कानपुर : कहा जाता है, कि जो फल होते हैं उनकी मिठास लोगों को स्वाद का अहसास तो कराती ही है, फल खाने से सेहत भी दुरुस्त बनी रहती है. अभी तक खाड़ी देशों के लोग पाकिस्तान से जामुन मंगाकर उसका स्वाद चखते थे. लेकिन, जैसे ही उन्हें कानपुर की ऐतिहासिक धरती और गंगा किनारे वाली जगह बिठूर में उगे जामुनों का स्वाद मिला तो वह पाकिस्तान से आने वाले जामुनों को भूल गए. यही वजह है, कि कानपुर के निर्यात कारोबारी कर्मजीत सिंह को लाखों रुपये का जामुन का ही आर्डर मिल गया है.
इन आंकड़ों को देखिए |
- एक कैरेट में कुल जामुन तैयार होता है : 25 किलोग्राम |
- एक किसान के पास कुल कैरेट मिल जाती है: 100 से 150 |
- एक किसान औसतन जामुन एक सीजन में तैयार कर लेता है: 2500 किलोग्राम (2.5 टन) |
- बिठूर में विशेष प्रकार के जामुन की खेती करने वाले कुल किसानों की संख्या: 50 से 55 |
- एक किसान के पास औसतन जामुन के पेड़: 100 से 150 |
कर्मजीत ने इस मामले पर ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की. उन्होंने बताया, कि कई खाड़ी देशों में अब हम बिठूर का जामुन भेजेंगे. इस जामुन से जहां जूस बनेगा, वहीं लोग इसका मीठा व रसीला स्वाद चख सकेंगे. बोले, यह जामुन एक विशेष प्रकार की प्रजाति है. जिसे केवल 50 से 55 किसान हर साल उगाते हैं. एक किसान के पास औसतन 150 से 200 पेड़ होते हैं. जबकि, जो सबसे अधिक पेड़ों वाला किसान है, उनके पास 1000 से अधिक पेड़ हैं.
दुबई के कारोबारियों ने विशेष रूप से मंगवाया जामुन, तैयार होंगी गुठलियां : निर्यात कारोबारी कर्मजीत सिंह ने बताया, कि दुबई के कारोबारियों ने तो विशेष तौर पर जामुन मंगवाए हैं. उनका कहना है, कि वह जामुन की गुठलियों को सूखाकर उनका चूर्ण बनाएंगे और फिर उसे शुगर की दवा के तौर पर उपयोग में लेंगे. कारोबारियों का कहना था, कि यह विशेष प्रकार का जामुन विदेश में बहुत अधिक पसंद किया जा रहा है. वहीं, कर्मजीत सिंह ने बताया कि जो जामुन हम भेजते हैं, उसका फल आकार में बड़ा होता है और उसमें बहुत अधिक पल्प मिल जाता है.
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