ऋषिकेश: एम्स ऋषिकेश में नर्सिंग ऑफिसर द्वारा महिला डॉक्टर से छेड़छाड़ के मामले में शिकायत के आधार पर कोतवाली पुलिस ने 354, 506 में मुकदमा दर्ज कर आरोपी सतीश कुमार को हिरासत में लिया है. हालांकि, आरोपी को जमानत दे गई है. वहीं, आरोपी डॉक्टर को पकड़ने के लिए पुलिस ने फिल्मी अंदाज में इमरजेंसी से पहले वेटिंग रूप में जीप दौड़ा दी. पुलिस की इस कार्रवाई का यह वीडियो खूब चर्चा में है. आईजी गढ़वाल करण सिंह नगन्याल की ओर से इस वीडियो की पुष्टि की गई है. हालांकि, इस मामले में पुलिस ने एसआईटी का गठन कर दिया है.
एम्स की तीसरी मंजिल पर जीप लेकर चढ़ी पुलिस: ऋषिकेश कोतवाली पुलिस के मुताबिक एम्स ऋषिकेश में कार्यरत एक महिला डॉक्टर ने पुलिस को शिकायत देकर बताया कि 19 मई की शाम को ऑपरेशन थिएटर में नर्सिंग ऑफिसर सतीश कुमार ने उनके साथ छेड़छाड़ करने का प्रयास किया. विरोध करने पर भी वह अपनी हरकत से बाज नहीं आया. रात को उसने व्हाट्सएप के माध्यम से आपत्तिजनक मैसेज सेंड किया, जिससे वह काफी आहत हुईं.
छेड़छाड़ के आरोपी को पकड़ने पहुंची पुलिस: मामला अन्य डॉक्टरों को पता चला तो एम्स में डॉक्टरों ने हड़ताल करते हुए हंगामा कर दिया. पुलिस ने किसी तरह डॉक्टरों के हंगामे को शांत कराया. कार्रवाई करने का भरोसा दिया. कोतवाल शंकर सिंह बिष्ट ने बताया कि शिकायत के आधार पर पुलिस ने आरोपी सतीश कुमार के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर नर्सिंग ऑफिसर को हिरासत ने ले लिया. पुलिस मामले में अग्रिम कार्रवाई कर रही है.
आरोपी को पकड़कर ले गई पुलिस: डॉक्टरों में आक्रोश को देखते हुए पुलिस आरोपी पकड़ने के लिए अपनी गाड़ी को तीसरे मंजिल पर रैंप के माध्यम से ले गई. आरोपी को हिरासत में लेकर इमरजेंसी से पहले वेटिंग रूम से होते हुए बकायदा मरीजों के बेड को खिसकाकर जीप को बाहर निकाला गया और पुलिस आरोपी को कोतवाली ले गई. पुलिस के द्वारा अस्पताल की तीसरी मंजिल से बाहर आती हुए गाड़ी का वीडियो लोगों में चर्चा का केंद्र बन गया है.
आईजी गढ़वाल ने बताया कारण: इस मामले को लेकर आईजी गढ़वाल करण सिंह नगन्याल द्वारा ANI को दी गई जानकारी के अनुसार, पुलिस को 21 मई को सूचना मिली थी कि पीड़ित एक जूनियर डॉक्टर है. गंभीरता को देखते हुए तुरंत छेड़छाड़ का मामला दर्ज किया गया और आरोपी को अस्पताल से गिरफ्तार कर लिया गया. आईजी गढ़वाल ने बताया कि, क्योंकि तीन साल से कम की सजा का प्रावधान है और सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह से मामलों को लेकर दिशा निर्देश दिए हैं, तो इसी क्रम में आरोपी को 41ए का नोटिस दिया गया और उसे पुलिस स्टेशन से रिहा कर दिया गया.
आईजी गढ़वाल ने माना कि ये साफ तौर पर छेड़छाड़ का मामला है. सभी चीजें प्रमाणित हैं. प्रत्यक्षदर्शी भी हैं. आरोपी ने भी माना है कि उससे गलती है गई है और इसके लिए उनके लिखित में भी माफी मांगी है. पुलिस द्वारा कानूनी प्रक्रिया की गई है. आईजी गढ़वाल ने बताया कि, पुलिस गाड़ी को वेटिंग रूम में इसलिए लेकर गई क्योंकि वहां लोगों में आरोपी को लेकर बेहद आक्रोश था. लोग आरोपी को पकड़कर मारना चाहते थे. ऐसे में बड़ा अपराध हो सकता था. ऐसी स्थिति में एम्स प्रशासन पुलिस के साथ रहा और गाड़ी को एस्कॉर्ट कर वहां ले गया ताकि आरोपी को लेकर ग्रीन कॉरिडोर से बाहर निकला जा सके और वो भीड़ के हाथ न आए.
SSP ने किया निरीक्षण: इस पूरे प्रकरण को लेकर एसएससी देहरादून अजय सिंह ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. वहीं, एम्स डॉयरेक्टर मीनू सिंह का कहना है कि प्राथमिक जानकारी में ये सामने आया है कि ये वीडियो इमरजेंसी वार्ड का नहीं है बल्कि मरीजों के लिए बनाई गई वेटिंग गैलरी का है, जहां मरीजों को भर्ती करने से पहले उनके रुकने के लिए बनाई गई है. ये भी सामने आया है कि एम्स सिक्योरिटी अफसर ने ही पुलिस को इमरजेंसी रास्ते का प्रयोग करने को लेकर गाइड किया था. हालांकि, समस्त तथ्यों की जानकारी जुटाई जा रही है.
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