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जलीय जीव प्रेमियों के लिए खुशखबरी, अंडों से सुरक्षित निकले 181 घड़ियाल के बच्चे - Alligator breeding

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 25, 2024, 4:48 PM IST

Alligators in Chambal River, देवरी घड़ियाल पालन केंद्र द्वारा चंबल नदी से इकट्ठे किए गए घड़ियाल के 200 अंडों में से 181 बच्चे सुरक्षित बाहर आ चुके हैं. आत्मनिर्भर होने के बाद घड़ियाल के बच्चों को स्वच्छंद विचरण करने के लिए चंबल नदी में छोड़ दिया जाएगा.

घड़ियाल के बच्चे निकले अंडों से बाहर
घड़ियाल के बच्चे निकले अंडों से बाहर (ETV Bharat GFX)
अंडों से सुरक्षित निकले 181 घड़ियाल के बच्चे (ETV Bharat Dholpur)

धौलपुर. राजस्थान के धौलपुर और मध्य प्रदेश के मुरैना जिले की सीमा में बहने वाली चबंल नदी से जलीय जीव प्रेमियों के लिए खुशी की खबर निकलकर सामने आई है. चंबल नदी से देवरी घड़ियाल पालन केंद्र में घड़ियाल प्रजाति के कलेक्ट किए गए 200 अंडों में से 181 बच्चे सुरक्षित बाहर आ चुके हैं. एक अंडा खराब हो चुका है. 18 अंडों की रिकॉल का जंतु विशेषज्ञों को इंतजार है.

नन्हें-मुन्ने घड़ियाल शावक अंडों से बाहर आने से घड़ियाल पालन केंद्र आवाज से गुंजायमान हो रहा है. आत्मनिर्भर होने के बाद घड़ियाल के बच्चों को स्वच्छंद विचरण करने के लिए चंबल नदी में रिलीज किया जाएगा. देवरी घड़ियाल पालन केंद्र के कर्मचारी घड़ियाल के बच्चों की परवरिश के लिए अनुकूल वातावरण, तापमान एवं दाना-पानी उपलब्ध करा रहे हैं. चंबल नदी में घड़ियाल, मगरमच्छ और डॉल्फिन का कुनबा लगातार बढ़ता जा रहा है.

मदर रिकॉल पर निगरानी : देवरी घड़ियाल पालन केंद्र के प्रभारी ज्योति दंडोतिया ने बताया चंबल नदी से कलेक्ट किए गए दो सौ अंडो में से घड़ियाल के 181 बच्चे सुरक्षित निकाले गए हैं. एक अंडा खराब हो चुका है. 18 अंडे अभी शेष बचे हुए हैं, जिनकी मदर रिकॉल का इंतजार है. देवरी में 200 अंडे प्रति वर्ष चम्बल से कलेक्ट कर कैप्टिविटी हैचरी में रखे जाते हैं, जहां एक चैम्बर बना हुआ हैं. अंडों को सुरक्षित रखने के लिए तापमान को 30 डिग्री से 35 डिग्री तक मेंटेन किया जाता हैं. इसके बाद हैचिंग का कार्य किया जाता है.

अंडों से मदर री कॉल की आवाज आने के बाद सुरक्षित हैचिंग की जाती है. घड़ियाल के बच्चे बाहर आने के बाद स्वास्थ्य के मुताबिक तापमान को मेंटेन किया जाता है. बच्चों के वेट के अनुसार दाना-पानी की भी व्यवस्था की जाती है. उन्होंने बताया कि घड़ियाल शावकों की लंबाई 1.2 मीटर होने पर चम्बल नदी में स्वच्छंद विचरण करने के लिए छोड़ दिया जाता है. अगर लम्बाई कम होती है, तो इन्हे देवरी अभ्यारण केंद्र में रखा जाता है और लम्बाई पूरी होने पर इन्हे चम्बल में रिलीज कर दिया जाता है.

इसे भी पढ़ें- नेस्टिंग टाइम पूरा होने पर अंडों से निकल रहे घड़ियाल के शावक, घड़ियाल शावकों से गुलजार हो रही चंबल - Crocodile Breeding In Chambal River

18 से 50 तक अंडे देती मादा घड़ियाल : देवरी घड़ियाल पालन केंद्र के प्रभारी ज्योति डंडोतिया के मुताबिक घड़ियाल फरवरी माह में मेटिंग करते हैं और अप्रैल में अंडे देते हैं. इसके बाद मई और जून के महीने में बच्चे अंडों से बाहर आ जाते हैं. मादा घड़ियाल रेत में 30 से 40 सेमी का गड्ढा खोद कर 18 से लेकर 50 अंडे देती है. मादा घड़ियाल पहली बार अंडे दे रही है, तो वह 18 से 30 अंडे दे सकती है और इसके बाद दूसरी बार अंडो की संख्या में बढ़ोत्तरी हो जाती है. करीब महीने भर बाद अंडों से बच्चे मदर काल करते हैं. चंबल नदी किनारे करीब 30 स्थानों पर नेस्टिंग साइट है.

बढ़ रहा कुनबा : चंबल नदी स्वच्छ और साफ सुथरी होने की वजह से जलीय जीवों के लिए सबसे सुरक्षित मानी जाती है. इसी का नतीजा है की जलीय जीवों की संख्या में प्रति वर्ष इजाफा हो रहा है. मौजूदा वक्त में चंबल नदी में 2 हजार 456 घड़ियाल, 928 मगरमच्छ और 111 डॉल्फिन समेत अन्य जलीय जीव हैं, जो विचरण कर रहे हैं. पर्यटन की दृष्टि से चंबल नदी देश भर के पर्यटकों को आकर्षित कर रही है. देश के कोने-कोने से जलीय जीव प्रेमी चंबल नदी पर नाव से सफारी कर जलीय जीवों का लुत्फ उठाते हैं.

इसे भी पढ़ें- चंबल नदी में जलीय जीवों की गणना, 500 किलोमीटर के एरिया में तीन राज्य के विशेषज्ञ करेंगे गणना

शावकों की 3 साल तक होती है परवरिश : बता दें कि मुरैना जिले के देवरी घड़ियाल पालन केन्द्र पर घड़ियाल प्रजाति की वंश वृद्धि कृत्रिम वातावरण में की जाती है. वर्ष 1975 से 1977 तक विश्व व्यापी नदियों के सर्वे के दौरान 200 घड़ियाल पाए गए थे, जिनमें से 46 घड़ियाल चंबल नदी में मिले थे. भारत सरकार ने चबंल नदी के 435 किलोमीटर क्षेत्र को राष्ट्रीय चबंल घड़ियाल अभयारण्य साल 1978 में स्थापित किया गया था. तभी से देवरी घड़ियाल पालन केन्द्र पर कृत्रिम वातावरण में नदी से प्रतिवर्ष 200 अंडे लाकर उनका लालन-पालन किया जाता है. करीब तीन वर्ष तक घड़ियाल के बच्चों की देखभाल और परिवरिश केंद्र पर की जाती है और शावकों की लम्बाई 1.2 मीटर हो जाने के बाद सर्दी के मौसम में सभी घड़ियालों को चबंल नदी में रिलीज कर दिया जाता है.

अंडों से सुरक्षित निकले 181 घड़ियाल के बच्चे (ETV Bharat Dholpur)

धौलपुर. राजस्थान के धौलपुर और मध्य प्रदेश के मुरैना जिले की सीमा में बहने वाली चबंल नदी से जलीय जीव प्रेमियों के लिए खुशी की खबर निकलकर सामने आई है. चंबल नदी से देवरी घड़ियाल पालन केंद्र में घड़ियाल प्रजाति के कलेक्ट किए गए 200 अंडों में से 181 बच्चे सुरक्षित बाहर आ चुके हैं. एक अंडा खराब हो चुका है. 18 अंडों की रिकॉल का जंतु विशेषज्ञों को इंतजार है.

नन्हें-मुन्ने घड़ियाल शावक अंडों से बाहर आने से घड़ियाल पालन केंद्र आवाज से गुंजायमान हो रहा है. आत्मनिर्भर होने के बाद घड़ियाल के बच्चों को स्वच्छंद विचरण करने के लिए चंबल नदी में रिलीज किया जाएगा. देवरी घड़ियाल पालन केंद्र के कर्मचारी घड़ियाल के बच्चों की परवरिश के लिए अनुकूल वातावरण, तापमान एवं दाना-पानी उपलब्ध करा रहे हैं. चंबल नदी में घड़ियाल, मगरमच्छ और डॉल्फिन का कुनबा लगातार बढ़ता जा रहा है.

मदर रिकॉल पर निगरानी : देवरी घड़ियाल पालन केंद्र के प्रभारी ज्योति दंडोतिया ने बताया चंबल नदी से कलेक्ट किए गए दो सौ अंडो में से घड़ियाल के 181 बच्चे सुरक्षित निकाले गए हैं. एक अंडा खराब हो चुका है. 18 अंडे अभी शेष बचे हुए हैं, जिनकी मदर रिकॉल का इंतजार है. देवरी में 200 अंडे प्रति वर्ष चम्बल से कलेक्ट कर कैप्टिविटी हैचरी में रखे जाते हैं, जहां एक चैम्बर बना हुआ हैं. अंडों को सुरक्षित रखने के लिए तापमान को 30 डिग्री से 35 डिग्री तक मेंटेन किया जाता हैं. इसके बाद हैचिंग का कार्य किया जाता है.

अंडों से मदर री कॉल की आवाज आने के बाद सुरक्षित हैचिंग की जाती है. घड़ियाल के बच्चे बाहर आने के बाद स्वास्थ्य के मुताबिक तापमान को मेंटेन किया जाता है. बच्चों के वेट के अनुसार दाना-पानी की भी व्यवस्था की जाती है. उन्होंने बताया कि घड़ियाल शावकों की लंबाई 1.2 मीटर होने पर चम्बल नदी में स्वच्छंद विचरण करने के लिए छोड़ दिया जाता है. अगर लम्बाई कम होती है, तो इन्हे देवरी अभ्यारण केंद्र में रखा जाता है और लम्बाई पूरी होने पर इन्हे चम्बल में रिलीज कर दिया जाता है.

इसे भी पढ़ें- नेस्टिंग टाइम पूरा होने पर अंडों से निकल रहे घड़ियाल के शावक, घड़ियाल शावकों से गुलजार हो रही चंबल - Crocodile Breeding In Chambal River

18 से 50 तक अंडे देती मादा घड़ियाल : देवरी घड़ियाल पालन केंद्र के प्रभारी ज्योति डंडोतिया के मुताबिक घड़ियाल फरवरी माह में मेटिंग करते हैं और अप्रैल में अंडे देते हैं. इसके बाद मई और जून के महीने में बच्चे अंडों से बाहर आ जाते हैं. मादा घड़ियाल रेत में 30 से 40 सेमी का गड्ढा खोद कर 18 से लेकर 50 अंडे देती है. मादा घड़ियाल पहली बार अंडे दे रही है, तो वह 18 से 30 अंडे दे सकती है और इसके बाद दूसरी बार अंडो की संख्या में बढ़ोत्तरी हो जाती है. करीब महीने भर बाद अंडों से बच्चे मदर काल करते हैं. चंबल नदी किनारे करीब 30 स्थानों पर नेस्टिंग साइट है.

बढ़ रहा कुनबा : चंबल नदी स्वच्छ और साफ सुथरी होने की वजह से जलीय जीवों के लिए सबसे सुरक्षित मानी जाती है. इसी का नतीजा है की जलीय जीवों की संख्या में प्रति वर्ष इजाफा हो रहा है. मौजूदा वक्त में चंबल नदी में 2 हजार 456 घड़ियाल, 928 मगरमच्छ और 111 डॉल्फिन समेत अन्य जलीय जीव हैं, जो विचरण कर रहे हैं. पर्यटन की दृष्टि से चंबल नदी देश भर के पर्यटकों को आकर्षित कर रही है. देश के कोने-कोने से जलीय जीव प्रेमी चंबल नदी पर नाव से सफारी कर जलीय जीवों का लुत्फ उठाते हैं.

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शावकों की 3 साल तक होती है परवरिश : बता दें कि मुरैना जिले के देवरी घड़ियाल पालन केन्द्र पर घड़ियाल प्रजाति की वंश वृद्धि कृत्रिम वातावरण में की जाती है. वर्ष 1975 से 1977 तक विश्व व्यापी नदियों के सर्वे के दौरान 200 घड़ियाल पाए गए थे, जिनमें से 46 घड़ियाल चंबल नदी में मिले थे. भारत सरकार ने चबंल नदी के 435 किलोमीटर क्षेत्र को राष्ट्रीय चबंल घड़ियाल अभयारण्य साल 1978 में स्थापित किया गया था. तभी से देवरी घड़ियाल पालन केन्द्र पर कृत्रिम वातावरण में नदी से प्रतिवर्ष 200 अंडे लाकर उनका लालन-पालन किया जाता है. करीब तीन वर्ष तक घड़ियाल के बच्चों की देखभाल और परिवरिश केंद्र पर की जाती है और शावकों की लम्बाई 1.2 मीटर हो जाने के बाद सर्दी के मौसम में सभी घड़ियालों को चबंल नदी में रिलीज कर दिया जाता है.

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