नई दिल्ली: कर्नाटक में नशीली दवाओं के खतरे को रोकने के लिए पुलिस ने राज्य में गांजा किसानों और ड्रग पेडलर्स का पता लगाने और उनकी पहचान करने के लिए 'ड्रग-फ्री कर्नाटक' नामक एक ऐप लॉन्च किया है. यह ऐप गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है और आम लोग इस ऐप के जरिए पुलिस को सूचना दे सकते हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जब लोग किसी व्यक्ति को मादक पदार्थों का सेवन, ट्रांसपोर्ट, तस्करी या इसकी करते हुए पाते हैं, तो वे तुरंत ऐप के जरिए पुलिस को सूचित कर सकते हैं. आम लोग अपने मोबाइल फोन पर ऐप डाउनलोड करके और अंग्रेजी या कन्नड़ में जानकारी देकर आसानी से ड्रग से जुड़ी गतिविधियों की रिपोर्ट कर सकते हैं.
पुलिस को मिलेगी सूचना
ऐप के जरिए रिपोर्ट की गई लोकेशन की जानकारी स्थानीय पुलिस के पास जाएगी. सूचना प्राप्त होने पर, नामित अधिकारी इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि करेगा और अगर आवश्यक हो तो छापेमारी को कोर्डिनेट करेगा. ऐप नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम, 1985 के बारे में भी जानकारी देता है, जिसमें ड्रग से संबंधित अपराधों के लिए दंड का विवरण भी शामिल है.
बेंगलुरु पुलिस एक्टिव
गौरतलब है कि नए साल के जश्न से पहले बेंगलुरु पुलिस देश के विभिन्न हिस्सों से शहर में आने वाली विभिन्न खेपों की जांच कर रही है. सीसीबी अधिकारियों ने बेंगलुरु में कई कूरियर एजेंसियों के कार्यालयों की भी जांच की, ताकि ऐसी दवाओं का पता लगाया जा सके जिन्हें यहां लाया जा सकता है.
कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि सरकार राज्य में नशीली दवाओं के खतरे को लेकर गंभीर है. इससे पहले, उन्होंने कहा, "पिछले एक साल में बेंगलुरु में 250 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की गई और नष्ट की गई. दूसरे देशों के लोग तस्करी में शामिल हैं. उन्हें गिरफ्तार करके निर्वासित किया गया है और कई तस्करों पर गुंडा अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है."
मंत्री ने आगे कहा कि कुछ मामलों में पुलिस को फायरिंग के लिए मजबूर होना पड़ा. अगर जरूरत पड़ी तो पुलिस राज्य में नशीली दवाओं के इस्तेमाल को रोकने के लिए बल का प्रयोग करेगी.