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आज रात आसमान में दिखेंगे टूटते तारे, अद्भुत नजारा कर देगा हैरान, पढ़िए कब और कैसे देख सकते हैं ये खगोलीय घटना - Perseid meteor shower 2024

हर साल की तरह इस बार भी उल्का पिंडों की बारिश होगी. तेजी से गिरते ये उल्का पिंड आसमान से टूटते तारों की तरह नजर आएंगे. यह खगोलीय घटना काफी विहंगम होगी. इसे साधारण आंखों से भी देखा जा सकता है.

आज रात होगी उल्का पिंडों की बारिश.
आज रात होगी उल्का पिंडों की बारिश. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 12, 2024, 10:41 AM IST

गोरखपुर : आसमान में आज अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा. हर साल शानदार उल्का और पर्सिड उल्का वर्षा होती है. शूटिंग स्टार्स का ये समागम काफी खास होता है. आज आधी रात से तड़के तक टूटते तारों का यह नजारा दिखाई देगा. यह अद्भुत खगोलीय घटना कब देख सकते हैं?, क्यों होती है ऐसी घटना?, कैसे देख सकते हैं, आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

क्यों टूटते हैं तारे : वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला ( तारामंडल) गोरखपुर के खगोलविद अमरपाल सिंह ने बताया कि पुराने समय में लोगों की मान्यताएं थीं कि आकाश में प्रत्येक व्यक्ति का अपना एक तारा है. जब उन्हें कोई टूटता हुआ तारा (शूटिंग स्टार) दिखाई देता था तो उन्हें लगता था कि कोई व्यक्ति जरूर ही इस लोक से उस लोक की अनंत कालीन महायात्रा पर निकला है. धीरे-धीरे कुछ हद तक अंधविश्वास दूर होता गया. अब हम लोग जानते हैं कि वह टूटते हुए तारे वास्तविक तारे नहीं होते हैं, बल्कि वह उल्काएं होती हैं. यह रात में कुछ देर के लिए चमक उठती हैं और अति सुंदर भी नज़र आती हैं.

Perseid meteor shower 2024
Perseid meteor shower 2024 (Photo Credit; ETV Bharat)

पृथ्वी लगाती है सूर्य के चक्कर : खगोलविद पाल ने बताया कि पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है. पृथ्वी अपने अक्ष पर सतत घूमते हुए सूर्य का चक्कर भी लगाती है. पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमने के कारण ही हमें दिन और रात का अनुभव होता है. पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमने को घूर्णन (रोटेशन) कहा जाता है. पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने को परिभ्रमण (रिवोल्यूशन) कहा जाता है. पृथ्वी को सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में लगने वाले समय को हम वर्ष कहते हैं. पृथ्वी अपने वार्षिक परिभ्रमणीय यात्रा के दौरान सूर्य का चक्कर लगाते हुए किसी धूमकेतु द्वारा लंबी दीर्घ वृत्ताकार कक्षाओं में सूर्य की परिक्रमा करती है. उनसे निकले हुए कण उनकी कक्षाओं में चक्कर लगाते रहते हैं.

इतनी होती है उल्का पिंडों की स्पीड : कंकड़ पत्थर, जलवाष्प, गैस, धूल कणों आदि के बने अंतरिक्षीय मलबे पृथ्वी के वायुमंडल में दाखिल होते हैं. गुरुत्वाकर्षण बल और वायुमंडलीय घर्षण के कारण क्षण भर के लिए ये चमक के साथ जल उठते हैं. इस दौरान रात्रि के समय आकाश में यह चमकते हुए दिखाई देते हैं. इसके बाद फिर कुछ समय में ही गायब हो जाते हैं. इसे ही खगोल विज्ञान की भाषा में उल्का और सामान्य भाषा में टूटता हुआ तारा ( शूटिंग स्टार) कहा जाता है. इनकी गति लगभग 70 किलोमीटर प्रति सेकंड से भी अधिक हो सकती है.

Perseid meteor shower 2024
Perseid meteor shower 2024 (Photo Credit; ETV Bharat)

खगोलविद ने बताया कि अधिकांश उल्काएं 130 से 180 किलोमीटर की ऊंचाई पर जलकर राख हो जाती हैं. यही आकाश में टूटते हुए तारों का आभास कराते हैं. इन्हें आम बोलचाल की भाषा में टूटता हुआ तारा भी कहा जाता है. वास्तव ये टूटते हुए तारे नहीं होते हैं. इन्हें ही खगोल विज्ञान की भाषा में उल्काएं कहा जाता है. ये घटना कुछ खास महीनों में ज्यादा नजर आती है.

कब दिखाई देंगी उल्काएं : खगोलविद अमर पाल के अनुसार वैसे तो लगभग रात्रि आठ बजे के बाद से ही यह नजारा दिखना शुरू हो जाएगा लेकिन, 12 तारीख की मध्य रात्रि से 13 तारीख की भोर तक यह बेहद खूबसूरत नजर आएगा. अगस्त माह में होने वाली उल्का वृष्टि को परसीड्स उल्का वृष्टि कहा जाता है. यह उल्काएं पर्सियस तारामंडल से आती हुई दिखाई देती हैं. उल्काएं जिस तारामंडल के बिंदु की तरफ से आती हुई दिखाई देती हैं, उसे खगोल विज्ञान की भाषा में मीटियर रेडिएंट प्वाइंट (उल्का विकीर्णक बिंदु) कहा जाता है,

मगर यह ध्यान में रखना जरूरी है कि किसी तारामंडल के एक बिंदु से उल्काओं के विकीर्णन का यह नजारा सिर्फ एक दृष्टि भ्रम है. वास्तव में तारे हमसे बहुत दूर हैं, लेकिन उल्काएं करीब 100 से 120 किलोमीटर ऊपर ही वायुमंडल में पहुंचने पर प्रज्जवलित हो जाती हैं. उल्का वृष्टि किसी न किसी धूमकेतु से ही संबंधित होती है. अगस्त माह की पर्सिड्स उल्का वृष्टि का संबंध भी धूमकेतु स्विफ्ट टटल या 109पी/स्विफ्ट टटल नामक धूमकेतू से है.

Perseid meteor shower 2024
Perseid meteor shower 2024 (Photo Credit; ETV Bharat)

कितनी उल्काएं दिखेंगी इस बार : अमर पाल सिंह ने बताया कि इस बार अगस्त 12/13 की रात्रि को आप एक घंटे में कम से कम 60 से लेकर 100 उल्काएं तक देख सकते हैं, जबकि इनका दिखना मौसमी घटनाओं पर भी निर्भर करता है.

कब से कब तक होता है यह अनोखा नजारा : प्रत्येक वर्ष लगभग 17 जुलाई से शुरू होकर 24 अगस्त तक चलती है पर्सिडस मीटियोर शॉवर. इस वर्ष अगस्त माह में 12/13 तारीख की रात्रि के दौरान यह उल्का वृष्टि अपने चरम सीमा पर दिखाई देंगी. जिससे इन उल्काओं की वृष्टि को और भी अच्छे से देखा जा सकता है.

आकाश में किस तरफ से आती दिखाई देंगी उल्काएं : खगोलविद ने बताया कि वैसे तो आकाश में किसी भी दिशा से आती हुई यह दिख सकती हैं, लेकिन अगस्त माह में होने वाली उल्का वृष्टि को देखने के लिए आपको रात्रि के आकाश में पूर्वोत्तर दिशा की ओर से आती हुई दिखाई देंगी. इनकी दृश्यता भी उच्च कोटि की होगी.

Perseid meteor shower 2024
Perseid meteor shower 2024 (Photo Credit; ETV Bharat)

कैसे देखें : खगोलविद ने बताया कि बिना किसी खास दूरबीन या बायनोक्यूलर्स या अन्य सहायक उपकरणों के भी यह नजारा भव्य दिखाई देगा. इसके लिए किसी भी प्रकार के खास उपकरणों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. आप सीधे तौर पर अपने घरों से ही किसी भी साफ, स्वच्छ, अंधेरे वाली जगह से साधारण आंखों से ही इस नजारे का लुत्फ उठा सकते हैं. शहरी क्षेत्रों में अधिक प्रकाश प्रदूषण होने के कारण कुछ व्यवधान उत्पन्न हो सकता है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में निवास करने वाले लोग आसानी से यह नजारा देख सकते हैं. बादल, आंधी, बरसात , तूफान आदि की स्थिति में इस घटना को देखना मुश्किल है.

यह भी पढ़ें : रोड जाम-प्रदर्शन केस, AAP सांसद संजय सिंह, पूर्व सपा विधायक अनूप संडा समेत 6 दोषी आज सुलतानपुर MP-MLA कोर्ट में कर सकते हैं सरेंडर

गोरखपुर : आसमान में आज अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा. हर साल शानदार उल्का और पर्सिड उल्का वर्षा होती है. शूटिंग स्टार्स का ये समागम काफी खास होता है. आज आधी रात से तड़के तक टूटते तारों का यह नजारा दिखाई देगा. यह अद्भुत खगोलीय घटना कब देख सकते हैं?, क्यों होती है ऐसी घटना?, कैसे देख सकते हैं, आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

क्यों टूटते हैं तारे : वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला ( तारामंडल) गोरखपुर के खगोलविद अमरपाल सिंह ने बताया कि पुराने समय में लोगों की मान्यताएं थीं कि आकाश में प्रत्येक व्यक्ति का अपना एक तारा है. जब उन्हें कोई टूटता हुआ तारा (शूटिंग स्टार) दिखाई देता था तो उन्हें लगता था कि कोई व्यक्ति जरूर ही इस लोक से उस लोक की अनंत कालीन महायात्रा पर निकला है. धीरे-धीरे कुछ हद तक अंधविश्वास दूर होता गया. अब हम लोग जानते हैं कि वह टूटते हुए तारे वास्तविक तारे नहीं होते हैं, बल्कि वह उल्काएं होती हैं. यह रात में कुछ देर के लिए चमक उठती हैं और अति सुंदर भी नज़र आती हैं.

Perseid meteor shower 2024
Perseid meteor shower 2024 (Photo Credit; ETV Bharat)

पृथ्वी लगाती है सूर्य के चक्कर : खगोलविद पाल ने बताया कि पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है. पृथ्वी अपने अक्ष पर सतत घूमते हुए सूर्य का चक्कर भी लगाती है. पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमने के कारण ही हमें दिन और रात का अनुभव होता है. पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमने को घूर्णन (रोटेशन) कहा जाता है. पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने को परिभ्रमण (रिवोल्यूशन) कहा जाता है. पृथ्वी को सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में लगने वाले समय को हम वर्ष कहते हैं. पृथ्वी अपने वार्षिक परिभ्रमणीय यात्रा के दौरान सूर्य का चक्कर लगाते हुए किसी धूमकेतु द्वारा लंबी दीर्घ वृत्ताकार कक्षाओं में सूर्य की परिक्रमा करती है. उनसे निकले हुए कण उनकी कक्षाओं में चक्कर लगाते रहते हैं.

इतनी होती है उल्का पिंडों की स्पीड : कंकड़ पत्थर, जलवाष्प, गैस, धूल कणों आदि के बने अंतरिक्षीय मलबे पृथ्वी के वायुमंडल में दाखिल होते हैं. गुरुत्वाकर्षण बल और वायुमंडलीय घर्षण के कारण क्षण भर के लिए ये चमक के साथ जल उठते हैं. इस दौरान रात्रि के समय आकाश में यह चमकते हुए दिखाई देते हैं. इसके बाद फिर कुछ समय में ही गायब हो जाते हैं. इसे ही खगोल विज्ञान की भाषा में उल्का और सामान्य भाषा में टूटता हुआ तारा ( शूटिंग स्टार) कहा जाता है. इनकी गति लगभग 70 किलोमीटर प्रति सेकंड से भी अधिक हो सकती है.

Perseid meteor shower 2024
Perseid meteor shower 2024 (Photo Credit; ETV Bharat)

खगोलविद ने बताया कि अधिकांश उल्काएं 130 से 180 किलोमीटर की ऊंचाई पर जलकर राख हो जाती हैं. यही आकाश में टूटते हुए तारों का आभास कराते हैं. इन्हें आम बोलचाल की भाषा में टूटता हुआ तारा भी कहा जाता है. वास्तव ये टूटते हुए तारे नहीं होते हैं. इन्हें ही खगोल विज्ञान की भाषा में उल्काएं कहा जाता है. ये घटना कुछ खास महीनों में ज्यादा नजर आती है.

कब दिखाई देंगी उल्काएं : खगोलविद अमर पाल के अनुसार वैसे तो लगभग रात्रि आठ बजे के बाद से ही यह नजारा दिखना शुरू हो जाएगा लेकिन, 12 तारीख की मध्य रात्रि से 13 तारीख की भोर तक यह बेहद खूबसूरत नजर आएगा. अगस्त माह में होने वाली उल्का वृष्टि को परसीड्स उल्का वृष्टि कहा जाता है. यह उल्काएं पर्सियस तारामंडल से आती हुई दिखाई देती हैं. उल्काएं जिस तारामंडल के बिंदु की तरफ से आती हुई दिखाई देती हैं, उसे खगोल विज्ञान की भाषा में मीटियर रेडिएंट प्वाइंट (उल्का विकीर्णक बिंदु) कहा जाता है,

मगर यह ध्यान में रखना जरूरी है कि किसी तारामंडल के एक बिंदु से उल्काओं के विकीर्णन का यह नजारा सिर्फ एक दृष्टि भ्रम है. वास्तव में तारे हमसे बहुत दूर हैं, लेकिन उल्काएं करीब 100 से 120 किलोमीटर ऊपर ही वायुमंडल में पहुंचने पर प्रज्जवलित हो जाती हैं. उल्का वृष्टि किसी न किसी धूमकेतु से ही संबंधित होती है. अगस्त माह की पर्सिड्स उल्का वृष्टि का संबंध भी धूमकेतु स्विफ्ट टटल या 109पी/स्विफ्ट टटल नामक धूमकेतू से है.

Perseid meteor shower 2024
Perseid meteor shower 2024 (Photo Credit; ETV Bharat)

कितनी उल्काएं दिखेंगी इस बार : अमर पाल सिंह ने बताया कि इस बार अगस्त 12/13 की रात्रि को आप एक घंटे में कम से कम 60 से लेकर 100 उल्काएं तक देख सकते हैं, जबकि इनका दिखना मौसमी घटनाओं पर भी निर्भर करता है.

कब से कब तक होता है यह अनोखा नजारा : प्रत्येक वर्ष लगभग 17 जुलाई से शुरू होकर 24 अगस्त तक चलती है पर्सिडस मीटियोर शॉवर. इस वर्ष अगस्त माह में 12/13 तारीख की रात्रि के दौरान यह उल्का वृष्टि अपने चरम सीमा पर दिखाई देंगी. जिससे इन उल्काओं की वृष्टि को और भी अच्छे से देखा जा सकता है.

आकाश में किस तरफ से आती दिखाई देंगी उल्काएं : खगोलविद ने बताया कि वैसे तो आकाश में किसी भी दिशा से आती हुई यह दिख सकती हैं, लेकिन अगस्त माह में होने वाली उल्का वृष्टि को देखने के लिए आपको रात्रि के आकाश में पूर्वोत्तर दिशा की ओर से आती हुई दिखाई देंगी. इनकी दृश्यता भी उच्च कोटि की होगी.

Perseid meteor shower 2024
Perseid meteor shower 2024 (Photo Credit; ETV Bharat)

कैसे देखें : खगोलविद ने बताया कि बिना किसी खास दूरबीन या बायनोक्यूलर्स या अन्य सहायक उपकरणों के भी यह नजारा भव्य दिखाई देगा. इसके लिए किसी भी प्रकार के खास उपकरणों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. आप सीधे तौर पर अपने घरों से ही किसी भी साफ, स्वच्छ, अंधेरे वाली जगह से साधारण आंखों से ही इस नजारे का लुत्फ उठा सकते हैं. शहरी क्षेत्रों में अधिक प्रकाश प्रदूषण होने के कारण कुछ व्यवधान उत्पन्न हो सकता है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में निवास करने वाले लोग आसानी से यह नजारा देख सकते हैं. बादल, आंधी, बरसात , तूफान आदि की स्थिति में इस घटना को देखना मुश्किल है.

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