ETV Bharat / bharat

दिसंबर भर जंगल का चप्पा-चप्पा छानेंगे फॉरेस्ट ऑफिसर्स, तय हो गई अधिकारियों की जिम्मेदारी - OPERATION WILD TRAP

मध्य प्रदेश के जंगलों में ऑपरेशन वाइल्ड ट्रैप से होगी वन्य जीवों की सुरक्षा. वन विभाग के चौकीदार से लेकर आईएफएस स्तर के अधिकारी तक जंगलों में करेंगे गश्त.

Operation Wild Trap
ऑपरेशन वाइल्ड ट्रैप से होगा वन्यजीवों का बचाव (Etv Bharat)
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 9, 2024, 7:17 PM IST

सागर: मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हुए हादसे और यहां के जंगलों में जानवरों के होने वाले शिकार को देखते हुए वन विभाग सतर्क हो गया है. प्रदेश में वन्यजीवों की सुरक्षा के मद्देनजर वन विभाग ने एक महीने के लिए ऑपरेशन वाइल्ड ट्रैप शुरू किया है, जो एक दिसंबर से शुरू होकर 31 दिसंबर तक चलेगा.

इस अभियान की खास बात ये है कि इसमें वन विभाग के चौकीदार से लेकर आईएफएस स्तर के अधिकारी तक जंगलों में गश्त करेंगे. अभियान का उद्देश्य शिकार, जहरखुरानी जैसी कोशिशों को नाकाम करने के साथ-साथ वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम करना है.

नौरादेही टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डाॅ. एए अंसारी (Etv Bharat)

बांधवगढ़ हादसे का असर
मध्य प्रदेश की वन संपदा और वन्यप्राणी पूरे देश और दुनिया में मशहूर हैं. लेकिन 29 अक्टूबर को घटी एक घटना के बाद यहां वन्य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर वन विभाग पर उंगलियां उठने लगी थीं. दरअसल 29 अक्टूबर को उमरिया जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के खितौली और पतौर रेंज में 10 से ज्यादा हाथियों की मौत हो गई थी. विसरा जांच में पता चला कि हाथियों ने बड़ी मात्रा में फफूंद लगी कोदों खा ली थी. जिसमें साइक्लोपियाज़ोनिक एसिड मौजूद था.

इसके बाद 29 नवंबर को बफर जोन की पनपथा रेंज में एक बीमार हाथी शावक मिला था. इलाज के दौरान उसने भी दम तोड़ दिया. इस घटना ने प्रदेश सरकार ही नहीं बल्कि केंद्र और दुनिया भर के वन्यजीव संस्थानों को चिंता में डाल दिया था. सवाल उठने लगे थे कि क्या संरक्षित वन क्षेत्र में भी वन्यप्राणी महफूज नहीं हैं. मध्य प्रदेश वन विभाग के इंतजामों पर सवाल उठने लगे थे.

सर्दी के मौसम में बढ़ जाती है शिकार की वारदातें

दरअसल सर्दी के मौसम में जंगल के वन्य प्राणियों की जान को खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि इस मौसम में जंगली जानवर ज्यादा सक्रिय रहते हैं और लंबी दूरी तक आना जाना करते हैं. ऐसे में शिकारियों को उनके आने-जाने के रूट की जानकारी होती है. शिकारी फंदा, बिजली के तार या जहरखुरानी के जरिए जानवरों के शिकार की कोशिश ज्यादा करते हैं. वहीं आमतौर पर सर्दियों के कारण बड़े-बड़े वन क्षेत्रों की निगरानी दूसरे मौसम की तरह नहीं हो पाती है. ऐसे में शिकारियों को मनमाफिक माहौल मिल जाता है. इसी बात को ध्यान रखकर ऑपरेशन वाइल्ड ट्रैप चलाया गया है.

प्रदेश भर के जंगलों की चप्पे-चप्पे की जांच, अधिकारियों की जिम्मेदारी तय
इस अभियान की खास बात ये है कि जंगल में जहां भी वन्य प्राणी विचरण करते हैं, यह अभियान चलाया जा रहा है. सामान्य वन क्षेत्र से लेकर संरक्षित वन क्षेत्र, वन्यजीव अभ्यारण्य, टाइगर रिजर्व, नेशनल पार्क और तमाम तरह के संरक्षित वनों में ये अभियान चल रहा है. इस अभियान में सबसे निचले स्तर के कर्मचारी से लेकर आईएफएस स्तर के डीएफओ और डिप्टी डायरेक्टर, डायरेक्टर तक के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई है. इसके अलावा डॉग स्क्वायड को भी इस अभियान में शामिल किया गया है.

क्या कहते हैं जिम्मेदार

नौरादेही टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डाॅ. एए अंसारी कहते हैं "मध्य प्रदेश वन्य प्राणी मुख्यालय भोपाल द्वारा आपरेशन वाइल्ड ट्रैप अभियान चलाकर बहुत ही अच्छी पहल की गई है. खेतों या जंगलों के आसपास फंदे लगाकर जानवरों का शिकार किया जाता है, जिनमें बाघ, तेंदुए सहित अन्य जानवर शामिल हैं. इनको रोकने के लिए और विभाग में सजगता लाने के लिए एक दिसबंर से 31 दिसंबर तक ये यह अभियान चलाया गया है. इसमें हर स्तर के वनकर्मी शामिल हैं. हम लोगों ने इसकी विधिवत शुरुआत कर दी है."

उन्होंने कहा, "टाइगर रिजर्व के आसपास जितने भी गांव है, वहां डाॅग स्कवायड और कर्मचारी गश्ती कर रहे हैं. इसके अलावा अधिकारियों की भी गश्ती हो रही है. इस अभियान के तहत हम देखते हैं कि जानवरों के शिकार के लिए बिजली के तार तो नहीं फैलाए हैं ? हिरण, जंगली सुअर को फंसाने के लिए कहीं क्लच वायर तो नहीं लगाया गया है? जानवरों को जहर देने के लिए कोई साजिश तो नहीं की गयी है.? इस अभियान में हमें कापी कुछ पता चल जाता है. हमें जानवरों की लोकेशन भी मिल जाती है और नई-नई ऐसी जगहें मिल जाती है, जहां वन्य जीवों के शिकार की संभावना हो सकती है. इस तरह हमें इन पर नियंत्रण करने में आसानी होती है."

सागर: मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हुए हादसे और यहां के जंगलों में जानवरों के होने वाले शिकार को देखते हुए वन विभाग सतर्क हो गया है. प्रदेश में वन्यजीवों की सुरक्षा के मद्देनजर वन विभाग ने एक महीने के लिए ऑपरेशन वाइल्ड ट्रैप शुरू किया है, जो एक दिसंबर से शुरू होकर 31 दिसंबर तक चलेगा.

इस अभियान की खास बात ये है कि इसमें वन विभाग के चौकीदार से लेकर आईएफएस स्तर के अधिकारी तक जंगलों में गश्त करेंगे. अभियान का उद्देश्य शिकार, जहरखुरानी जैसी कोशिशों को नाकाम करने के साथ-साथ वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम करना है.

नौरादेही टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डाॅ. एए अंसारी (Etv Bharat)

बांधवगढ़ हादसे का असर
मध्य प्रदेश की वन संपदा और वन्यप्राणी पूरे देश और दुनिया में मशहूर हैं. लेकिन 29 अक्टूबर को घटी एक घटना के बाद यहां वन्य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर वन विभाग पर उंगलियां उठने लगी थीं. दरअसल 29 अक्टूबर को उमरिया जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के खितौली और पतौर रेंज में 10 से ज्यादा हाथियों की मौत हो गई थी. विसरा जांच में पता चला कि हाथियों ने बड़ी मात्रा में फफूंद लगी कोदों खा ली थी. जिसमें साइक्लोपियाज़ोनिक एसिड मौजूद था.

इसके बाद 29 नवंबर को बफर जोन की पनपथा रेंज में एक बीमार हाथी शावक मिला था. इलाज के दौरान उसने भी दम तोड़ दिया. इस घटना ने प्रदेश सरकार ही नहीं बल्कि केंद्र और दुनिया भर के वन्यजीव संस्थानों को चिंता में डाल दिया था. सवाल उठने लगे थे कि क्या संरक्षित वन क्षेत्र में भी वन्यप्राणी महफूज नहीं हैं. मध्य प्रदेश वन विभाग के इंतजामों पर सवाल उठने लगे थे.

सर्दी के मौसम में बढ़ जाती है शिकार की वारदातें

दरअसल सर्दी के मौसम में जंगल के वन्य प्राणियों की जान को खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि इस मौसम में जंगली जानवर ज्यादा सक्रिय रहते हैं और लंबी दूरी तक आना जाना करते हैं. ऐसे में शिकारियों को उनके आने-जाने के रूट की जानकारी होती है. शिकारी फंदा, बिजली के तार या जहरखुरानी के जरिए जानवरों के शिकार की कोशिश ज्यादा करते हैं. वहीं आमतौर पर सर्दियों के कारण बड़े-बड़े वन क्षेत्रों की निगरानी दूसरे मौसम की तरह नहीं हो पाती है. ऐसे में शिकारियों को मनमाफिक माहौल मिल जाता है. इसी बात को ध्यान रखकर ऑपरेशन वाइल्ड ट्रैप चलाया गया है.

प्रदेश भर के जंगलों की चप्पे-चप्पे की जांच, अधिकारियों की जिम्मेदारी तय
इस अभियान की खास बात ये है कि जंगल में जहां भी वन्य प्राणी विचरण करते हैं, यह अभियान चलाया जा रहा है. सामान्य वन क्षेत्र से लेकर संरक्षित वन क्षेत्र, वन्यजीव अभ्यारण्य, टाइगर रिजर्व, नेशनल पार्क और तमाम तरह के संरक्षित वनों में ये अभियान चल रहा है. इस अभियान में सबसे निचले स्तर के कर्मचारी से लेकर आईएफएस स्तर के डीएफओ और डिप्टी डायरेक्टर, डायरेक्टर तक के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई है. इसके अलावा डॉग स्क्वायड को भी इस अभियान में शामिल किया गया है.

क्या कहते हैं जिम्मेदार

नौरादेही टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डाॅ. एए अंसारी कहते हैं "मध्य प्रदेश वन्य प्राणी मुख्यालय भोपाल द्वारा आपरेशन वाइल्ड ट्रैप अभियान चलाकर बहुत ही अच्छी पहल की गई है. खेतों या जंगलों के आसपास फंदे लगाकर जानवरों का शिकार किया जाता है, जिनमें बाघ, तेंदुए सहित अन्य जानवर शामिल हैं. इनको रोकने के लिए और विभाग में सजगता लाने के लिए एक दिसबंर से 31 दिसंबर तक ये यह अभियान चलाया गया है. इसमें हर स्तर के वनकर्मी शामिल हैं. हम लोगों ने इसकी विधिवत शुरुआत कर दी है."

उन्होंने कहा, "टाइगर रिजर्व के आसपास जितने भी गांव है, वहां डाॅग स्कवायड और कर्मचारी गश्ती कर रहे हैं. इसके अलावा अधिकारियों की भी गश्ती हो रही है. इस अभियान के तहत हम देखते हैं कि जानवरों के शिकार के लिए बिजली के तार तो नहीं फैलाए हैं ? हिरण, जंगली सुअर को फंसाने के लिए कहीं क्लच वायर तो नहीं लगाया गया है? जानवरों को जहर देने के लिए कोई साजिश तो नहीं की गयी है.? इस अभियान में हमें कापी कुछ पता चल जाता है. हमें जानवरों की लोकेशन भी मिल जाती है और नई-नई ऐसी जगहें मिल जाती है, जहां वन्य जीवों के शिकार की संभावना हो सकती है. इस तरह हमें इन पर नियंत्रण करने में आसानी होती है."

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.