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दादा रहे वीर चक्र विजेता, पोते ने IMA में किया कमाल, जीता गोल्ड मेडल, पढ़ें जज्बे की पूरी कहानी - PRATHAM SINGH PASSING OUT PARADE

पंजाब में भटिंडा के रहने वाले है प्रथम सिंह, प्रथम सेना में परिवार की चौथी पीढ़ी

PRATHAM SINGH PASSING OUT PARADE
देहररादून आईएमए पासिंग आउट परेड (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 14, 2024, 8:46 PM IST

Updated : Dec 14, 2024, 8:59 PM IST

देहरादून: भारतीय सैन्य अकादमी से इस बार 491 कैडेट्स इस बार पास आउट हुए. इसमें 456 कैडेट्स भारतीय सेना का हिस्सा बने. इन होनहार कैडेट्स में खुद को सर्वोच्च साबित करने वाले प्रथम ने अकादमी में भी अपना कमाल दिखाकर गोल्ड मेडल हासिल किया. खास बात यह है की प्रथम उस परिवार से हैं जिसकी पीढ़ी दर पीढ़ी सेना में अपनी सेवाएं दे रही है. प्रथम के दादा वीर चक्र से भी सम्मानित हो चुके हैं.

प्रथम सिंह ने हासिल किया गोल्ड मेडल: कहते हैं कि एक शेर परिवार में शेर ही पैदा होता है. यह बात प्रथम सिंह ने साबित की है. प्रथम सिंह एक ऐसे परिवार से हैं जिनकी पीढ़ी दर पीढ़ी सेना में अपनी सेवाएं देती रही हैं.. प्रथम चौथी पीढ़ी के रूप में देश सेवा के लिए तैयार हो चुके हैं. खास बात यह है की प्रथम ने भारतीय सैन्य अकादमी में भी प्रशिक्षण के दौरान अपना जौहर दिखाने में कामयाबी हासिल की है. तमाम होनहार कैडेट्स के बीच प्रथम सिंह ने अकादमी में गोल्ड मेडल हासिल किया है.

देहररादून आईएमए पासिंग आउट परेड (ETV BHARAT)

पंजाब के भटिंडा से है ताल्लुक, फौजी है परिवार: पंजाब में भटिंडा के रहने वाले प्रथम सिंह बचपन से ही भारतीय सेना का हिस्सा बनना चाहते थे. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह उनके परिवार की सैन्य परंपरा से जुड़ा होना है. प्रथम सिंह ने खुद को बचपन से ही सैन्य परिवेश में पाया. उनके पिता लेफ्टिनेंट बलजीत सिंह भोपाल में पोस्टेड हैं. उनकी माता कर्नल अनुबंधन जैसलमेर में सैन्य जिम्मेदारियो को संभाल रही हैं.

प्रथम सेना में परिवार की चौथी पीढ़ी: बात केवल माता-पिता के सेना में होने तक की ही नहीं है.. प्रथम सिंह के दादा कर्नल तीरथ सिंह भी सेना में ही थे. प्रथम सिंह के दादा ने 1971 की जंग भी देश के लिए लड़ी थी. इसके बाद उन्हें वीर चक्र से भी सम्मानित किया गया था. यह सब वह बातें हैं जो परिवार में उन्होंने देखी और सेना को लेकर उनका रुझान बढ़ता चला गया. प्रथम सिंह कहते हैं उनके परदादा रणधीर सिंह भी सेना में ही थे. इस तरह वह अपने परिवार की चौथी पीढ़ी है जो सेना में शामिल हो रही है.

प्रथम ने दिया सफलता का मंत्र: प्रथम सिंह ने न केवल सेना में जाने के लिए तैयारी करते हुए सफलता हासिल की बल्कि अकादमी में प्रशिक्षण के दौरान कैडेट्स के बीच मुश्किल परीक्षाओं को पास करते हुए गोल्ड मेडल भी हासिल किया. लेफ्टिनेंट प्रथम सिंह बताते हैं कि उन्हें आज बेहद ज्यादा खुशी हो रही है कि वो सेना का हिस्सा बन रहे हैं. उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई है. प्रथम सिंह ने देहरादून में राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज में स्कूली शिक्षा ली. इसके बाद से ही उन्होंने सेना में शामिल होने के सपने को पूरा करने की कोशिश शुरू कर दी. प्रथम सिंह कहते हैं कि अनुशासन सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण बात है जिसे किसी भी युवा को अपने जीवन में उतारना चाहिए.अनुशासन ही सफलता की सबसे बड़ी वजह बनता है.

पढ़ें- आंध्र प्रदेश के किसान का बेटा सेना में बना अफसर, भाई की प्रेरणा से तलाशी राह, हासिल किया मुकाम

पढे़ं- मिलिट्री कॉलेज के शिक्षक के बेटे ने पूरा किया पिता का सपना, सेना में बना अफसर, गौरवान्वित हुये परिजन

देहरादून: भारतीय सैन्य अकादमी से इस बार 491 कैडेट्स इस बार पास आउट हुए. इसमें 456 कैडेट्स भारतीय सेना का हिस्सा बने. इन होनहार कैडेट्स में खुद को सर्वोच्च साबित करने वाले प्रथम ने अकादमी में भी अपना कमाल दिखाकर गोल्ड मेडल हासिल किया. खास बात यह है की प्रथम उस परिवार से हैं जिसकी पीढ़ी दर पीढ़ी सेना में अपनी सेवाएं दे रही है. प्रथम के दादा वीर चक्र से भी सम्मानित हो चुके हैं.

प्रथम सिंह ने हासिल किया गोल्ड मेडल: कहते हैं कि एक शेर परिवार में शेर ही पैदा होता है. यह बात प्रथम सिंह ने साबित की है. प्रथम सिंह एक ऐसे परिवार से हैं जिनकी पीढ़ी दर पीढ़ी सेना में अपनी सेवाएं देती रही हैं.. प्रथम चौथी पीढ़ी के रूप में देश सेवा के लिए तैयार हो चुके हैं. खास बात यह है की प्रथम ने भारतीय सैन्य अकादमी में भी प्रशिक्षण के दौरान अपना जौहर दिखाने में कामयाबी हासिल की है. तमाम होनहार कैडेट्स के बीच प्रथम सिंह ने अकादमी में गोल्ड मेडल हासिल किया है.

देहररादून आईएमए पासिंग आउट परेड (ETV BHARAT)

पंजाब के भटिंडा से है ताल्लुक, फौजी है परिवार: पंजाब में भटिंडा के रहने वाले प्रथम सिंह बचपन से ही भारतीय सेना का हिस्सा बनना चाहते थे. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह उनके परिवार की सैन्य परंपरा से जुड़ा होना है. प्रथम सिंह ने खुद को बचपन से ही सैन्य परिवेश में पाया. उनके पिता लेफ्टिनेंट बलजीत सिंह भोपाल में पोस्टेड हैं. उनकी माता कर्नल अनुबंधन जैसलमेर में सैन्य जिम्मेदारियो को संभाल रही हैं.

प्रथम सेना में परिवार की चौथी पीढ़ी: बात केवल माता-पिता के सेना में होने तक की ही नहीं है.. प्रथम सिंह के दादा कर्नल तीरथ सिंह भी सेना में ही थे. प्रथम सिंह के दादा ने 1971 की जंग भी देश के लिए लड़ी थी. इसके बाद उन्हें वीर चक्र से भी सम्मानित किया गया था. यह सब वह बातें हैं जो परिवार में उन्होंने देखी और सेना को लेकर उनका रुझान बढ़ता चला गया. प्रथम सिंह कहते हैं उनके परदादा रणधीर सिंह भी सेना में ही थे. इस तरह वह अपने परिवार की चौथी पीढ़ी है जो सेना में शामिल हो रही है.

प्रथम ने दिया सफलता का मंत्र: प्रथम सिंह ने न केवल सेना में जाने के लिए तैयारी करते हुए सफलता हासिल की बल्कि अकादमी में प्रशिक्षण के दौरान कैडेट्स के बीच मुश्किल परीक्षाओं को पास करते हुए गोल्ड मेडल भी हासिल किया. लेफ्टिनेंट प्रथम सिंह बताते हैं कि उन्हें आज बेहद ज्यादा खुशी हो रही है कि वो सेना का हिस्सा बन रहे हैं. उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई है. प्रथम सिंह ने देहरादून में राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज में स्कूली शिक्षा ली. इसके बाद से ही उन्होंने सेना में शामिल होने के सपने को पूरा करने की कोशिश शुरू कर दी. प्रथम सिंह कहते हैं कि अनुशासन सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण बात है जिसे किसी भी युवा को अपने जीवन में उतारना चाहिए.अनुशासन ही सफलता की सबसे बड़ी वजह बनता है.

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Last Updated : Dec 14, 2024, 8:59 PM IST
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