चंडीगढ़: हरियाणा में विधानसभा चुनाव चल रहा है. चुनावी शोरगुल के बीच सियासी किस्सों के चर्चे भी शुरू हो जाते हैं. चुनावी मौसम में नेताओं का दल बदलना सबसे आम बात होती है. दल बदल के साथ ही राजनीति की आम कहावत जुड़ी हुई है 'आया राम गया राम' की. सियासत के सबसे चर्चित मुहावरे आया राम गया राम की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. और सबसे खास बात ये कि इसकी पैदाइश हरियाणा में हुई है.
जेजेपी के 10 में 7 विधायकों ने बदला दल
हरियाणा विधानसभा चुनाव के बीच जेजेपी के 10 में से 7 विधायक बीजेपी और कांग्रेस के पाले में जा चुके हैं. हरियाणा की सियासत में वैसे भी आया राम, गया राम का इतिहास रहा है. जो विधानसभा चुनाव शुरू होने से पहले ही शुरू हो गया है. जेजेपी विधायकों के पलायन ने आया राम, गया राम के इतिहास को याद दिला दिया है. साल 2018 में बनी जननायक जनता पार्टी 2019 के विधानसभा चुनाव में दस सीटें जीतने में कामयाब हुई थी. लेकिन 2024 आते-आते पार्टी में बिखराव शुरू हो गया. जैसे ही लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन टूटा, वैसे ही पार्टी के विधायक अन्य दलों में टिकट पाने के लिए जुगाड़ लगाने लग गए. पार्टी के दस में से 7 विधायक बीजेपी और कांग्रेस के पाले में जा चुके हैं.
क्या है आया राम, गया राम का सियासी किस्सा?
आया राम गया राम हरियाणा की सियासत का वो किस्सा है, जिसमें गठबंधन की सरकार बनाने के लिए एक निर्दलीय विधायक ने इस तरह पार्टी बदली बदली मानो कोई कपड़े बदलता है. इन्होंने करीब दो सप्ताह में ही तीन बार पार्टियां बदली. ये किस्सा हरियाणा के राज्य बनने के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव से जुड़ा है. एक नवंबर 1966 को हरियाणा के गठन के बाद 1967 में पहला विधानसभा चुनाव हुआ. और यहीं से इस मुहावरे की कहानी शुरू होती है.
हरियाणा गठन के बाद पहले चुनाव में प्रदेश की 81 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 48 सीटें जीतों थी. भारतीय जन संघ ने 12, निर्दलीय 16 विधायक और स्वतंत्रता पार्टी 3 जबकि रिपब्लिकन पार्टी को दो सीटें मिली थीं. यानी निर्दलीय कांग्रेस के बाद अन्य दलों से ज्यादा थे. इन्हीं निर्दलीय में से एक नेता थे पलवल जिले की हसनपुर (अब होडल) सुरक्षित सीट से निर्दलीय विधायक गया लाल.
हरियाणा की पहली सरकार के मुख्यमंत्री भगवत दयाल शर्मा बने. जिनकी सरकार करीब एक सप्ताह ही टिक पाई. कांग्रेस पार्टी भी टूट गई और 12 विधायकों ने अलग पार्टी बना ली. वहीं निर्दलीय भी अपना फ्रंट बनाकर मोलभाव करने लगे. बाद में कांग्रेस से अलग हुए विधायकों और अन्य मिलाकर 48 हो गए. इस संयुक्त विधायक दल के नेता बने विशाल हरियाणा पार्टी के अध्यक्ष राव बीरेंद्र सिंह. राव बीरेंद्र सिंह प्रदेश के सीएम बन गये. लेकिन राव बीरेंद्र भी ज्यादा दिन तक सीएम नहीं रह पाये.
एक दिन में बदली 3 पार्टी
इस जोड़तोड़ में सबसे बड़ी चर्चा का विषय थे हसनपुर (अब होडल) सीट से निर्दलीय विधायक गया लाल. जिन्होंने पहले कांग्रेस और बाद में यूनाइटेड फ्रंट का दामन थामा. उसके बाद फिर तुरंत कांग्रेस में वापस आ गये. वो यूनाइटेड फ्रंट के बाद आर्य समाज सभा के साथ भी गए. इसके बाद वे भारतीय लोकदल में भी रहे. भारतीय लोकदल से बनी जनता पार्टी से भी चुनाव लड़े. सरकार बनाने की जोड़तोड़ में किसी को नहीं पता होता था कि वो किसके साथ हैं. कहा जाता है कि महज 24 घंटे में उन्होंने तीन पार्टी बदली.
पूर्व सीएम राव बीरेंद्र ने पहली बार कहा 'आया राम, गया राम'
जब मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह ने सीएम बनने के बाद एक पत्रकार वार्ता की तो उन्होंने इसमें गया राम का परिचय कुछ इस तरह दिया. गया राम अब आया राम हैं. इसके बाद यह मुहावरा भारतीय राजनीति का हिस्सा बना गया. जिसका कई नेताओं ने बाद में राजनीतिक दल बदलने वाले नेताओं के लिए इस्तेमाल किया. उसके बाद ये प्रचलित हो गया.
गया लाल के बेटे उदयभान हैं हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष
गया लाल के बेटे उदयभान इस समय हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. हालांकि वे भी अपने पिता की राह पर ही चलते दिखे. उन्होंने 1987 में लोक दल और बीजेपी के संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत गए. 1991 में जनता पार्टी से चुनाव लड़े लेकिन हार गए. इसके बाद 1996 में निर्दलीय लड़े और हाल गये. हालांकि 2000 में निर्दलीय विधायक बने और फिर भारतीय राष्ट्रीय लोकदल में शामिल हो गये. उदयभान 2004 में कांग्रेस में शामिल हो गये.
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