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राज्य पुष्प ब्रह्मकमल पर मंडरा सकता है 'खतरा', समय से पहले दिए ये संकेत, पर्यावरणविद चितिंत - Brahma Kamal blooming - BRAHMA KAMAL BLOOMING

मानसून सीजन में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में काफी तादाद में ब्रह्मकमल के फूल खिले हुए हैं. लेकिन इस बार ब्रह्मकमल समय से पहले खिलने लगा है. अमूमन ब्रह्मकमल अगस्त महीने में खिलते हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन के चलते ये पुष्प जुलाई माह में ही खिलने लगा है. पर्यावरणविद् अनिल जोशी ने इसे ग्लोबल वार्मिंग का असर बताया है.

Uttarakhand state flower Brahma Kamal
उत्तराखंड राज्य पुष्प ब्रह्मकमल (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 15, 2024, 3:51 PM IST

Updated : Jul 15, 2024, 7:45 PM IST

चमोली (उत्तराखंड): गढ़वाल मंडल के उच्च हिमालयी लोकपाल घाटी में मौजूद दंडी पुष्करणी तीर्थ, हेमकुंड साहिब में दिव्य ब्रह्मकमल के खिलने की पहली शानदार तस्वीर सामने आईं हैं. हिंदू सिख धार्मिक आस्था का संगम लोकपाल हेमकुंड साहिब के पवित्र हिम सरोवर के आसपास के क्षेत्रों में इस बार मानसून की पहली दस्तक व जुलाई माह के पहले सप्ताह में ब्रह्मकमल खिलने लगा है. जिसे अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है.

Brahma Kamal bloomed in high Himalayan region
उच्च हिमालयी क्षेत्र में खिले ब्रह्मकमल (फोटो-ईटीवी भारत)

समय से पहले खिलने लगा ब्रह्मकमल: जानकारों की मानें तो अक्सर लोकपाल घाटी में यह दुर्लभ ब्रह्मकमल पुष्प जुलाई के अंतिम सप्ताह में खिला हुआ नजर आता है. यही नहीं हेमकुंड साहिब पैदल मार्ग पर अटला कोटी से ऊपर बड़ी संख्या में क्यारियों में ये ब्रह्मकमल फूल खिले नजर आते हैं. लेकिन इस बार मानसून की पहली बरसात में ही हेमकुंड साहिब क्षेत्र में समय से पहले राज्य पुष्प ब्रह्मकमल के खिलने से प्रकृति प्रेमियों और वनस्पति वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है.

Brahmakamal is considered flower of gods
ब्रह्मकमल को माना जाता है देवताओं का पुष्प (फोटो-ईटीवी भारत)

जलवायु परिवर्तन का दिख रहा असर: गौर हो कि कमल पुष्प समुद्र तल से करीब 3000 मीटर से 4800 मीटर तक की ऊंचाई पर अपनी जादुई औषधि युक्त महक बिखेरता है. इस दुर्लभ ब्रह्मकमल पुष्प की क्यारियां लोकपाल घाटी में हेमकुंड साहिब आस्था पथ पर अटलाकोटी से ऊपर हेमकुंड साहिब क्षेत्र में काफी तादाद में खिली नजर आती हैं. जो सीजन में खासकर जुलाई के अंत से पूरे अगस्त माह तक यहां खिले नजर आते हैं. लेकिन इस सीजन में जुलाई माह के पहले सप्ताह में ही हेमकुंड साहिब में राज्य पुष्प ब्रह्मकमल अपनी चमक बिखेरते नजर आ रहे हैं, वहीं समय से पहले इन पुष्पों का खिलना प्री मैच्यौरिंग कहलाता है.

Brahmakamal started blooming before time
समय से पहले खिलने लगा ब्रह्मकमल (फोटो-ईटीवी भारत)

माना जाता है देवताओं का पुष्प: जो जलवायु परिवर्तन के कारण व वातावरण शिफ्ट होना भी एक कारण माना जा सकता है. तय समय चक्र से पहले इन उच्च हिमालयी दुर्लभ पुष्पों के खिलने की घटना में हो रहे जलवायु शिफ्टिंग इन दुर्लभ पुष्पों की प्रजातियों के लिए अच्छे संकेत नहीं मानें जा रहे हैं.गढ़वाल हिमालया में सबसे अधिक ब्रह्मकमल पुष्प अगस्त महीने में खिलते हैं. लेकिन लोकपाल हेमकुंड साहिब क्षेत्र में इस बार तय समय से पहले ही ये दुर्लभ ब्रह्मकमल पुष्प खिलने लगे हैं. ब्रह्मकमल पुष्प को देवताओं का पुष्प माना जाता है और खास कर गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में नंदा अष्टमी के महापर्व पर मां नंदा देवी को ब्रह्मकमल से सजाया और चढ़ाया जाता है.

Environmentalists are worried due to premature blooming of Brahmakamal
ब्रह्मकमल के समय से पहले खिलने से पर्यावरणविद् चिंतित (फोटो-ईटीवी भारत)

घरों में रखकर पूजा करते हैं लोग: स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने अक्सर इस दुर्लभ ब्रह्मकमल पुष्प को जुलाई मध्य के बाद और अगस्त में खिलते देखा हैं, इस बार जुलाई के प्रथम सप्ताह में ही हेमकुंड साहिब में ब्रह्मकमल के दर्शन हो रहे हैं, जो अद्भुत तो है लेकिन पर्यावरणीय बदलाव और क्लाइमेट शिफ्टिंग के चलते भी ऐसा हो सकता है. राज्य वृक्ष बुरांश में भी ऐसा परिवर्तन देखने को मिला है. अब राज्य पुष्प समय से पहले खिला है तो इसे सितंबर माह तक सुरक्षित रखने का दायित्व भी हम सबका होगा.ऐसी मान्यता है कि जिस घर में ब्रह्मकमल होता है, वहां सांप नहीं आते हैं, यह औषधीय गुणों से भरपूर है.

भगवान शिव और मां पार्वती को है अतिप्रिय: भगवान शिव और माता पार्वती को यह अत्यंत प्रिय है. गढ़वाल हिमालय के उच्च हिमालयी छेत्र में खिलने वाला ब्रह्मा कमल सफेद और हल्का पीला रंग का होता है. खासकर उत्तराखंड के इस राज्य पुष्प की खुशबू यहां पंच केदारों, पांगरचूला,भनाई बुग्याल, काग भुशंडी ताल, सहस्त्र ताल, नंदी कुंड, फूलों की घाटी, कुंठ खाल, चिनआप वैली, सतोपंथ, ऋषि कुंड,देवांगन, डयाली सेरा, हेमकुंड साहिब क्षेत्र में सबसे अधिक पाया जाता है.

क्या बोले पर्यावरणविद् : पर्यावरणविद् अनिल जोशी ने बताया कि ब्रह्मकमल के समय से पहले खिलने की सबसे बड़ी वजह ग्लोबल वार्मिंग है. उन्होंने कहा कि जैसे बुरांश के फूल भी समय से पहले खिल गए थे, उसी प्रकार ब्रह्मकमल पुष्प भी समय से पहले खिल रहे हैं. अनिल जोशी ने कहा कि ये सब क्लाइमेट चेंज के कारण हो रहा है, यही इसकी मुख्य वजह है.

बता दें कि पूरे भारत में ब्रह्म कमल की 61 प्रजातियां पाई जाती हैं और 58 प्रजातियां हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाती हैं. इस पुष्प का वानस्पतिक नाम सोसेरिया ओबोवेलाटा (Saussurea obvallata) है और यह एस्टेरेसी कुल का पौधा माना जाता है. ब्रह्मकमल हिमालयी क्षेत्रों में 11 हजार से 17 हजार फीट की ऊंचाई पर पाया जाता है.

पढ़ें-

चमोली (उत्तराखंड): गढ़वाल मंडल के उच्च हिमालयी लोकपाल घाटी में मौजूद दंडी पुष्करणी तीर्थ, हेमकुंड साहिब में दिव्य ब्रह्मकमल के खिलने की पहली शानदार तस्वीर सामने आईं हैं. हिंदू सिख धार्मिक आस्था का संगम लोकपाल हेमकुंड साहिब के पवित्र हिम सरोवर के आसपास के क्षेत्रों में इस बार मानसून की पहली दस्तक व जुलाई माह के पहले सप्ताह में ब्रह्मकमल खिलने लगा है. जिसे अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है.

Brahma Kamal bloomed in high Himalayan region
उच्च हिमालयी क्षेत्र में खिले ब्रह्मकमल (फोटो-ईटीवी भारत)

समय से पहले खिलने लगा ब्रह्मकमल: जानकारों की मानें तो अक्सर लोकपाल घाटी में यह दुर्लभ ब्रह्मकमल पुष्प जुलाई के अंतिम सप्ताह में खिला हुआ नजर आता है. यही नहीं हेमकुंड साहिब पैदल मार्ग पर अटला कोटी से ऊपर बड़ी संख्या में क्यारियों में ये ब्रह्मकमल फूल खिले नजर आते हैं. लेकिन इस बार मानसून की पहली बरसात में ही हेमकुंड साहिब क्षेत्र में समय से पहले राज्य पुष्प ब्रह्मकमल के खिलने से प्रकृति प्रेमियों और वनस्पति वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है.

Brahmakamal is considered flower of gods
ब्रह्मकमल को माना जाता है देवताओं का पुष्प (फोटो-ईटीवी भारत)

जलवायु परिवर्तन का दिख रहा असर: गौर हो कि कमल पुष्प समुद्र तल से करीब 3000 मीटर से 4800 मीटर तक की ऊंचाई पर अपनी जादुई औषधि युक्त महक बिखेरता है. इस दुर्लभ ब्रह्मकमल पुष्प की क्यारियां लोकपाल घाटी में हेमकुंड साहिब आस्था पथ पर अटलाकोटी से ऊपर हेमकुंड साहिब क्षेत्र में काफी तादाद में खिली नजर आती हैं. जो सीजन में खासकर जुलाई के अंत से पूरे अगस्त माह तक यहां खिले नजर आते हैं. लेकिन इस सीजन में जुलाई माह के पहले सप्ताह में ही हेमकुंड साहिब में राज्य पुष्प ब्रह्मकमल अपनी चमक बिखेरते नजर आ रहे हैं, वहीं समय से पहले इन पुष्पों का खिलना प्री मैच्यौरिंग कहलाता है.

Brahmakamal started blooming before time
समय से पहले खिलने लगा ब्रह्मकमल (फोटो-ईटीवी भारत)

माना जाता है देवताओं का पुष्प: जो जलवायु परिवर्तन के कारण व वातावरण शिफ्ट होना भी एक कारण माना जा सकता है. तय समय चक्र से पहले इन उच्च हिमालयी दुर्लभ पुष्पों के खिलने की घटना में हो रहे जलवायु शिफ्टिंग इन दुर्लभ पुष्पों की प्रजातियों के लिए अच्छे संकेत नहीं मानें जा रहे हैं.गढ़वाल हिमालया में सबसे अधिक ब्रह्मकमल पुष्प अगस्त महीने में खिलते हैं. लेकिन लोकपाल हेमकुंड साहिब क्षेत्र में इस बार तय समय से पहले ही ये दुर्लभ ब्रह्मकमल पुष्प खिलने लगे हैं. ब्रह्मकमल पुष्प को देवताओं का पुष्प माना जाता है और खास कर गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में नंदा अष्टमी के महापर्व पर मां नंदा देवी को ब्रह्मकमल से सजाया और चढ़ाया जाता है.

Environmentalists are worried due to premature blooming of Brahmakamal
ब्रह्मकमल के समय से पहले खिलने से पर्यावरणविद् चिंतित (फोटो-ईटीवी भारत)

घरों में रखकर पूजा करते हैं लोग: स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने अक्सर इस दुर्लभ ब्रह्मकमल पुष्प को जुलाई मध्य के बाद और अगस्त में खिलते देखा हैं, इस बार जुलाई के प्रथम सप्ताह में ही हेमकुंड साहिब में ब्रह्मकमल के दर्शन हो रहे हैं, जो अद्भुत तो है लेकिन पर्यावरणीय बदलाव और क्लाइमेट शिफ्टिंग के चलते भी ऐसा हो सकता है. राज्य वृक्ष बुरांश में भी ऐसा परिवर्तन देखने को मिला है. अब राज्य पुष्प समय से पहले खिला है तो इसे सितंबर माह तक सुरक्षित रखने का दायित्व भी हम सबका होगा.ऐसी मान्यता है कि जिस घर में ब्रह्मकमल होता है, वहां सांप नहीं आते हैं, यह औषधीय गुणों से भरपूर है.

भगवान शिव और मां पार्वती को है अतिप्रिय: भगवान शिव और माता पार्वती को यह अत्यंत प्रिय है. गढ़वाल हिमालय के उच्च हिमालयी छेत्र में खिलने वाला ब्रह्मा कमल सफेद और हल्का पीला रंग का होता है. खासकर उत्तराखंड के इस राज्य पुष्प की खुशबू यहां पंच केदारों, पांगरचूला,भनाई बुग्याल, काग भुशंडी ताल, सहस्त्र ताल, नंदी कुंड, फूलों की घाटी, कुंठ खाल, चिनआप वैली, सतोपंथ, ऋषि कुंड,देवांगन, डयाली सेरा, हेमकुंड साहिब क्षेत्र में सबसे अधिक पाया जाता है.

क्या बोले पर्यावरणविद् : पर्यावरणविद् अनिल जोशी ने बताया कि ब्रह्मकमल के समय से पहले खिलने की सबसे बड़ी वजह ग्लोबल वार्मिंग है. उन्होंने कहा कि जैसे बुरांश के फूल भी समय से पहले खिल गए थे, उसी प्रकार ब्रह्मकमल पुष्प भी समय से पहले खिल रहे हैं. अनिल जोशी ने कहा कि ये सब क्लाइमेट चेंज के कारण हो रहा है, यही इसकी मुख्य वजह है.

बता दें कि पूरे भारत में ब्रह्म कमल की 61 प्रजातियां पाई जाती हैं और 58 प्रजातियां हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाती हैं. इस पुष्प का वानस्पतिक नाम सोसेरिया ओबोवेलाटा (Saussurea obvallata) है और यह एस्टेरेसी कुल का पौधा माना जाता है. ब्रह्मकमल हिमालयी क्षेत्रों में 11 हजार से 17 हजार फीट की ऊंचाई पर पाया जाता है.

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Last Updated : Jul 15, 2024, 7:45 PM IST
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