ETV Bharat / bharat

अमेरिकी में गौतम अडाणी के खिलाफ अभियोग की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका, जानें पूरा मामला

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से अमेरिकी अदालत में दर्ज मुकदमे को रिकॉर्ड में लाने और जांच शुरू करने का निर्देश देने की मांग की है.

plea moved in Supreme Court for issuing direction to initiate investigation into indictment made in US court against Gautam Adani
अमेरिकी में गौतम अडाणी के खिलाफ अभियोग की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका, जानें पूरा मामला (File Photo - AP)
author img

By Sumit Saxena

Published : 3 hours ago

नई दिल्ली: गौतम अडाणी और अन्य के खिलाफ अरबों डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को कथित तौर पर रिश्वत देने के मामले में अमेरिकी अदालत में लगाए गए अभियोग की जांच शुरू करने के निर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. यह याचिका अधिवक्ता विशाल तिवारी ने दायर किया है.

याचिका में कहा गया है कि सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी), जिसे शीर्ष अदालत ने 2023 हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया था, ने पहले अपनी रिपोर्ट पेश की थी जिसमें कहा गया था कि जांच की गई है और कुल 24 जांचों में से 22 पूरी हो गई हैं. तिवारी ने अमेरिकी अदालत में दर्ज मुकदमे को रिकॉर्ड में लाने की मांग की.

विशाल तिवारी की एक याचिका पर शीर्ष अदालत ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच का आदेश दिया था.

याचिका में कहा गया है कि ऐसा लगता है कि सेबी मामला बनाने में सक्षम नहीं है. इस प्रकार मामला प्रथम दृष्टया सिद्ध नहीं हो पाता है, जिसकी पुष्टि तब तक नहीं की जा सकती जब तक कि और अधिक जांच न हो जाए. याचिका में कहा गया है कि किसी भी कार्यवाही में, चाहे वह सिविल हो या आपराधिक, प्रथम दृष्टया मामला प्रस्तुत करना वादी या अभियोजक की जिम्मेदारी है और एक बार प्रथम दृष्टया मामला बन जाने पर, जिम्मेदारी अभियुक्त पर आ जाती है.

इसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 3 जनवरी, 2024 को दिए गए आदेश में तीन महीने की समयसीमा के बावजूद सेबी ने अब तक कोई रिपोर्ट और जांच का निष्कर्ष दाखिल नहीं किया है. वर्तमान परिदृश्य में जब जांच रिपोर्ट रिकॉर्ड पर नहीं लाई गई है, तो इससे नियामक प्राधिकरण सेबी में विश्वास कम होता है."

याचिका में कहा गया है, "इसके साथ संलग्न दस्तावेज याचिकाकर्ता के वर्तमान मामले में प्रासंगिक हैं क्योंकि उन्होंने (अडाणी) समूह द्वारा किए गए कदाचारों का खुलासा किया है और आरोप इतने गंभीर प्रकृति के हैं कि राष्ट्र के हित में उनकी जांच भारतीय एजेंसियों द्वारा भी की जानी चाहिए. न्याय के हित में, दायर किए गए दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर लिया जा सकता है."

याचिका में कहा गया है कि सेबी को जांच पूरी करके तथा जांच की रिपोर्ट और निष्कर्ष को रिकॉर्ड में रखकर विश्वास जगाना होगा. इसमें कहा गया है, "चूंकि सेबी की जांच में शॉर्ट सेलिंग के आरोप थे और विदेशी अधिकारियों द्वारा लगाए गए वर्तमान आरोपों का संबंध हो सकता है या नहीं भी हो सकता है, लेकिन सेबी की जांच रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो जाएगा, ताकि निवेशकों का विश्वास न डगमगाए."

याचिकाकर्ता ने कहा, "हाल ही में 20 नवंबर को न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय ने गौतम अडाणी (62), सागर अडाणी (30) और छह अन्य के खिलाफ आरोपों का खुलासा किया. उन पर भारत सरकार से सौर ऊर्जा आपूर्ति अनुबंध हासिल करने के लिए 265 मिलियन डॉलर (लगभग 2,236 करोड़ रुपये) की रिश्वत देने की योजना बनाने का आरोप है. इन अनुबंधों से 20 वर्षों में लगभग 2 बिलियन डॉलर (16,880 करोड़ रुपये) का लाभ होने का अनुमान था.

यह भी पढ़ें- अडाणी CFO ने अमेरिका के आरोपों पर तोड़ी चुप्पी, कहा- ये केवल आरोप...आगे देंगे जवाब

नई दिल्ली: गौतम अडाणी और अन्य के खिलाफ अरबों डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को कथित तौर पर रिश्वत देने के मामले में अमेरिकी अदालत में लगाए गए अभियोग की जांच शुरू करने के निर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. यह याचिका अधिवक्ता विशाल तिवारी ने दायर किया है.

याचिका में कहा गया है कि सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी), जिसे शीर्ष अदालत ने 2023 हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया था, ने पहले अपनी रिपोर्ट पेश की थी जिसमें कहा गया था कि जांच की गई है और कुल 24 जांचों में से 22 पूरी हो गई हैं. तिवारी ने अमेरिकी अदालत में दर्ज मुकदमे को रिकॉर्ड में लाने की मांग की.

विशाल तिवारी की एक याचिका पर शीर्ष अदालत ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच का आदेश दिया था.

याचिका में कहा गया है कि ऐसा लगता है कि सेबी मामला बनाने में सक्षम नहीं है. इस प्रकार मामला प्रथम दृष्टया सिद्ध नहीं हो पाता है, जिसकी पुष्टि तब तक नहीं की जा सकती जब तक कि और अधिक जांच न हो जाए. याचिका में कहा गया है कि किसी भी कार्यवाही में, चाहे वह सिविल हो या आपराधिक, प्रथम दृष्टया मामला प्रस्तुत करना वादी या अभियोजक की जिम्मेदारी है और एक बार प्रथम दृष्टया मामला बन जाने पर, जिम्मेदारी अभियुक्त पर आ जाती है.

इसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 3 जनवरी, 2024 को दिए गए आदेश में तीन महीने की समयसीमा के बावजूद सेबी ने अब तक कोई रिपोर्ट और जांच का निष्कर्ष दाखिल नहीं किया है. वर्तमान परिदृश्य में जब जांच रिपोर्ट रिकॉर्ड पर नहीं लाई गई है, तो इससे नियामक प्राधिकरण सेबी में विश्वास कम होता है."

याचिका में कहा गया है, "इसके साथ संलग्न दस्तावेज याचिकाकर्ता के वर्तमान मामले में प्रासंगिक हैं क्योंकि उन्होंने (अडाणी) समूह द्वारा किए गए कदाचारों का खुलासा किया है और आरोप इतने गंभीर प्रकृति के हैं कि राष्ट्र के हित में उनकी जांच भारतीय एजेंसियों द्वारा भी की जानी चाहिए. न्याय के हित में, दायर किए गए दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर लिया जा सकता है."

याचिका में कहा गया है कि सेबी को जांच पूरी करके तथा जांच की रिपोर्ट और निष्कर्ष को रिकॉर्ड में रखकर विश्वास जगाना होगा. इसमें कहा गया है, "चूंकि सेबी की जांच में शॉर्ट सेलिंग के आरोप थे और विदेशी अधिकारियों द्वारा लगाए गए वर्तमान आरोपों का संबंध हो सकता है या नहीं भी हो सकता है, लेकिन सेबी की जांच रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो जाएगा, ताकि निवेशकों का विश्वास न डगमगाए."

याचिकाकर्ता ने कहा, "हाल ही में 20 नवंबर को न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय ने गौतम अडाणी (62), सागर अडाणी (30) और छह अन्य के खिलाफ आरोपों का खुलासा किया. उन पर भारत सरकार से सौर ऊर्जा आपूर्ति अनुबंध हासिल करने के लिए 265 मिलियन डॉलर (लगभग 2,236 करोड़ रुपये) की रिश्वत देने की योजना बनाने का आरोप है. इन अनुबंधों से 20 वर्षों में लगभग 2 बिलियन डॉलर (16,880 करोड़ रुपये) का लाभ होने का अनुमान था.

यह भी पढ़ें- अडाणी CFO ने अमेरिका के आरोपों पर तोड़ी चुप्पी, कहा- ये केवल आरोप...आगे देंगे जवाब

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.