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पटना HC ने पत्नी के पक्ष में जारी भरण-पोषण आदेश को किया खारिज, जानें क्या है पूरा मामला

पटना हाईकोर्ट ने पत्नी के पक्ष में जारी भरण-पोषण के आदेश को खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने इस आदेश को एकपक्षीय माना. पढ़ें पूरी खबर-

पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 22, 2024, 11:03 PM IST

पटना : पटना हाईकोर्ट ने एक फैमिली कोर्ट द्वारा सीआरपीसी की धारा 126(2) के तहत पत्नी के पक्ष में जारी एकपक्षीय भरण-पोषण आदेश को खारिज कर दिया. इस मामले की सुनवाई जस्टिस अरविन्द सिंह चंदेल ने की. इसमें स्पष्ट किया गया कि ऐसा आदेश जारी करने से पहले, मजिस्ट्रेट को यह पुष्टि करनी चाहिए थी कि जिस व्यक्ति के खिलाफ भरण-पोषण की मांग की जा रही है, वह जानबूझकर सेवा से बच रहा है या अदालत में उपस्थित होने में लापरवाही बरत रहा है.

फैमिली कोर्ट का फैसला खारिज : यह निर्णय एक पति द्वारा दायर एक पुनरीक्षण याचिका से प्रारम्भ हुआ. इसमें फैमिली कोर्ट के उस निर्णय को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत उसे अपनी पत्नी को भरण-पोषण के रूप में हर महीने ₹10,000 देने का आदेश दिया गया था.

पति की ओर से HC का दरवाजा खटखटाया गया : पति की ओर से कोर्ट को बताया गया कि फैमिली कोर्ट ने सुनवाई की तारीख नहीं बताई. साथ ही यह दिखाने में विफल रहा कि उसने कार्यवाही में उपस्थित होने में जानबूझकर लापरवाही बरती है. इससे एकपक्षीय आदेश अमान्य हो जाता है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि फैमिली कोर्ट ने यह भी संकेत नहीं दिया था कि पति ने कार्यवाही में उपस्थित होने में जानबूझकर लापरवाही बरती है.

हाईकोर्ट ने माना एकपक्षीय आदेश : इसने इस बात पर जोर दिया कि भरण-पोषण के मामले के दायर होने के बारे में केवल जानकारी होना ही पर्याप्त नहीं है. याचिकाकर्ता को ट्रायल कोर्ट द्वारा निर्धारित विशिष्ट तिथि के बारे में भी सूचित किया जाना चाहिए. पटना हाईकोर्ट इस नतीजे पर पहुंचा कि फैमिली कोर्ट द्वारा जारी एकपक्षीय आदेश इन कारणों से अमान्य था.

पटना : पटना हाईकोर्ट ने एक फैमिली कोर्ट द्वारा सीआरपीसी की धारा 126(2) के तहत पत्नी के पक्ष में जारी एकपक्षीय भरण-पोषण आदेश को खारिज कर दिया. इस मामले की सुनवाई जस्टिस अरविन्द सिंह चंदेल ने की. इसमें स्पष्ट किया गया कि ऐसा आदेश जारी करने से पहले, मजिस्ट्रेट को यह पुष्टि करनी चाहिए थी कि जिस व्यक्ति के खिलाफ भरण-पोषण की मांग की जा रही है, वह जानबूझकर सेवा से बच रहा है या अदालत में उपस्थित होने में लापरवाही बरत रहा है.

फैमिली कोर्ट का फैसला खारिज : यह निर्णय एक पति द्वारा दायर एक पुनरीक्षण याचिका से प्रारम्भ हुआ. इसमें फैमिली कोर्ट के उस निर्णय को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत उसे अपनी पत्नी को भरण-पोषण के रूप में हर महीने ₹10,000 देने का आदेश दिया गया था.

पति की ओर से HC का दरवाजा खटखटाया गया : पति की ओर से कोर्ट को बताया गया कि फैमिली कोर्ट ने सुनवाई की तारीख नहीं बताई. साथ ही यह दिखाने में विफल रहा कि उसने कार्यवाही में उपस्थित होने में जानबूझकर लापरवाही बरती है. इससे एकपक्षीय आदेश अमान्य हो जाता है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि फैमिली कोर्ट ने यह भी संकेत नहीं दिया था कि पति ने कार्यवाही में उपस्थित होने में जानबूझकर लापरवाही बरती है.

हाईकोर्ट ने माना एकपक्षीय आदेश : इसने इस बात पर जोर दिया कि भरण-पोषण के मामले के दायर होने के बारे में केवल जानकारी होना ही पर्याप्त नहीं है. याचिकाकर्ता को ट्रायल कोर्ट द्वारा निर्धारित विशिष्ट तिथि के बारे में भी सूचित किया जाना चाहिए. पटना हाईकोर्ट इस नतीजे पर पहुंचा कि फैमिली कोर्ट द्वारा जारी एकपक्षीय आदेश इन कारणों से अमान्य था.

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