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छत्तीसगढ़ में धान खरीदी का बना रिकॉर्ड, 145 लाख मीट्रिक टन के करीब धान किसानों ने बेचा

Paddy Purchase Record in Chhattisgarh छत्तीसगढ़ में इस बार बंपर धान खरीदी हुई है. सरकार ने तय आंकड़े से ज्यादा धान की खरीदी कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है. इस बार कई जगह बारिश होने के कारण किसान समय पर धान नहीं बेच पाए थे.लिहाजा सरकार ने धान खरीदी की आखिरी तारीख 4 दिन आगे बढ़ाई.जिसके बाद रविवार के दिन भी पूरे प्रदेश में धान खरीदी हुई. इस बार सरकार ने लक्ष्य से ज्यादा 144.67 लाख मीट्रिक धान खरीदी की.

Paddy Purchase Record
छत्तीसगढ़ में धान खरीदी का बना रिकॉर्ड
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 5, 2024, 2:01 PM IST

Updated : Feb 5, 2024, 5:06 PM IST

छत्तीसगढ़ में धान खरीदी का बना रिकॉर्ड



रायपुर/कोरबा : छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है.क्योंकि यहां धान की पैदावार सबसे ज्यादा होती है.छत्तीसगढ़ में उगने वाले धान से अच्छे किस्म के चावल का उत्पादन किया जाता है.जो पूरे देश में मशहूर है.इस साल छत्तीसगढ़ में धान की बंपर पैदावार हुई है.इसके साथ ही सरकार ने हर किसान से 21 क्विंटल धान प्रति एकड़ की दर से खरीदा है. इस बार खरीदी मूल्य भी सरकार ने पहले से ज्यादा रखी.सरकार ने प्रति क्विंटल 21 सौ रुपए की दर से धान खरीदा. किसानों का पूरा धान बिके इसे लेकर सरकार ने धान खरीदी को 4 दिन आगे बढ़ाया.ताकि जो किसान धान नहीं बेच सके हैं उन्हें भी धान बेचने का मौका मिल सके.

4 फरवरी थी आखिरी तारीख : छत्तीसगढ़ में 4 फरवरी धान खरीदी की अंतिम तारीख थी . 1 नवंबर से 4 फरवरी तक प्रदेश के 24 लाख 72 हजार 310 किसानों ने धान बेचा है.सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में इस बार रिकॉर्ड तोड़ धान खरीदी हुई है.अपने लक्ष्य को पार करते हुए सरकार ने 144.67 लाख मीट्रिक टन धान सरकार ने खरीदा है.जो पिछले साल खरीफ सीजन की तुलना में 26 फीसदी ज्यादा है. धान खरीदी की अवधि बढ़ने ने 19 हजार से अधिक किसान लाभान्वित हुए हैं.

अंतिम दिन भी बिका धान : छत्तीसगढ़ के बड़े जिलों में भी धान खरीदी की तारीख बढ़ने का फायदा किसानों ने उठाया. कोरबा जिले में रविवार को अंतिम दिन 128 किसानों ने 6 हजार 228 क्विंटल धान बेचा है. 96 दिनों तक चली धान खरीदी में कुल 28.67 लाख क्विंटल धान की खरीदी हुई. लेकिन बंपर धान खरीदी के बाद अब उठाव को लेकर समिति प्रबंधक नाराज दिखाई दे रहे हैं.क्योंकि जितनी तेजी से धान का उठाव होना चाहिए उतनी तेजी से समिति केंद्रों से धान नहीं उठ रहा है.जिसके कारण समिति केंद्रों में जाम की स्थिति बनीं हुई है.

11 उपार्जन केंद्र भी बढ़े : कोरबा जिले में नए धान उपार्जन केंद्र भी खोले गए हैं. ताकि किसानों को धान बेचने के लिए लंबी दूरी का सफर न करना पड़े. धान उपार्जन केंद्रों में सुरक्षा व्यवस्था भी पुख्ता की गई है. हालांकि हाथियों की आवाजाही से कुछ केंद्र बेहद संवेदनशील थे. लेकिन नए उपार्जन केंद्र खुलने से किसानों को राहत मिली. इस साल कुल 65 उपार्जन केंद्रों के माध्यम से किसानों से धान खरीदा गया है.


उठाव नहीं होने से समितियों में जाम : बंपर धान खरीदी होने के बाद अब धान का उठाव करना विभाग के लिए चुनौती बना हुआ है. मार्कफेड विभाग अब भी समय पर धान का उठाव करने में नाकाम रहा है. जिसके कारण धान समिति केंद्रों में जाम लगा है. बेमौसम बारिश के कारण कई जगहों पर धान के गीला हो जाने की भी खबर है.एक अनुमान के मुताबिक उपार्जन केंद्रों में 6.39 लाख क्विंटल धान अभी उठाव के इंतजार में है. कई केंद्र ऐसे हैं, जहां काफी अधिक मात्रा में धान जाम है. जिसका समय पर उठाव नहीं हो पा रहा है.

उठाव नहीं होने से परेशानी : आदिवासी सेवा सहकारी समिति भैसमा के प्रबंधक तुलेश्वर कौशिक के मुताबिक किसानों से बंपर खरीदी हुई है. कोशिश की गई है कि किसानों को किसी तरह के कोई समस्या ना हो.

''अंतिम दिन भी जिनका टोकन काटा था, सभी से धान खरीदा गया है. हमारे केंद्र में अभी भी हजारों क्विंटल धान जाम पड़ा हुआ है. समय पर उठाव नहीं होने से परेशानी बढ़ गई है.''- तुलेश्वर कौशिक, समिति प्रबंधक भैसमा




दो बार धान बेचा : गांव बेंदरकोना के किसान गोपाल सिंह कंवर का कहना है कि परिवार में दो खाता होने की वजह से हमने दो बार टोकन कटवाया था. दोनों बार धान नबेच दिया है, जितना भी दान पैदा किया था. सभी हमने केंद्र में आकर बेचा है. अब हमें बढ़े हुए दाम पर समर्थन मूल्य का इंतजार है. बैंक में भीड़ बहुत ज्यादा है, जिसके कारण अभी पैसे निकालने नहीं गया हूं. कई किसानों से का यह भी कहना है कि धान तो बेच दिया, लेकिन पैसे निकालने में थोड़ी समस्या जरूर हो रही है.



पंजीकृत किसानों की संख्या बढ़ी : इस वर्ष धान खरीदी करने वाले समिति में पंजीयन करने वाले किसानों की संख्या भी बढ़ी है. जिले में अब तक धान खरीदी ने पिछले साल रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. इस साल 25 लाख क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया था. इससे अधिक 3 लाख 67 हजार क्विंटल की खरीदी हुई है. बीते वर्ष की तुलना में 6 लाख क्विंटल अधिक धान की खरीदी हुई है. बीते वर्ष खरीफ सीजन 2022 में 43 हजार 367 किसानों ने 60 उपार्जन केंद्रों में धान बेचा था. जबकि इस साल अगस्त से अक्टूबर तक चलाए गए पंजीयन अभियान में 5954 अधिक किसान पंजीकृत हुए. इस साल कोरबा जिले में 51 हजार 183 किसानों ने धान बेचने के लिए अपना पंजीयन सहकारिता विभाग में कराया था. इनमें से 43 हजार 491 किसानों ने धान बेचा है.

धान उठाव का काम लगातार जारी: मिली जानकारी के मुताबिक 1 फरवरी से लेकर 4 फरवरी के बीच समर्थन मूल्य पर 2.69 लाख टन धान बेचा गया है. किसानों को धान बेचने के एवज में अब तक 30 हजार 68 करोड़ 81 लाख रूपए का भुगतान हो चुका है. उपार्जित धान 144.92 लाख टन में से 105.18 लाख टन धान के उठाव का डीओ जारी किया जा चुका है, जिसके खिलाफ मिलर्स की ओर से 97.90 लाख टन धान का उठाव किया जा चुका है.

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रायपुर/कोरबा : छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है.क्योंकि यहां धान की पैदावार सबसे ज्यादा होती है.छत्तीसगढ़ में उगने वाले धान से अच्छे किस्म के चावल का उत्पादन किया जाता है.जो पूरे देश में मशहूर है.इस साल छत्तीसगढ़ में धान की बंपर पैदावार हुई है.इसके साथ ही सरकार ने हर किसान से 21 क्विंटल धान प्रति एकड़ की दर से खरीदा है. इस बार खरीदी मूल्य भी सरकार ने पहले से ज्यादा रखी.सरकार ने प्रति क्विंटल 21 सौ रुपए की दर से धान खरीदा. किसानों का पूरा धान बिके इसे लेकर सरकार ने धान खरीदी को 4 दिन आगे बढ़ाया.ताकि जो किसान धान नहीं बेच सके हैं उन्हें भी धान बेचने का मौका मिल सके.

4 फरवरी थी आखिरी तारीख : छत्तीसगढ़ में 4 फरवरी धान खरीदी की अंतिम तारीख थी . 1 नवंबर से 4 फरवरी तक प्रदेश के 24 लाख 72 हजार 310 किसानों ने धान बेचा है.सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में इस बार रिकॉर्ड तोड़ धान खरीदी हुई है.अपने लक्ष्य को पार करते हुए सरकार ने 144.67 लाख मीट्रिक टन धान सरकार ने खरीदा है.जो पिछले साल खरीफ सीजन की तुलना में 26 फीसदी ज्यादा है. धान खरीदी की अवधि बढ़ने ने 19 हजार से अधिक किसान लाभान्वित हुए हैं.

अंतिम दिन भी बिका धान : छत्तीसगढ़ के बड़े जिलों में भी धान खरीदी की तारीख बढ़ने का फायदा किसानों ने उठाया. कोरबा जिले में रविवार को अंतिम दिन 128 किसानों ने 6 हजार 228 क्विंटल धान बेचा है. 96 दिनों तक चली धान खरीदी में कुल 28.67 लाख क्विंटल धान की खरीदी हुई. लेकिन बंपर धान खरीदी के बाद अब उठाव को लेकर समिति प्रबंधक नाराज दिखाई दे रहे हैं.क्योंकि जितनी तेजी से धान का उठाव होना चाहिए उतनी तेजी से समिति केंद्रों से धान नहीं उठ रहा है.जिसके कारण समिति केंद्रों में जाम की स्थिति बनीं हुई है.

11 उपार्जन केंद्र भी बढ़े : कोरबा जिले में नए धान उपार्जन केंद्र भी खोले गए हैं. ताकि किसानों को धान बेचने के लिए लंबी दूरी का सफर न करना पड़े. धान उपार्जन केंद्रों में सुरक्षा व्यवस्था भी पुख्ता की गई है. हालांकि हाथियों की आवाजाही से कुछ केंद्र बेहद संवेदनशील थे. लेकिन नए उपार्जन केंद्र खुलने से किसानों को राहत मिली. इस साल कुल 65 उपार्जन केंद्रों के माध्यम से किसानों से धान खरीदा गया है.


उठाव नहीं होने से समितियों में जाम : बंपर धान खरीदी होने के बाद अब धान का उठाव करना विभाग के लिए चुनौती बना हुआ है. मार्कफेड विभाग अब भी समय पर धान का उठाव करने में नाकाम रहा है. जिसके कारण धान समिति केंद्रों में जाम लगा है. बेमौसम बारिश के कारण कई जगहों पर धान के गीला हो जाने की भी खबर है.एक अनुमान के मुताबिक उपार्जन केंद्रों में 6.39 लाख क्विंटल धान अभी उठाव के इंतजार में है. कई केंद्र ऐसे हैं, जहां काफी अधिक मात्रा में धान जाम है. जिसका समय पर उठाव नहीं हो पा रहा है.

उठाव नहीं होने से परेशानी : आदिवासी सेवा सहकारी समिति भैसमा के प्रबंधक तुलेश्वर कौशिक के मुताबिक किसानों से बंपर खरीदी हुई है. कोशिश की गई है कि किसानों को किसी तरह के कोई समस्या ना हो.

''अंतिम दिन भी जिनका टोकन काटा था, सभी से धान खरीदा गया है. हमारे केंद्र में अभी भी हजारों क्विंटल धान जाम पड़ा हुआ है. समय पर उठाव नहीं होने से परेशानी बढ़ गई है.''- तुलेश्वर कौशिक, समिति प्रबंधक भैसमा




दो बार धान बेचा : गांव बेंदरकोना के किसान गोपाल सिंह कंवर का कहना है कि परिवार में दो खाता होने की वजह से हमने दो बार टोकन कटवाया था. दोनों बार धान नबेच दिया है, जितना भी दान पैदा किया था. सभी हमने केंद्र में आकर बेचा है. अब हमें बढ़े हुए दाम पर समर्थन मूल्य का इंतजार है. बैंक में भीड़ बहुत ज्यादा है, जिसके कारण अभी पैसे निकालने नहीं गया हूं. कई किसानों से का यह भी कहना है कि धान तो बेच दिया, लेकिन पैसे निकालने में थोड़ी समस्या जरूर हो रही है.



पंजीकृत किसानों की संख्या बढ़ी : इस वर्ष धान खरीदी करने वाले समिति में पंजीयन करने वाले किसानों की संख्या भी बढ़ी है. जिले में अब तक धान खरीदी ने पिछले साल रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. इस साल 25 लाख क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया था. इससे अधिक 3 लाख 67 हजार क्विंटल की खरीदी हुई है. बीते वर्ष की तुलना में 6 लाख क्विंटल अधिक धान की खरीदी हुई है. बीते वर्ष खरीफ सीजन 2022 में 43 हजार 367 किसानों ने 60 उपार्जन केंद्रों में धान बेचा था. जबकि इस साल अगस्त से अक्टूबर तक चलाए गए पंजीयन अभियान में 5954 अधिक किसान पंजीकृत हुए. इस साल कोरबा जिले में 51 हजार 183 किसानों ने धान बेचने के लिए अपना पंजीयन सहकारिता विभाग में कराया था. इनमें से 43 हजार 491 किसानों ने धान बेचा है.

धान उठाव का काम लगातार जारी: मिली जानकारी के मुताबिक 1 फरवरी से लेकर 4 फरवरी के बीच समर्थन मूल्य पर 2.69 लाख टन धान बेचा गया है. किसानों को धान बेचने के एवज में अब तक 30 हजार 68 करोड़ 81 लाख रूपए का भुगतान हो चुका है. उपार्जित धान 144.92 लाख टन में से 105.18 लाख टन धान के उठाव का डीओ जारी किया जा चुका है, जिसके खिलाफ मिलर्स की ओर से 97.90 लाख टन धान का उठाव किया जा चुका है.

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Last Updated : Feb 5, 2024, 5:06 PM IST
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