फुलबनी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को दावा किया कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 50 सीटें भी नहीं जीत पाएगी. चुनाव के बाद उसे विपक्षी दल का दर्जा भी नहीं मिलेगा. ओडिशा में कंधमाल लोकसभा सीट के फूलबनी में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में 'डबल इंजन' सरकार बनेगी. उन्होंने आगे कहा कि इस 'मिट्टी का बेटा या बेटी जो उड़िया भाषा और संस्कृति को समझता है उसे राज्य का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा.
केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकार की उपलब्धियों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि 26 साल पहले आज ही के दिन पोखरण परीक्षण ने दुनिया भर में देश की छवि को बढ़ाया था. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करके लोगों के 500 वर्षों के इंतजार को समाप्त कर दिया.
कांग्रेस नेता मणिशंकर की टिप्पणी पर पीएम मोदी का पलटवार: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर की 'पाकिस्तान के पास परमाणु बम है' वाली टिप्पणी को लेकर उन पर हमला बोला और पार्टी पर लोगों को डराने के 'तरीके ढूंढने' का आरोप लगाया. साथ ही कहा कि 'ये मरे पड़े लोग, देश के मन को भी मार रहे हैं' (ये मरे हुए लोग देश की आत्मा को भी मारने की कोशिश कर रहे हैं).
15 अप्रैल को 'चिल पिल' अय्यर के साथ एक साक्षात्कार में अय्यर ने कहा कि पाकिस्तान एक सम्मानित राष्ट्र है जिसके पास परमाणु बम भी है. इसलिए भारत को उनके साथ बातचीत करनी चाहिए. इस पर पीएम मोदी ने कहा,'बार-बार, कांग्रेस अपने ही देश को डराने की कोशिश करती है. वे कहते हैं, 'संभल के चलो पाकिस्तान के पास परमाणु बम है. ये मरे पड़े लोग, देश के आदमी को भी मार रहे हैं.' वे पाकिस्तान के बम के बारे में बात करते हैं, लेकिन पाकिस्तान की हालत ऐसी है कि वे नहीं जानते कि उन्हें कैसे रखा जाए और वे अपने बम बेचने के लिए खरीदार की तलाश कर रहे हैं, लेकिन कोई भी उन्हें खरीदना नहीं चाहता क्योंकि लोग उनकी गुणवत्ता के बारे में जानते हैं.'
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस के कारण जम्मू-कश्मीर के लोगों ने 60 वर्षों तक आतंकवाद का सामना किया. कांग्रेस के इस रवैये के कारण जम्मू-कश्मीर के लोगों ने 60 वर्षों तक आतंकवाद का सामना किया और देश ने कई आतंकवादी हमले देखे. देश कभी नहीं भूलेगा कि वे आतंकवादी संगठनों के साथ बैठकें करते थे. उन्होंने जांच शुरू करने की हिम्मत नहीं की. 26/11 हमले के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की गई क्योंकि हमले में शामिल आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने की उनमें हिम्मत नहीं थी. इंडिया गठबंधन के लोग सोचते थे कि उनका वोट बैंक प्रभावित होगा.'