नई दिल्ली: बिहार में पिछले दो हफ्तों से पुल ढहने की घटनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. इस याचिका में कमजोर ढांचों को ध्वस्त करने या उनकी मरम्मत करने के लिए बिहार सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है. बता दें कि बिहार में पिछले 15 दिनों में भारी बारिश के कारण नौ पुल ढह गए हैं.
याचिकाकर्ता अधिवक्ता ब्रजेश सिंह ने सरकार को कमजोर पुलों को ध्वस्त करने या उनकी मरम्मत के निर्देश देने की भी मांग की है. याचिका में यह भी कहा गया है कि पुलों सहित सरकारी निर्माण की रियल-टाइम मॉनिटरिंग के लिए उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश और नीति तैयार की जानी चाहिए.
मानव निर्मित आपदा
पुल ढहने की घटनाओं को 'मानव निर्मित आपदा' बताते हुए याचिका में कहा गया है कि बिहार में लगातार हो रही घटनाओं से साफ पता चलता है कि प्रशासन ने कोई सबक नहीं सीखा और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लिया.
'पुल गिरने की घटनाएं विनाशकारी'
याचिका में कहा गया है कि इन नियमित घटनाओं को महज दुर्घटना नहीं कहा जा सकता. यह गंभीर चिंता का विषय है कि भारत में सबसे अधिक बाढ़-ग्रस्त राज्य बिहार में इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं. राज्य के कुल 68,800 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र बाढ़ प्रभावित है. इसलिए, बिहार में पुल गिरने की नियमित घटनाएं विनाशकारी हैं, क्योंकि बड़े पैमाने पर लोगों की जान दांव पर लगी है.
सरकार की घोर लापरवाही
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि सरकार की घोर लापरवाही, ठेकेदारों और संबंधित एजेंसियों के भ्रष्ट गठजोड़ के कारण भविष्य में भी ऐसी घटनाएं हो सकती हैं. गौरतलब है कि अब तक मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण और किशनगंज जिलों से पुल ढहने की घटनाएं सामने आई हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बैठक की
इन घटनाओं के मद्देनजर और विपक्ष की तीखी आलोचना का सामना करने के बाद, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बैठक की अध्यक्षता की और सड़क निर्माण विभाग (RCD) और ग्रामीण कार्य विभाग (RWD) को राज्य के सभी पुराने पुलों का तुरंत सर्वे करने और उन पुलों की पहचान करने का निर्देश दिया, जिन्हें तत्काल मरम्मत की आवश्यकता है.
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