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पतंजलि भ्रामक विज्ञापन केस में SC में सुनवाई, अदालत ने IMA को लगाई फटकार, केंद्र से मांगी कार्रवाई की रिपोर्ट - Patanjali Case hearing

Patanjali Case: पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन केस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे आईएमए के कथित अनैतिक आचरण के संबंध में कई शिकायतें मिली हैं. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि जनता को धोखा नहीं दे सकते.

सुप्रीम कोर्ट
supreme court
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By Sumit Saxena

Published : Apr 23, 2024, 1:44 PM IST

Updated : Apr 23, 2024, 3:38 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले मंगलवार को फिर से सुनवाई हुई. इस दौरान योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण कोर्ट रूम में मौजूद रहे. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एफएमसीजी भी जनता को भ्रमित करने वाले विज्ञापन प्रकाशित कर रही है, जिससे शिशुओं, स्कूल जाने वाले बच्चों और उनके उत्पादों का इस्तेमाल करने वाले वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है.

कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लाइसेंसिंग अधिकारियों को मामले में पक्षकार बनाने को कहा है. इतना ही नहीं अदालत ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) को भी फटकार लगाई और कहा कि जब वह पतंजलि पर उंगली उठाता है तो चार उंगलियां उन पर भी उठती हैं.

67 अखबारों में प्रकाशित हुआ माफीनामा : सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पीठ को न्यूज पेपर में पतंजलि के माफीनामा प्रकाशित करने के बारे में जानकारी दी. इस पर पीठ ने पूछा, क्या माफीनामे का साइज आपके विज्ञापनों के समान है? वकील ने जवाब दिया कि इसकी कीमत लाखों में है और माफीनामा 67 अखबारों में प्रकाशित हुआ था.

जनता को नहीं दे सकते धोखा : पीठ ने वकील से अखबार की कतरनें काटने और उन्हें संभालकर रखने को कहा. कोर्ट ने कहा “हम विज्ञापन का साइज देखना चाहते हैं. जब आप माफी मांगते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हमें इसे माइक्रोस्कोप से देखना पड़े.आप जनता को धोखा नहीं दे सकते."

केंद्र से मांगी 3 साल की रिपोर्ट : सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह मामला किसी को नीचा दिखाने का नहीं है, बल्कि यह उपभोक्ताओं और जनता के हितों से संबंधित है. लोगों गुमराह किया जा रहा है. उनको सच्चाई जानने का पूरा अधिकार है. कोर्ट ने केंद्रीय मंत्रालयों को तीन साल तक भ्रामक विज्ञापनों पर की गई कार्रवाई के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.

30 अप्रैल को होगी अगली सुनवाई : अदालत का कहना है कि आईएमए को अपने कथित अनैतिक कृत्यों को भी सुधारना होगा.डॉक्टर ऐसी दवाएं लिखते हैं जो महंगी और अनावश्यक हैं. उसे आईएमए के कथित अनैतिक आचरण के संबंध में कई शिकायतें मिली हैं. इस मामले में अदालत ने केंद्र सरकार पर टिप्पणी की और कहा कि अब हम सब कुछ देख रहे हैं. ऐसे में केंद्र सरकार को इस पर जागना चाहिए. मामले की अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी.

कोर्ट ने सार्वजनिक माफी मांगने का दिया आदेश : इससे पहले 19 अप्रैल को मामले की सुनवाई हुई थी. तब अदालत ने योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद को भ्रामक विज्ञापन मामले में सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने के लिए एक हफ्ते का वक्त दिया था. सुनवाई के दौरान रामदेव और बालकृष्ण दोनों मौजूद थे और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से शीर्ष अदालत से बिना शर्त माफी मांगी थी.

उस दौरान न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने बालकृष्ण से कहा था कि आप अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन आप एलोपैथी को नीचा नहीं दिखा सकते. वहीं, रामदेव ने अदालत को बताया कि उनका इरादा किसी भी तरह से अदालत का अनादर करना नहीं था.

यह भी पढ़ें- पिथौरागढ़ के बेरीनाग में स्कूल बस दुर्घटनाग्रस्त, 2 बच्चे घायल, पेड़ ने बचाया बड़ा हादसा - Pithoragarh School Bus Accident

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले मंगलवार को फिर से सुनवाई हुई. इस दौरान योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण कोर्ट रूम में मौजूद रहे. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एफएमसीजी भी जनता को भ्रमित करने वाले विज्ञापन प्रकाशित कर रही है, जिससे शिशुओं, स्कूल जाने वाले बच्चों और उनके उत्पादों का इस्तेमाल करने वाले वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है.

कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लाइसेंसिंग अधिकारियों को मामले में पक्षकार बनाने को कहा है. इतना ही नहीं अदालत ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) को भी फटकार लगाई और कहा कि जब वह पतंजलि पर उंगली उठाता है तो चार उंगलियां उन पर भी उठती हैं.

67 अखबारों में प्रकाशित हुआ माफीनामा : सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पीठ को न्यूज पेपर में पतंजलि के माफीनामा प्रकाशित करने के बारे में जानकारी दी. इस पर पीठ ने पूछा, क्या माफीनामे का साइज आपके विज्ञापनों के समान है? वकील ने जवाब दिया कि इसकी कीमत लाखों में है और माफीनामा 67 अखबारों में प्रकाशित हुआ था.

जनता को नहीं दे सकते धोखा : पीठ ने वकील से अखबार की कतरनें काटने और उन्हें संभालकर रखने को कहा. कोर्ट ने कहा “हम विज्ञापन का साइज देखना चाहते हैं. जब आप माफी मांगते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हमें इसे माइक्रोस्कोप से देखना पड़े.आप जनता को धोखा नहीं दे सकते."

केंद्र से मांगी 3 साल की रिपोर्ट : सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह मामला किसी को नीचा दिखाने का नहीं है, बल्कि यह उपभोक्ताओं और जनता के हितों से संबंधित है. लोगों गुमराह किया जा रहा है. उनको सच्चाई जानने का पूरा अधिकार है. कोर्ट ने केंद्रीय मंत्रालयों को तीन साल तक भ्रामक विज्ञापनों पर की गई कार्रवाई के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.

30 अप्रैल को होगी अगली सुनवाई : अदालत का कहना है कि आईएमए को अपने कथित अनैतिक कृत्यों को भी सुधारना होगा.डॉक्टर ऐसी दवाएं लिखते हैं जो महंगी और अनावश्यक हैं. उसे आईएमए के कथित अनैतिक आचरण के संबंध में कई शिकायतें मिली हैं. इस मामले में अदालत ने केंद्र सरकार पर टिप्पणी की और कहा कि अब हम सब कुछ देख रहे हैं. ऐसे में केंद्र सरकार को इस पर जागना चाहिए. मामले की अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी.

कोर्ट ने सार्वजनिक माफी मांगने का दिया आदेश : इससे पहले 19 अप्रैल को मामले की सुनवाई हुई थी. तब अदालत ने योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद को भ्रामक विज्ञापन मामले में सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने के लिए एक हफ्ते का वक्त दिया था. सुनवाई के दौरान रामदेव और बालकृष्ण दोनों मौजूद थे और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से शीर्ष अदालत से बिना शर्त माफी मांगी थी.

उस दौरान न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने बालकृष्ण से कहा था कि आप अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन आप एलोपैथी को नीचा नहीं दिखा सकते. वहीं, रामदेव ने अदालत को बताया कि उनका इरादा किसी भी तरह से अदालत का अनादर करना नहीं था.

यह भी पढ़ें- पिथौरागढ़ के बेरीनाग में स्कूल बस दुर्घटनाग्रस्त, 2 बच्चे घायल, पेड़ ने बचाया बड़ा हादसा - Pithoragarh School Bus Accident

Last Updated : Apr 23, 2024, 3:38 PM IST
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