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ओडिशा हाई कोर्ट ने दोषी की मृत्युदंड सजा को आजीवन कारावास में बदला - orissa high court

Death Sentence Of Accused To Life Imprisonment, उड़ीसा उच्च न्यायालय ने बच्ची के साथ रेप के बाद हत्या करने के दोषी को विशेष पॉक्सो कोर्ट द्वारा सुनाई गई मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया. पढ़िए पूरी खबर...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 1, 2024, 3:34 PM IST

Orissa High Court
ओडिशा उच्च न्यायालय (ETV Bharat file photo)

कटक: छल साल की बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या के दोषी को विशेष पॉक्सो अदालत के द्वारा दी गई मौत की सजा को उड़ीसा उच्च न्यायालय ने आजीवन कारावास में बदल दिया. इस संबंध में उच्च न्यायालय ने 27 जून को मौत की सजा पर रोक लगाने के साथ ही उसे उम्र कैद में तब्दील कर दिया.

कोर्ट ने कहा कि दोषी दिन में कई बार भगवान से प्रार्थना कर रहा है कि और दंड स्वीकार करने के लिए तैयार है, क्योंकि उसने भगवान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है. बता दें कि जगतसिंहपुर की विशेष पॉक्सो अदालत ने 21 नवंबर 2022 को एसके आसिफ अली (37) के साथ एसके अकील अली (38) को छह साल की बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या के आरोप में दोषी ठहराया था. उन्हें एक ही दिन बलात्कार के लिए आजीवन कारावास और हत्या के लिए मृत्युदंड की सजा सुनाई गई. हालांकि उच्च न्यायालय ने अकील अली को बरी कर दिया और आसिफ अली की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया.

यह घटना 21 अगस्त 2014 को जगतसिंहपुर जिले के तिर्तोल पुलिस स्टेशन के अंतर्गत एक गांव में घटित हुई थी. घटना के मुताबिक लड़की का अपहरण उस समय किया गया जब वह एक दुकान से चॉकलेट खरीदकर घर वापस आ रही थी. इसके बाद आरोपी बच्ची को गांव के पास एक खाली पड़े मकान में ले गए और उसका मुंह बंद कर बलात्कार किया. इतना ही नहीं सबूत मिटाने के लिए उसकी हत्या कर दी गई.

वहीं मौत की सजा की पुष्टि के लिए राज्य सरकार की याचिका और दो दोषियों द्वारा दायर आपराधिक अपीलों पर विचार करते हुए, उच्च न्यायालय ने एसके अकील अली की सजा को रद्द कर दिया और उसे बलात्कार और हत्या के आरोपों से बरी कर दिया. उच्च न्यायालय ने माना कि उसके विरुद्ध परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर उसे दोषी सिद्ध करना कठिन है. वहीं एसके आसिफ अली के मामले में उच्च न्यायालय ने उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा तथा बलात्कार के लिए उन्हें दी गई आजीवन कारावास की सजा की पुष्टि की. लेकिन हत्या के लिए उनकी मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया.

इस मामले को दुर्लभतम मामलों की श्रेणी में रखते हुए पॉक्सो कोर्ट ने कहा कि न्याय के लिए मृत्युदंड दिया जाना उचित है, क्योंकि पीड़ित एक छह साल की बच्ची थी. हालांकि, न्यायमूर्ति एसके साहू और न्यायमूर्ति आरके पटनायक की खंडपीठ ने कहा कि इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है कि एसके आसिफ अली सुधार और पुनर्वास से परे है. सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों, गंभीर परिस्थितियों और कम करने वाली परिस्थितियों पर विचार करते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि मृत्युदंड ही अपीलकर्ता के लिए एकमात्र विकल्प है और आजीवन कारावास का विकल्प पर्याप्त नहीं होगा और पूरी तरह से असंगत है. 106 पृष्ठ के फैसले में उच्च न्यायालय ने तथ्यात्मक परिदृश्य और मृतक पीड़िता की आयु को ध्यान में रखते हुए ओडिशा पीड़ित मुआवजा योजना, 2017 की अनुसूची-II के तहत 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया. निचली अदालत ने मृतक पीड़िता के माता-पिता को 1.5 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था.

ये भी पढ़ें - जम्मू-कश्मीर: CAT ने विधवा के पुनर्विवाह के अधिकार को बरकरार रखा, नियुक्ति के खिलाफ याचिका खारिज की

कटक: छल साल की बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या के दोषी को विशेष पॉक्सो अदालत के द्वारा दी गई मौत की सजा को उड़ीसा उच्च न्यायालय ने आजीवन कारावास में बदल दिया. इस संबंध में उच्च न्यायालय ने 27 जून को मौत की सजा पर रोक लगाने के साथ ही उसे उम्र कैद में तब्दील कर दिया.

कोर्ट ने कहा कि दोषी दिन में कई बार भगवान से प्रार्थना कर रहा है कि और दंड स्वीकार करने के लिए तैयार है, क्योंकि उसने भगवान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है. बता दें कि जगतसिंहपुर की विशेष पॉक्सो अदालत ने 21 नवंबर 2022 को एसके आसिफ अली (37) के साथ एसके अकील अली (38) को छह साल की बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या के आरोप में दोषी ठहराया था. उन्हें एक ही दिन बलात्कार के लिए आजीवन कारावास और हत्या के लिए मृत्युदंड की सजा सुनाई गई. हालांकि उच्च न्यायालय ने अकील अली को बरी कर दिया और आसिफ अली की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया.

यह घटना 21 अगस्त 2014 को जगतसिंहपुर जिले के तिर्तोल पुलिस स्टेशन के अंतर्गत एक गांव में घटित हुई थी. घटना के मुताबिक लड़की का अपहरण उस समय किया गया जब वह एक दुकान से चॉकलेट खरीदकर घर वापस आ रही थी. इसके बाद आरोपी बच्ची को गांव के पास एक खाली पड़े मकान में ले गए और उसका मुंह बंद कर बलात्कार किया. इतना ही नहीं सबूत मिटाने के लिए उसकी हत्या कर दी गई.

वहीं मौत की सजा की पुष्टि के लिए राज्य सरकार की याचिका और दो दोषियों द्वारा दायर आपराधिक अपीलों पर विचार करते हुए, उच्च न्यायालय ने एसके अकील अली की सजा को रद्द कर दिया और उसे बलात्कार और हत्या के आरोपों से बरी कर दिया. उच्च न्यायालय ने माना कि उसके विरुद्ध परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर उसे दोषी सिद्ध करना कठिन है. वहीं एसके आसिफ अली के मामले में उच्च न्यायालय ने उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा तथा बलात्कार के लिए उन्हें दी गई आजीवन कारावास की सजा की पुष्टि की. लेकिन हत्या के लिए उनकी मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया.

इस मामले को दुर्लभतम मामलों की श्रेणी में रखते हुए पॉक्सो कोर्ट ने कहा कि न्याय के लिए मृत्युदंड दिया जाना उचित है, क्योंकि पीड़ित एक छह साल की बच्ची थी. हालांकि, न्यायमूर्ति एसके साहू और न्यायमूर्ति आरके पटनायक की खंडपीठ ने कहा कि इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है कि एसके आसिफ अली सुधार और पुनर्वास से परे है. सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों, गंभीर परिस्थितियों और कम करने वाली परिस्थितियों पर विचार करते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि मृत्युदंड ही अपीलकर्ता के लिए एकमात्र विकल्प है और आजीवन कारावास का विकल्प पर्याप्त नहीं होगा और पूरी तरह से असंगत है. 106 पृष्ठ के फैसले में उच्च न्यायालय ने तथ्यात्मक परिदृश्य और मृतक पीड़िता की आयु को ध्यान में रखते हुए ओडिशा पीड़ित मुआवजा योजना, 2017 की अनुसूची-II के तहत 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया. निचली अदालत ने मृतक पीड़िता के माता-पिता को 1.5 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था.

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