देहरादून (उत्तराखंड): उत्तराखंड के पूर्व चीफ सेक्रेटरी रहे सुखबीर सिंह संधू को भी चुनाव आयुक्त बनाया गया है. संधू उत्तराखंड के 17 मुख्य सचिव थे, जिन्होंने अपने कार्यकाल में कई बड़े फैसले लिए. इसके साथ ही यूनिफॉर्म सिविल कोड बनाने में भी अहम भूमिका निभाई. इसके अलावा पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट केदारनाथ पुनर्निर्माण और बदरीनाथ मास्टर प्लान में भी एसएस संधू की भूमिका अहम रही. संधू के अलावा उत्तराखंड के कई बड़े अफसर ऐसे हैं, जिन्हें केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी मिली है.
कौन हैं सुखबीर सिंह संधू: नवनियुक्त चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू इसी साल उत्तराखंड के मुख्य सचिव पद से रिटायर हुए. हालांकि, उनका रिटायरमेंट 2023 में जुलाई महीने में हो गए थे, लेकिन उन्हें 6 महीने का सेवा विस्तार दिया गया. इससे पहले भी वो कई बड़े पदों पर रह चुके हैं. उत्तराखंड से रिटायर होने के बाद उन्हें चुनाव आयुक्त की अहम जिम्मेदारी दी गई है. जो बताया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड में काम कर रहे अधिकारी और यहां के पूर्व अधिकारियों पर कितना भरोसा करते हैं.
![Sukhbir Singh Sandhu](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-03-2024/20994679_sssandhu.jpg)
अजीत डोभाल आज भी पहली पसंद: भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का नाम सबसे ऊपर आता है. जो पीएम मोदी के 5वें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी हैं. अजीत डोभाल प्रधानमंत्री मोदी के बेहद खास अधिकारियों में से एक हैं. अजीत डोभाल पौड़ी के रहने वाले हैं. बालाकोट एयर स्ट्राइक हो या कश्मीर के मुद्दे सुलझाने का मामला हो, पीएम मोदी ने हर मोर्चे पर उन्हें आगे भेजा है. अजीत डोभाल को लंबे समय से इतनी बड़ी जिम्मेदारी देने का मतलब साफ है कि पीएम मोदी उत्तराखंड के इस लाल पर काफी भरोसा करते हैं.
![National Security Advisor Ajit Doval](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-03-2024/20994679_ajit-dobhal.jpg)
अनिल धस्माना पर भरोसा: एनएसए अजीत डोभाल के अलावा देश की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी रॉ के चीफ भी उत्तराखंड से रह चुके हैं. प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के ही रहने वाले रॉ प्रमुख के तौर पर अनिल धस्माना को नियुक्ति दी. अनिल धस्माना भी पौड़ी के रहने वाले हैं. उनकी शिक्षा दीक्षा भले ही उत्तर प्रदेश से हुई है, लेकिन आज भी वो उत्तराखंड में स्थित अपने गांव आते रहते हैं.
उन्हें बलूचिस्तान और आतंकवाद विरोधी मामलों में महारत हासिल है. यही कारण है कि उन्हें इतने बड़े पद पर बैठाया गया. हालांकि, साल 2017 में उनका कार्यकाल पूरा होने के बाद मोदी सरकार ने उनके अनुभव को देखते हुए राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन यानी एनटीआरओ का प्रमुख भी बनाया. अनिल धस्माना ने भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ को साल 1993 में ज्वाइन किया था.
![Anil Dhasmana](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-03-2024/20994679_anil-dhamsama-tsrawatbjp.jpg)
जब राजेंद्र सिंह को मिली बड़ी जिम्मेदारी: 29 फरवरी 2016 को मोदी सरकार ने देहरादून के राजेंद्र सिंह को भारतीय तटरक्षक के प्रमुख की जिम्मेदारी दी. पूर्व महानिदेशक रहे राजेंद्र सिंह नौसेना के प्रमुख बने. हालांकि, 30 जून 2019 को उनका कार्यकाल पूरा हो गया था. प्रधानमंत्री के कई ऑपरेशन में उन्होंने ही ब्लूप्रिंट तैयार किया था. उन्हें पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव जैसे देशों के बारे में विशेषज्ञ और महारत हासिल थी.
भारत सरकार ने उनके कार्यकाल में समुद्री डकैती और हथियारबंद लूटमार जैसी घटनाओं को काफी हद तक रोकने में कामयाबी हासिल की थी. उनके नाम कई बड़ी उपलब्धियां हासिल है. डीजीएमओ राजेंद्र सिंह भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद खास अधिकारियों में से एक हैं.
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल कुमार को बनाया डायरेक्टर जनरल मिलिट्री: साल 2016 में ही एक और उत्तराखंड के लाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी जिम्मेदारी दी. लेफ्टिनेंट जनरल अनिल कुमार भट्ट को डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन के पद पर नियुक्ति दी. उत्तराखंड के टिहरी जिले के कीर्ति नगर ब्लॉक के रहने वाले अनिल कुमार भट्ट का आवास मसूरी में भी है. उनकी शिक्षा मसूरी में ही हुई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंद कहे जाने वाले अनिल कुमार भट्ट रिटायर होने के बाद मसूरी में भी पहुंचे थे. उनके नाम भी कई बड़ी उपलब्धियां हैं.
सीडीएस बिपिन रावत को कोई नहीं भूल सकते हैं: भला देश के पहले सीडीएस जनरल रहे बिपिन रावत को कौन भूल सकता है. बिपिन रावत पौड़ी से ताल्लुक रखते थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी कार्य कुशलता को देखते हुए उन्हें कई बड़े ऑपरेशन की जिम्मेदारी दी. रिटायर होने के बाद भी पीएम मोदी ने उन्हें देश का पहला सीडीएस यानी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त किया था. बिपिन रावत भले ही इस दुनिया में न हों, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर देश का हर एक व्यक्ति उन्हें आज भी याद करता है. बता दें कि बिपिन रावत 63 वर्ष की उम्र में हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हो गए थे.
नए सीडीएस अनिल चौहान भी उत्तराखंड के निवासी: हादसे में दिवंगत सीडीएस जनरल बिपिन रावत के बाद लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर) अनिल चौहान को देश की कमान सौंपी गई. अनिल चौहान को सीडीएस नियुक्त कर दिया गया. लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान पौड़ी जिले की गवांणा गांव के रहने वाले हैं. लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान 11 गोरखा राइफल से ही हैं. अनिल चौहान ने 30 सितंबर 2022 को दूसरे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के रूप में पदभार संभाला.
![Anil Chauhan](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-03-2024/20994679_anil-chauhan.png)
भास्कर खुल्बे आज भी हैं फेवरेट: भास्कर खुल्बे इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार रहे हैं, लेकिन मौजूदा समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश के बाद ही वो उत्तराखंड सरकार के पर्यटन विभाग के ओएसडी हैं. सिलक्यारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन में उनकी भूमिका को सभी ने देखा. भास्कर केदारनाथ और बदरीनाथ में चल रहे पुनर्निर्माण के कामों को भी देखने जाते हैं. पीएम मोदी उन काफी विश्वास करते हैं.
यही कारण है कि दोनों ही धामों में चल रहे कामों की एक-एक रिपोर्ट वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाते हैं. वे साल 2014 से लेकर साल 2022 तक पीएमओ में काम कर चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सचिव के साथ उन्होंने सलाहकार का भी पद संभाला. भले ही वो पश्चिम बंगाल कैडर के आईएएस अधिकारी हैं, लेकिन उनका जन्म उत्तराखंड में ही हुआ है. उनकी शिक्षा दीक्षा कुमाऊं विश्वविद्यालय और डीएसबी से पूरी हुई है.
![IAS officer Mangesh Ghildiyal](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-03-2024/20994679_mangesh.jpg)
मंगेश घिल्डियाल पर जताया भरोसा: इसके साथ ही एक और आईएएस अधिकारी हैं, जो इस वक्त पीएमओ में तैनात है. समय-समय पर उत्तराखंड में आने वाली आपदा और विपदा के समय पर पीएमओ इस अधिकारी को उत्तराखंड भेजता रहा है. साल 2012 बैच के आईएएस अधिकारी मंगेश घिल्डियाल पौड़ी के डंडायू गांव के रहने वाले हैं. युवाओं में बेहद लोकप्रिय अधिकारी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लिस्ट में बेहद खास माने जाते हैं.
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