नालंदा : प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की तर्ज पर नालंदा के राजगीर में बना अंतर्राष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय अब नई उंचाईयों को छूने को तैयार है. ग्लोबल विश्वविद्यालय के रूप में आधुनिक नालंदा विश्वविद्यालय एक बार फ़िर से उभरने लगा है. नालंदा विश्वविद्यालय का अब खुद का भवन बनकर तैयार हो गया है. जिसका विधिवत उद्धाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 19 जून को करने जा रहे हैं.
विश्वविद्यालय भवन का पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन : इस विशेष मौके पर बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद रहेंगे. नालंदा विश्वविद्यालय की परिकल्पना अब पूर्ण रूप से हकीकत में बदलने जा रही है. बता दें कि 455 एकड़ में इस विश्वविद्यालय का निर्माण किया गया है. जिसमें सैकड़ो बिल्डिंग, दर्जनों तालाब, मेडिटेशन हॉल, कॉन्फ्रेंस हॉल, स्टडी रूम, आवासीय परिसर आदि का निर्माण किया गया है.
1 सितंबर 2014 से शैक्षणिक सत्र : विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए बिहार सरकार ने स्थानीय लोगों से 455 एकड़ जमीन विश्वविद्यालय के लिए अधिग्रहित किया था. 11 संकाय सदस्यों और 15 छात्रों के साथ विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र की शुरुआत 1 सितंबर 2014 से शुरू हुई थी. उस वक्त विश्वविद्यालय की अपनी कोई बिल्डिंग नहीं होने के कारण शहर के एक सरकारी होटल और एक सरकारी भवन में कक्षाएं शुरू की गई थीं.
821 साल बाद फिर से पठन पाठन शुरू : 'पर्यावरण अध्ययन' विषय से विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हुई थी. प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित कर 821 साल बाद पठन-पाठन शुरू किया गया. नालंदा विश्वविद्यालय का शुभारंभ पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने किया था. नालंदा विश्वविद्यालय वर्तमान समय में मास्टर पाठ्यक्रम और डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी पाठ्यक्रम प्रदान करता है.
इन विषयों पर होती है पढ़ाई : इसके सिलेबस में ऐतिहासिक अध्ययन स्कूल, पारिस्थितिकी और पर्यावरण अध्ययन स्कूल, बौद्ध अध्ययन दर्शनशास्त्र और तुलनात्मक धर्म स्कूल, भाषा और साहित्य, मानविकी स्कूल, स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, सूचना विज्ञान और प्रौद्योगिकी स्कूल शामिल है.
प्राचीन भव्यता के साथ वापसी : मालूम हो कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय पूरे विश्व में शिक्षा का प्रमुख केंद्र था. पूरे विश्व को ज्ञान की ज्योत फैलाने वाला प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के तर्ज पर नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है. विश्व के मानचित्र पर एक बार पुनः नालंदा अपने पुराने गौरवशाली अतीत को पुनर्जीवित कर पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम के सपने को साकार करेगा. नालंदा कभी ज्ञान विज्ञान का अद्वितीय केंद्र था. साथ ही मानव सभ्यता, संस्कृति, धर्म और दर्शन के इतिहास में नालंदा का योगदान अविस्मरणीय है.
पांचवी शताब्दी में हुई थी स्थापना : पांचवी से बारहवीं शताब्दी तक विश्वविद्यालय की गरिमा और महत्ता पराकाष्ठा पर थी. प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना कुमार गुप्त के काल में साल 450 ईस्वी मानी जाती है. प्राचीन काल में नालंदा अपने ज्ञान दर्शन साहित्य चिंतन और विश्व बंधुत्व के सार्वभौमिक भाव के लिए विश्व विख्यात था. यहां एक विशाल नालंदा विश्वविद्यालय था. जिसमें 2000 शिक्षकों के साथ 10000 छात्रों के अध्ययन और अध्यापन की सुविधा थी.
विदेशों से पढ़ने आते थे छात्र : प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में देश-विदेश से लोग विद्या अध्ययन करने आते थे. इस विश्वविद्यालय में धर्म, दर्शन, व्याकरण, तर्कशास्त्र, औषधि शास्त्र, वेद विषयों की पढ़ाई की जाती थी. तक्षशिला विक्रमशिला इसके समकालीन शिक्षा केंद्र थे. प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना का श्रेय गुप्त शासक को जाता है.
बख्तियार खिलजी ने धरोहर की नष्ट : इसी क्रम में 12वीं सदी के अंतिम दशक में बख्तियार खिलजी ने विश्व प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय को तहस-नहस कर दिया. वर्तमान में नालंदा विश्वविद्यालय की विशाल खंडहर इसके प्राचीन गौरव गरिमा का साक्ष्य प्रमाणित कर रहा है. नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष जिनमें एक बड़ी संख्या बौद्ध चौत्यों और पूजन गृहों की है. साथ ही पर्यटन की दृष्टि से विशेष महत्व रखता है. संपूर्ण क्षेत्र लगभग 14 हेक्टेयर भूमि में फैला हुआ है.
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