रांचीः अफीम तस्करों को इस बार अफीम का मौसम रास नहीं आने वाला है. पुलिस की लगातार कार्रवाई के कारण इस वर्ष अफीम तस्करों को करोड़ों का नुकसान हुआ है. राजधानी रांची सहित राज्य के तमाम वैसे इलाके जहां अफीम की फसल उगाई गई है, उन्हें युद्ध स्तर पर नष्ट किया जा रहा है. अफीम नष्ट करने के लिए पुलिस की टीम ट्रैक्टर और जेसीबी लेकर मैदान में उतर चुकी है.
रांची में 51 एकड़ में लगी अफीम नष्ट
राजधानी रांची में अफीम तस्करों ने चोरी-छुपे लगभग 60 एकड़ भूमि पर अफीम की फसल उगाई है. रांची पुलिस और स्पेशल ब्रांच के द्वारा मिली इनपुट के आधार पर रांची के सीनियर एसपी चंदन कुमार सिन्हा के नेतृत्व में अफीम की फसल को नष्ट करने के लिए जोरदार अभियान चलाया जा रहा है. रांची पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि अब तक लगभग 51 एकड़ में लगी अफीम की फसल को नष्ट की गई है. शेष बची 09 एकड़ की फसल को भी चिन्हित कर नष्ट करने का काम शुरू कर दिया गया है.
रांची में अब तक कहां-कहां हुई कार्रवाई
पुलिस के द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार 15 दिसंबर 2024 को तमाड़ और दशमफॉल थाना क्षेत्र के ग्राम हुसीरहातु के जंगलों में करीब 01 एकड़ 70 डिसमील में लगी अवैध अफीम की फसल नष्ट की गई थी. साथ ही तमाड़ थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम बुरुडीह के जंगल में अफीम के बीज लगे लगभग 02 एकड़ खेत को विनष्ट की गई थी. वहीं 16 दिसंबर को रांची पुलिस द्वारा दशमफॉल थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम मुर्गीडीह के आसपास के जंगली क्षेत्र में अफीम के बीज लगे लगभग 02 एकड़ खेत को ट्रैक्टर से जोत कर एवं पुलिस बल की मदद से विनष्ट किया गया था. इसके अलावा बुंडू थाना अंतर्गत ऐदलहातू ग्राम क्षेत्र में लगभग एक एकड़ में लगे अफीम के पौधे को नष्ट किए गए थे.
वहीं 17 दिसंबर को रांची के राहे थाना अंतर्गत फुलवार, बहराबेड़ा, कपिडीह के जंगल में लगभग 7 एकड़ में लगी अफीम की फसल नष्ट की गई थी. साथ ही बिजली के तार और पानी का पाइप काट दिया गया था. वहीं 19 दिसंबर को रांची के बुंडू और तमाड़ इलाके में अफीम की खेती के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया गया था. 19 दिसंबर को रांची में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 21 एकड़ में लगी अफीम की फसल को नष्ट की थी. वहीं 20 दिसंबर को रांची जिला के राहे, अनगड़ा और दशमफॉल थाना क्षेत्र अंतर्गत 7.5 एकड़ अफीम की फसल नष्ट की गई थी. वहीं 28 दिसंबर को बुंडू और सोनाहातु थाना प्रभारी के द्वारा बुंडू और सोनाहातु थाना क्षेत्र अंतर्गत सुदूरवर्ती जंगली क्षेत्र में अफीम लगे लगभग 09.5 एकड़ खेत को ट्रैक्टर और पुलिस बल के द्वारा विनष्ट किया गया था.
इस बार रिकॉर्ड टूटने के आसार
झारखंड पुलिस ने जिस तरह से अफीम की खेती के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है उसे देखकर लगता है कि इस बार अफीम नष्ट करने के सारे पुराने रिकॉर्ड टूट जाएंगे. पिछले 10 दिनों के अभियान में झारखंड में लगभग 100 एकड़ से ज्यादा की अफीम नष्ट की जा चुकी है. जबकि अगर सीआईडी के आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2023 में 2545 एकड़, 2022 में 2926 एकड़, साल 2021 में 3034 एकड़, साल 2020 में 2634.7 एकड़, साल 2019 में 2015.4 एकड़, साल 2018 में 2160.5 एकड़, 2017 में 2676.5 एकड़, 2016 में 259.19 एकड़, 2015 में 516.69 एकड़, 2014 में 81.26 एकड़, 2013 में 247.53 एकड़, 2012 में 66.6 एकड़ और 2011 में 26.85 एकड़ भूमि पर लगी अफीम की फसल नष्ट की गई थी.
जारी रहेगा पुलिस का अभियानः एसएसपी
इस संबंध में रांची के सीनियर एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने बताया कि स्पेशल ब्रांच के इनपुट के अलावा हमारी पुलिस के पास भी अफीम को लेकर कई इनपुट प्राप्त हुए हैं. जिसके आधार पर युद्धस्तर पर कार्रवाई की जा रही है. अफीम की फसल नष्ट की जा रही. इस बार अफीम की फसल तैयार करने का मौका नहीं दिया गया है. पहली बार अफीम की फसल को नष्ट करने के लिए जेसीबी और ट्रैक्टर का प्रयोग किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि अफीम बेहद खतरनाक मादक पदार्थ है. अफीम की डाली से लेकर पत्ते तक का प्रयोग नशे के लिए किया जाता है. इसलिए इसे पूरी तरह से नष्ट किया जा रहा है.
खतरनाक है अफीम
झारखंड में उगाई जाने वाली अफीम की फसल क्यों खतरनाक है, इसके पीछे कई वजह हैं. पहली वजह तो यह है की अफीम की फसल से करोड़ों की कमाई होती है. जिसका एक बड़ा हिस्सा नक्सलियों और उग्रवादियों तक पहुंचता है. जिसका इस्तेमाल वे पुलिस के खिलाफ करते हैं. वहीं अफीम एक ऐसी नशीली फसल है जिसके पौधे का एक-एक पार्ट का इस्तेमाल नशे के लिए होता है. अफीम से ही ब्राउन शुगर जैसा घातक मादक पदार्थ बनता है. जबकि इसके डोडे का इस्तेमाल भी नशे के लिए किया जाता है. यही वजह है कि अफीम की फसल के खिलाफ झारखंड में जोरदार अभियान चलाया जा रहा है.
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