इसलिए आज भी वे जिंदा हैं.

कॉर्बेट के नाम पर प्रतिष्ठान: एडवर्ड जेम्स कॉर्बेट के नाम से रखे गए पार्क से जोड़कर सैकड़ों लोग पर्यटन से अपने व अपने परिवार की आजीविका चला रहे हैं. इसमें ऐसे भी लोग हैं जो कॉर्बेट के नाम के सहारे अपनी दुकान चला रहे हैं. कॉर्बेट का नाम इतना प्रसिद्ध हो चला है कि कई लोगों ने अपने छोटे-बड़े प्रतिष्ठानों के नाम कॉर्बेट के नाम से ही रखे हैं. यहां तक कि पर्यटकों की बुकिंग करने वाले प्राइवेट लोगों ने भी अपनी साइटों के नाम कॉर्बेट के नाम पर रखे हैं.

जिम कॉर्बेट के जन्मदिन पर कार्यक्रम: जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के पार्क वार्डन अमित ग्वासाकोटी ने बताया कि पूरे दिन कई कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है. उन्होंने बताया कि इस अवसर पर पौधारोपण अभियान भी चलाया गया. उन्होंने बताया, "पार्क की स्थापना 1936 में हुई थी और इसका मूल नाम हैली नेशनल पार्क (तत्कालीन यूनाइटेड प्रोविंस के गवर्नर सर मैल्कम हैली के नाम पर) था."
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जिम कॉर्बेट की जयंती (Video- ETV Bharat)

रामनगर: विश्व विख्यात एडवर्ड जेम्स जिम कॉर्बेट ने उत्तराखंड के लोगों को बचाने के लिए 33 नरभक्षी जानवरों को मार डाला. बाद में वन्यजीव संरक्षक बन गए. उस महान शिकारी की आज 149वीं जयंती है. उनकी जयंती को कॉर्बेट अधिकारी, कॉर्बेट से जुड़े कारोबारी, व्यवसायी और छोटी हल्द्वानी के लोग धूमधाम से बना रहे हैं.

Jim Corbetts birth anniversary
आज जिम कॉर्बेट की जयंती है (Photo- ETV Bharat)

आज है जिम कॉर्बेट की जयंती: शिकारी से पर्यावरण संरक्षणवादी बने जिम कॉर्बेट की 149वीं जयंती आज गुरुवार को जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में मनाई जा रही है. कॉर्बेट ग्राम विकास सामिति के सचिव ने कहा कि "जिम कॉर्बेट ने इस पार्क के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया था. स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के साथ-साथ यह पार्क पर्यटन क्षेत्र में राजस्व उत्पन्न करने का भी काम करता है." जिम कॉर्बेट ने 31 वर्ष की आयु तक 19 आदमखोर बाघों और 14 आदमखोर तेंदुओं को मार गिराया था. उन्होंने बताया कि उन्होंने छह पुस्तकें भी लिखीं, जो बाद में बहुत लोकप्रिय हुईं.

Jim Corbetts birth anniversary
जिम कॉर्बेट महान शिकारी और वन्य जीव संरक्षक थे (Photo- ETV Bharat)

शिकारी के वन्य जीव संरक्षक बने थे जिम कॉर्बेट: 25 जुलाई 1875 को नैनीताल में जन्मे वे एक प्रसिद्ध शिकारी के रूप में जाने जाते थे. बाद में वे एक संरक्षणवादी बन गए और भारत में कई राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों की स्थापना की. एडवर्ड जेम्स जिम कॉर्बेट को तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने आदमखोर बाघों को मारने के लिए बुलाया था. उस समय गढ़वाल और कुमाऊं में आदमखोर बाघों ने आतंक मचा रखा था. 1907 में चंपावत में एक आदमखोर बाघ ने 436 लोगों को मार डाला था. जिम कॉर्बेट ने ही लोगों को आदमखोर बाघों के आतंक से बचाया था. 1910 में मुक्तेश्वर में उन्होंने जो पहला तेंदुआ मारा था, उसने 400 लोगों को मार डाला था. 31 वर्ष की आयु तक उन्होंने 33 नरभक्षी बाघों और तेंदुओं को मार डाला था.

छोटी हल्द्वानी में बसाया था गांव: जिम कॉर्बेट ने साल 1915 में स्थानीय व्यक्ति से कालाढूंगी क्षेत्र के छोटी हल्द्वानी में जमीन खरीदी. सर्दियों में यहां रहने के लिए जिम कॉर्बेट ने एक घर बना लिया और 1922 में यहां रहना शुरू कर दिया. गर्मियों में वो नैनीताल में गर्मी हाउस में रहने के लिए चले जाया करते थे. उन्होंने अपने सहयोगियों के लिए अपनी 221 एकड़ जमीन को खेती और रहने के लिए दे दिया. जिसे आज कॉर्बेट का गांव छोटी हल्द्वानी के नाम से जाना जाता है. उस दौर में छोटी हल्द्वानी में चौपाल लगा करती थी.

Jim Corbetts birth anniversary
जिम कॉर्बेट की जयंती धूमधाम से मनायी जा रही है (Photo- ETV Bharat)

ऐसी बनी धरोहर: आज भी देश विदेश से सैलानी कॉर्बेट के गांव छोटी हल्द्वानी घूमने के लिए आते हैं. साल 1947 में जिम कॉर्बेट देश छोड़कर विदेश चले गए और कालाढूंगी स्थित घर को अपने मित्र चिरंजीलाल साहब को दे दिया. साल 1965 में चौधरी चरण सिंह वन मंत्री बने तो उन्होंने इस ऐतिहासिक बंगले को आने वाली नस्लों को जिम कॉर्बेट के महान व्यक्तित्व को बताने के लिए चिरंजीलाल साहब से ₹20 हजार देकर खरीद लिया और एक धरोहर के रूप में वन विभाग के सुपुर्द कर दिया. तब से लेकर आज तक यह बंगला वन विभाग के पास है. वन विभाग ने जिम कॉर्बेट की अमूल्य धरोहर को आज एक संग्रहालय में तब्दील कर दिया है. हजारों की तादाद में देश-विदेश से सैलानी जिम कॉर्बेट से जुड़ी यादों को देखने के लिए आते हैं. जिम कॉर्बेट का नाम महान शिकारियों में जाना जाने लगा. कई आदमखोर बाघों का शिकार करने के बाद जिम के मन में वन्यजीवों के प्रति प्रेम बढ़ गया.

Jim Corbetts birth anniversary
जिम कॉर्बेट ने आदमखोर बाघों को मारा तो बाद में संरक्षण किया (Photo- ETV Bharat)

हृदय परिवर्तन होने के कारण जिम कॉर्बेट ने बाघों के संरक्षण के लिए काम करना शुरू कर दिया. फिर उसके बाद जिम कॉर्बेट ने कभी बाघ या अन्य जानवरों को मारने के लिए बंदूक नहीं उठाई. इसके अलावा उन्होंने सामाजिक कार्यों से लोगों की मदद की. जिस कारण उनके सम्मान में भारत सरकार ने साल 1955 में राष्ट्रीय उद्यान रामगंगा नेशनल पार्क का नाम बदलकर कॉर्बेट नेशनल पार्क रख दिया. यह आज भी विश्व में बाघों की राजधानी के रूप में जाना जाता है. इसे देश विदेश से देखने के लिए सालभर लाखों की तादाद में पर्यटक रामनगर पहुंचते हैं.

महान शिकारी थे जिम कॉर्बेट: जिम कॉर्बेट एक असाधारण और बेहद साहसिक नाम है. उनकी वीरता के कारनामे हैरत में डालने वाले हैं. जिम कॉर्बेट एक महान शिकारी थे. उनको तत्कालीन अंग्रेज सरकार आदमखोर बाघ को मारने के लिए बुलाती थी. गढ़वाल और कुमाऊं में उस वक्त आदमखोर बाघों और गुलदारों ने आतंक मचा रखा था. उनके खात्मे का श्रेय जिम कॉर्बेट को जाता है.

Jim Corbetts birth anniversary
कॉर्बेट के नाम से रामनगर में रोजगार भी चलता है (Photo- ETV Bharat)

33 आदमखोर बाघ और गुलदार मारे: वन्यजीव प्रेमी संजय छिम्वाल कहते है कि साल 1907 में चंपावत में एक आदमखोर 436 लोगों को अपना निवाला बना चुका था. तब जिम कॉर्बेट ने लोगों को आदमखोर के आतंक से मुक्त कराया था. जिम ने 1910 में मुक्तेश्वर में जिस पहले तेंदुए को मारा था, उसने 400 लोगों को मौत के घाट उतारा था. जबकि दूसरे तेंदुए ने 125 लोगों को मौत के घाट उतारा था, उसे जिम ने 1926 में रुद्रप्रयाग में मारा था. जिम कॉर्बेट ने अपनी जान की परवाह न करते हुए एक के बाद एक सभी आदमखोरों को मौत की नींद सुला दिया था. कहा जाता है कि जिम कॉर्बेट ने 31 साल में 19 आदमखोर बाघ और 14 आदमखोर तेंदुओं को ढेर किया था. इस तरह उन्होंने कुल 33 आदमखोर बाघ और तेंदुओं को ढेर कर आम जन को राहत दिलाई थी.

एक शिकारी जिससे नाम से चलता है रोजगार: बता दें कि विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क देश-विदेश में बाघों के घनत्व के साथ ही अन्य वन्यजीवों के लिए चर्चित है. एडवर्ड जेम्स कॉर्बेट को इस दुनिया से गए आज करीब 68 साल हो गए हैं. आज भी उनके नाम पर रामनगर व आसपास के क्षेत्रों में कई प्रतिष्ठान, रिजॉर्ट और यहां तक की सैलून की दुकानें भी चल रही हैं. आज भी व्यवसाय करने वाले कहते हैं कि जिम कॉर्बेट पार्क रामनगर में अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी हैं. इसलिए आज भी वे जिंदा हैं.

कॉर्बेट के नाम पर प्रतिष्ठान: एडवर्ड जेम्स कॉर्बेट के नाम से रखे गए पार्क से जोड़कर सैकड़ों लोग पर्यटन से अपने व अपने परिवार की आजीविका चला रहे हैं. इसमें ऐसे भी लोग हैं जो कॉर्बेट के नाम के सहारे अपनी दुकान चला रहे हैं. कॉर्बेट का नाम इतना प्रसिद्ध हो चला है कि कई लोगों ने अपने छोटे-बड़े प्रतिष्ठानों के नाम कॉर्बेट के नाम से ही रखे हैं. यहां तक कि पर्यटकों की बुकिंग करने वाले प्राइवेट लोगों ने भी अपनी साइटों के नाम कॉर्बेट के नाम पर रखे हैं.

जिम कॉर्बेट के जन्मदिन पर कार्यक्रम: जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के पार्क वार्डन अमित ग्वासाकोटी ने बताया कि पूरे दिन कई कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है. उन्होंने बताया कि इस अवसर पर पौधारोपण अभियान भी चलाया गया. उन्होंने बताया, "पार्क की स्थापना 1936 में हुई थी और इसका मूल नाम हैली नेशनल पार्क (तत्कालीन यूनाइटेड प्रोविंस के गवर्नर सर मैल्कम हैली के नाम पर) था."
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Last Updated : Jul 25, 2024, 12:15 PM IST
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