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चुनावी रणनीति के 'चाणक्य' प्रशांत किशोर... क्या बन पाएंगे बिहार की सियासत के सूरमा ? - PRASHANT KISHOR

PRASHANT KISHOR FORMED JAN SURAJ PARTY: अपनी रणनीतियों से कई नेताओं को सत्ता के सिंहासन तक पहुंचाने के बाद अब प्रशांत किशोर खुद सियासी दंगल में उतर आए है. गांधी जयंती के मौके पर उन्होंने जन सुराज पार्टी के नाम का एलान किया. अब सवाल ये है कि चुनावी रणनीति के 'चाणक्य' के रूप में पहचान बनानेवाले पीके क्या बिहार की सियासत के सूरमा बन पाएंगे ?

बिहार के सियासी सूरमा बन पाएंगे PK ?
बिहार के सियासी सूरमा बन पाएंगे PK ? (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 2, 2024, 10:35 PM IST

पटनाः 2 अक्टूबर को बिहार की सियासत में एक नयी पार्टी का पदार्पण हुआ और 2 साल तक पदयात्रा के बाद प्रशांत किशोर ने सियासत में सीधी एंट्री लेते हुए अपनी पार्टी के नाम का एलान कर दिया. जन सुराज के नाम से नयी पार्टी का एलान करते हुए प्रशांत किशोर ने अवकाश प्राप्त राजनयिक और दलित समाज से आनेवाले मनोज भारती को पार्टी का पहला कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर ये संकेत दे दिया कि आनेवाले दिनों में वे बिहार के सियासी दलों के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकते हैं.

नीतीश-लालू के साथ कर चुके हैं कामः वैसे तो प्रशांत किशोर चुनावी रणनीति के चाणक्य माने जाते हैं और 2012 से लेकर 2021 तक कई राजनेताओं को सत्ता के सिंहासन तक पहुंचाकर उन्होंने ये बात साबित भी की है. जहां तक बिहार की बात है 2015 में मोदी लहर के बीच भी पीके ने अपने चुनावी प्रबंधन के दम पर बिहार में महागठबंधन को बड़ी जीत दिलाई थी. इस तरह प्रशांत किशोर को लालू और नीतीश के साथ काम करने और उनकी नीतियों को समझने का भी व्यापक अनुभव है.

कितने असरदार साबित होंगे PK ? (ETV BHARAT)

जातीय समीकरण पर पैनी नजरः बिहार का चुनावी इतिहास इस बात का गवाह है कि यहां मुद्दों से ज्यादा जातियों की चलती है. प्रशांत किशोर इस बात को समझ चुके हैं और यही कारण है कि जितनी हिस्सेदारी, उतनी भागीदारी की बात न सिर्फ कह रहे हैं बल्कि उसे चुनावी धरातल पर उतारने की भी पूरी प्लानिंग तैयार कर चुके हैं. दलित समाज से आनेवाले मनोज भारती को पार्टी का पहला कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर उन्होंने बता दिया है कि वो जाति का जवाब जाति से देंगे.

PK ने बनाई जन सुराज पार्टी
PK ने बनाई जन सुराज पार्टी (ETV BHARAT)

बिखर सकता है लालू का MY समीकरणः प्रशांत किशोर अपनी सभाओं में अक्सर कहा करते हैं कि उनकी लड़ाई NDA से है और वो आरजेडी को तो चुनौती मानते ही नहीं है. प्रशांत किशोर की इस बात में कितना दम है ये तो अलग विषय है लेकिन एक बात साफ है कि प्रशांत किशोर ने बिहार की 40 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम कैंडिडेट उतारने की घोषणा कर ये बता दिया है कि उनकी नजर खास तौर पर लालू के MY समीकरण पर है.

अति पिछड़ों-महिलाओं पर भी खास नजरः इसके अलावा जेडीयू के सबसे बड़े वोट बैंक अति पिछड़ों पर भी प्रशांत किशोर की खास नजर है. जितनी हिस्सेदारी, उतनी भागीदारी की बात करते हुए पीके ने बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 36 फीसदी आबादी वाले अति पिछड़े वर्ग से 75 कैंडिडेट उतारने का एलान किया है तो नीतीश के दूसरे सबसे बड़े वोट बैंक महिला वर्ग से भी 40 उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है.

बिहार की सियासत में जन सुराज का आगाज
बिहार की सियासत में जन सुराज का आगाज (ETV BHARAT)

40 दलित कैंडिडेट भी खड़े करने की घोषणाः बिहार में अति पिछड़ों के बाद सबसे ज्यादा 21 फीसदी आबादी दलितों की है. ऐसे में प्रशांत किशोर की खास नजर दलित वोट बैंक पर भी है. दलित समाज से आनेवाले मनोज भारती को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाना इसी रणनीति का हिस्सा है. साथ ही प्रशांत किशोर 40 सीटों पर दलित उम्मीदवार खड़ा करने का एलान पहले ही कर चुके हैं.

सियासी दलों के लिए नयी चुनौतीः प्रशांत किशोर ने दो सालों की पदयात्रा के दौरान प्रदेश के अधिकतर हिस्सों का दौरा किया है और लोगों की भावनाओं को समझने की कोशिश की है. इसके अलावा जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए जिस तरह से अपनी रणनीति तैयार कर रहे हैं वो निश्चित रूप से बिहार के सियासी दलों के लिए चुनौती बननेवाली है. वो चाहे जेडीयू या बीजेपी हो या फिर आरजेडी. इसके अलावा चिराग पासवान, मुकेश सहनी और जीतन राम मांझी के लिए भी पीके बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकते हैं.

पदयात्रा से पार्टी तक
पदयात्रा से पार्टी तक (ETV BHARAT GFX)

AIMIM की सधी प्रतिक्रियाः मुस्लिम समुदाय की राजनीति के दम पर 2020 के विधानसभा चुनाव में 5 सीट हासिल करनेवाली AIMIM भी PK के बढ़ते प्रभाव से आशंकित है. हालांकि AIMIM के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने प्रशांत किशोर के पार्टी के गठन पर सधी प्रतिक्रिया दी है और उनका स्वागत किया है.

"प्रशांत किशोरजी को उनकी नयी पार्टी के लिए मैं मुबारकबाद देता हूं. लोकतांत्रित व्यवस्था में जो राजनीतिक पार्टियां हैं वही तो जनता की आवाज बनती हैं. बिहार में इस वक्त राजनीति का स्तर बहुत ज्यादा गिर गया है. ऐसे में यहां साफ-सुथरी राजनीति की जरूरत है. हमलोग प्रशांत किशोरजी से उम्मीद करते हैं कि बिहार में वो नयी राजनीति की दिशा-दशा तय करने में कामयाब होंगे."- अख्तरुल ईमान, प्रदेश अध्यक्ष, AIMIM

'चुनाव के बाद शटर गिर जाएगाः' हालांकि जेडीयू का कहना है कि चुनाव से पहले कई लोग आते-जाते रहते हैं और प्रशांत किशोर भी चुनाव के नतीजों के बाद गायब हो जाएंगे. बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री और जेडीयू नेता श्रवण कुमार का कहना है कि प्रशांत किशोर तो यूपी में भी गये थे, क्या हुआ ?

" अरे भाई ! उत्तर प्रदेश को बदलने गये थे पूरा खटिया ही लेकर चला गया. पूरा खटिया ही साफ हो गया तो क्या बदलेेंगे ? उनसे कोई बदलाव नहीं हो सकता है. चुनाव आ रहा है तो दुकान में कुछ आवेदन पड़ेंगे, स्क्रूटनी होगी और फिर शटर लग जाएगा."- श्रवण कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री

जातीय समीकरण साध पाएंगे पीके ?
जातीय समीकरण साध पाएंगे पीके ? (ETV BHARAT GFX)

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक ?: लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर बड़ा असर डाल सकते हैं. प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी का कहना है कि करीब 35 सालों से बिहार में लालू और नीतीश का शासन रहा है. लालू के शासन को लोग भूल नहीं पाए हैं तो नीतीश का ग्राफ तेजी से नीचे गिरा है. ऐसे में बिहार की जनता विकल्प तो तलाश कर रही है.

"नीतीश कुमार ने शुरुआत में जरूर अच्छा काम किया लेकिन अब गवर्नेंस के लेवल पर और कानून व्यवस्था के लेवल पर भी गिरावट आ रही है. बिहार के लोग नीतीश कुमार के शासन से भी ऊब चुके हैं और नये विकल्प की तलाश कर रहे हैं .प्रशांत किशोर यदि नया विकल्प लोगों को देते हैं तो निश्चित रूप से बिहार में असर डालेंगे." प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी, राजनीतिक विश्लेष

"प्रशांत किशोर ने लंबी पदयात्रा की है.बिहार को अच्छी तरह से जानते हैं. नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के लिए उन्होंने रणनीति भी बनाई है. बिहार में जिस वर्ग को टारगेट कर रहे हैं उन्हें पता है उनके क्या मुद्दे हैं. इससे न सिर्फ लालू प्रसाद और नीतीश कुमार की मुश्किल बढ़ेगी बल्कि बीजेपी और दूसरे छोटे दलों के लिए भी मुश्किल होनेवाली है."- प्रियरंजन भारती, राजनीतिक विशेषज्ञ

उपचुनाव में पहली परीक्षाः वैसे तो बिहार विधानसभा चुनाव में करीब एक साल बचे हैं लेकिन आनेवाले दिनों में बिहार की चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होनेवाले हैं. प्रशांत किशोर पहले ही उपचुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं. ऐसे में बिहार की सियासत में प्रशांत किशोर की क्षमताओं की परीक्षा जल्द ही हो सकती है. 4 सीटों के विधानसभा उपचुनाव में पीके की पार्टी का प्रदर्शन ये तय करेगा कि वो बिहार की सियासत को कितनी अच्छी तरह से समझ पाए हैं.

ये भी पढ़ेंःकौन हैं मनोज भारती? जिसे प्रशांत किशोर ने जन सुराज का बनाया कार्यवाहक अध्यक्ष - Prashant Kishor Jan Suraj Party

प्रशांत किशोर ने लॉन्च की अपनी पार्टी जन सुराज, मनोज भारती बने कार्यकारी अध्यक्ष - Prashant Kishor Political Party

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पटनाः 2 अक्टूबर को बिहार की सियासत में एक नयी पार्टी का पदार्पण हुआ और 2 साल तक पदयात्रा के बाद प्रशांत किशोर ने सियासत में सीधी एंट्री लेते हुए अपनी पार्टी के नाम का एलान कर दिया. जन सुराज के नाम से नयी पार्टी का एलान करते हुए प्रशांत किशोर ने अवकाश प्राप्त राजनयिक और दलित समाज से आनेवाले मनोज भारती को पार्टी का पहला कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर ये संकेत दे दिया कि आनेवाले दिनों में वे बिहार के सियासी दलों के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकते हैं.

नीतीश-लालू के साथ कर चुके हैं कामः वैसे तो प्रशांत किशोर चुनावी रणनीति के चाणक्य माने जाते हैं और 2012 से लेकर 2021 तक कई राजनेताओं को सत्ता के सिंहासन तक पहुंचाकर उन्होंने ये बात साबित भी की है. जहां तक बिहार की बात है 2015 में मोदी लहर के बीच भी पीके ने अपने चुनावी प्रबंधन के दम पर बिहार में महागठबंधन को बड़ी जीत दिलाई थी. इस तरह प्रशांत किशोर को लालू और नीतीश के साथ काम करने और उनकी नीतियों को समझने का भी व्यापक अनुभव है.

कितने असरदार साबित होंगे PK ? (ETV BHARAT)

जातीय समीकरण पर पैनी नजरः बिहार का चुनावी इतिहास इस बात का गवाह है कि यहां मुद्दों से ज्यादा जातियों की चलती है. प्रशांत किशोर इस बात को समझ चुके हैं और यही कारण है कि जितनी हिस्सेदारी, उतनी भागीदारी की बात न सिर्फ कह रहे हैं बल्कि उसे चुनावी धरातल पर उतारने की भी पूरी प्लानिंग तैयार कर चुके हैं. दलित समाज से आनेवाले मनोज भारती को पार्टी का पहला कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर उन्होंने बता दिया है कि वो जाति का जवाब जाति से देंगे.

PK ने बनाई जन सुराज पार्टी
PK ने बनाई जन सुराज पार्टी (ETV BHARAT)

बिखर सकता है लालू का MY समीकरणः प्रशांत किशोर अपनी सभाओं में अक्सर कहा करते हैं कि उनकी लड़ाई NDA से है और वो आरजेडी को तो चुनौती मानते ही नहीं है. प्रशांत किशोर की इस बात में कितना दम है ये तो अलग विषय है लेकिन एक बात साफ है कि प्रशांत किशोर ने बिहार की 40 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम कैंडिडेट उतारने की घोषणा कर ये बता दिया है कि उनकी नजर खास तौर पर लालू के MY समीकरण पर है.

अति पिछड़ों-महिलाओं पर भी खास नजरः इसके अलावा जेडीयू के सबसे बड़े वोट बैंक अति पिछड़ों पर भी प्रशांत किशोर की खास नजर है. जितनी हिस्सेदारी, उतनी भागीदारी की बात करते हुए पीके ने बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 36 फीसदी आबादी वाले अति पिछड़े वर्ग से 75 कैंडिडेट उतारने का एलान किया है तो नीतीश के दूसरे सबसे बड़े वोट बैंक महिला वर्ग से भी 40 उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है.

बिहार की सियासत में जन सुराज का आगाज
बिहार की सियासत में जन सुराज का आगाज (ETV BHARAT)

40 दलित कैंडिडेट भी खड़े करने की घोषणाः बिहार में अति पिछड़ों के बाद सबसे ज्यादा 21 फीसदी आबादी दलितों की है. ऐसे में प्रशांत किशोर की खास नजर दलित वोट बैंक पर भी है. दलित समाज से आनेवाले मनोज भारती को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाना इसी रणनीति का हिस्सा है. साथ ही प्रशांत किशोर 40 सीटों पर दलित उम्मीदवार खड़ा करने का एलान पहले ही कर चुके हैं.

सियासी दलों के लिए नयी चुनौतीः प्रशांत किशोर ने दो सालों की पदयात्रा के दौरान प्रदेश के अधिकतर हिस्सों का दौरा किया है और लोगों की भावनाओं को समझने की कोशिश की है. इसके अलावा जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए जिस तरह से अपनी रणनीति तैयार कर रहे हैं वो निश्चित रूप से बिहार के सियासी दलों के लिए चुनौती बननेवाली है. वो चाहे जेडीयू या बीजेपी हो या फिर आरजेडी. इसके अलावा चिराग पासवान, मुकेश सहनी और जीतन राम मांझी के लिए भी पीके बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकते हैं.

पदयात्रा से पार्टी तक
पदयात्रा से पार्टी तक (ETV BHARAT GFX)

AIMIM की सधी प्रतिक्रियाः मुस्लिम समुदाय की राजनीति के दम पर 2020 के विधानसभा चुनाव में 5 सीट हासिल करनेवाली AIMIM भी PK के बढ़ते प्रभाव से आशंकित है. हालांकि AIMIM के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने प्रशांत किशोर के पार्टी के गठन पर सधी प्रतिक्रिया दी है और उनका स्वागत किया है.

"प्रशांत किशोरजी को उनकी नयी पार्टी के लिए मैं मुबारकबाद देता हूं. लोकतांत्रित व्यवस्था में जो राजनीतिक पार्टियां हैं वही तो जनता की आवाज बनती हैं. बिहार में इस वक्त राजनीति का स्तर बहुत ज्यादा गिर गया है. ऐसे में यहां साफ-सुथरी राजनीति की जरूरत है. हमलोग प्रशांत किशोरजी से उम्मीद करते हैं कि बिहार में वो नयी राजनीति की दिशा-दशा तय करने में कामयाब होंगे."- अख्तरुल ईमान, प्रदेश अध्यक्ष, AIMIM

'चुनाव के बाद शटर गिर जाएगाः' हालांकि जेडीयू का कहना है कि चुनाव से पहले कई लोग आते-जाते रहते हैं और प्रशांत किशोर भी चुनाव के नतीजों के बाद गायब हो जाएंगे. बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री और जेडीयू नेता श्रवण कुमार का कहना है कि प्रशांत किशोर तो यूपी में भी गये थे, क्या हुआ ?

" अरे भाई ! उत्तर प्रदेश को बदलने गये थे पूरा खटिया ही लेकर चला गया. पूरा खटिया ही साफ हो गया तो क्या बदलेेंगे ? उनसे कोई बदलाव नहीं हो सकता है. चुनाव आ रहा है तो दुकान में कुछ आवेदन पड़ेंगे, स्क्रूटनी होगी और फिर शटर लग जाएगा."- श्रवण कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री

जातीय समीकरण साध पाएंगे पीके ?
जातीय समीकरण साध पाएंगे पीके ? (ETV BHARAT GFX)

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक ?: लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर बड़ा असर डाल सकते हैं. प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी का कहना है कि करीब 35 सालों से बिहार में लालू और नीतीश का शासन रहा है. लालू के शासन को लोग भूल नहीं पाए हैं तो नीतीश का ग्राफ तेजी से नीचे गिरा है. ऐसे में बिहार की जनता विकल्प तो तलाश कर रही है.

"नीतीश कुमार ने शुरुआत में जरूर अच्छा काम किया लेकिन अब गवर्नेंस के लेवल पर और कानून व्यवस्था के लेवल पर भी गिरावट आ रही है. बिहार के लोग नीतीश कुमार के शासन से भी ऊब चुके हैं और नये विकल्प की तलाश कर रहे हैं .प्रशांत किशोर यदि नया विकल्प लोगों को देते हैं तो निश्चित रूप से बिहार में असर डालेंगे." प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी, राजनीतिक विश्लेष

"प्रशांत किशोर ने लंबी पदयात्रा की है.बिहार को अच्छी तरह से जानते हैं. नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के लिए उन्होंने रणनीति भी बनाई है. बिहार में जिस वर्ग को टारगेट कर रहे हैं उन्हें पता है उनके क्या मुद्दे हैं. इससे न सिर्फ लालू प्रसाद और नीतीश कुमार की मुश्किल बढ़ेगी बल्कि बीजेपी और दूसरे छोटे दलों के लिए भी मुश्किल होनेवाली है."- प्रियरंजन भारती, राजनीतिक विशेषज्ञ

उपचुनाव में पहली परीक्षाः वैसे तो बिहार विधानसभा चुनाव में करीब एक साल बचे हैं लेकिन आनेवाले दिनों में बिहार की चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होनेवाले हैं. प्रशांत किशोर पहले ही उपचुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं. ऐसे में बिहार की सियासत में प्रशांत किशोर की क्षमताओं की परीक्षा जल्द ही हो सकती है. 4 सीटों के विधानसभा उपचुनाव में पीके की पार्टी का प्रदर्शन ये तय करेगा कि वो बिहार की सियासत को कितनी अच्छी तरह से समझ पाए हैं.

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प्रशांत किशोर.. नाम तो सुना होगा.. कितना जानते हैं आप उनको.. जानिए बिहार के लड़के की 'चाणक्य' बनने की कहानी - PRASHANT KISHOR

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