चंडीगढ़: पीजीआई चंडीगढ़ अपनी अलग-अलग तरह की रिसर्च के लिए जाना जाता है. यहां पर इलाज कराने के लिए पहुंचने वाले मरीजों और उनके परिजनों का विश्वास ही है कि यह संस्थान अपनी साख बनाए हुए है. इंडियन कॉलेज ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन द्वारा रेडियो फार्मास्युटिकल विषय पर एक विशेष कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. इसमें देश के अलग-अलग राज्यों से आए न्यूक्लियर मेडिसिन के क्षेत्र में विशेषज्ञ शामिल हुए.
क्या है न्यूक्लियर मेडिसिन?: आखिर न्यूक्लियर मेडिसिन क्या है. इसे आसान भाषा में समझाते हुए प्रो. जया शुक्ला ने बताया "न्यूक्लियर मेडिसिन का मतलब है कि शरीर के किसी कोने में जहां बीमारी पनप रही है उसे ढूंढना. इसके अलावा उस बीमारी को ढूंढते हुए, उससे संबंधित डॉक्टर को इस बारे में पूरी जानकारी देना कि वह समस्या कितनी बड़ी है. यह काम न्यूक्लियर मेडिसिन के द्वारा किया जाता है. न्यूक्लियर मेडिसिन मरीज को इंजेक्ट किया जाता है. जिससे वह तरल पदार्थ शरीर के हर एक कोने से होते हुए, शरीर से निकासी की जगह से निकलता है."
चंडीगढ़ पीजीआई में न्यूक्लियर मेडिसिन से इलाज: न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग की प्रोफेसर जया शुक्ला ने बताया कि न्यूक्लियर मेडिसिन आज के दौर में बहुचर्चित हो रही है. उन्होंने कहा "रेडियो फार्मास्युटिकल के विकास में एक रिसर्च की गई है. इस तकनीक के 2 पेटेंट हो चुके हैं, एक वह जिनमें रेडियो एक्टिविटी जुड़ी हुई हैं, दूसरी तकनीक वह है जिनमें रेडियो एक्टिविटी नहीं है. इसे कोई अस्पताल ले सकता है और अपने अस्पताल में ले जाकर उसमें रेडियो एक्टिविटी जोड़ सकता है. जल्द ही ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी की प्रक्रिया पूरी कर इस दवा को बाजार में उतारने की तैयारी की जा रही है."
क्या होता है रेडियो फार्मास्युटिकल ?: आखिर रेडियो फार्मास्युटिकल क्या है. इसके बारे में प्रो. जया शुक्ला बताती हैं "रेडियो फार्मास्युटिकल जब मरीज की बॉडी में इंजेक्ट करते हैं तो वह अपने टारगेट पर जाकर ट्यूमर पर चिपक जाता है. इस तकनीक से नुकसान की संभावना बहुत ही कम है. कनाडा से जो माइक्रो स्पेयर्स करीब 10 लाख में उपलब्ध हो रहा है, उसे पीजीआई चंडीगढ़ में बेहद कम खर्च में बनाया जा रहा है."
न्यूक्लियर मेडिसिन से डॉक्टर को भी मदद: प्रो. जया शुक्ला ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में कहा "मान लीजिए किसी महिला को ब्रेस्ट कैंसर हुआ है. न्यूक्लियर मेडिसिन की मदद से ब्रेस्ट कैंसर किस जगह शुरू हो रहा है. वह एक ही इमेज में बता देता है. जिससे उस बीमारी को ठीक करने में एक डॉक्टर को मदद मिलती है. एक तरल पदार्थ के चलते शरीर के किसी भी कोने में पाई जाने वाली या शुरू होने वाली बीमारी को पहचाना जा सकता है."
प्राइवेट के मुकाबले PGI में इलाज सस्ता: न्यूक्लियर मेडिसिन के तहत अब तक 60 से अधिक लोगों पर इस संबंध रिसर्च की जा चुकी है. यह इलाज पीजीआई से बाहर भी होता है, लेकिन इस प्रक्रिया के लिए बाहर 10 लाख से अधिक खर्च आ जाता है. वहीं, पीजीआई में 2 तरीकों से न्यूक्लियर मेडिसिन का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में पीजीआई के बाहर किसी निजी संस्थान में इलाज करने के नतीजे भी वैसे ही हैं, जैसे पीजीआई में इलाज करने के नतीजे हैं. फिलहाल पीजीआई में न्यूक्लियर मेडिसिन के तहत इलाज कराने वाले मरीजों की बहुत ही लंबी लिस्ट है.
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