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मोदी 3.0 में लागू होगा 'एक राष्ट्र एक चुनाव', गृह मंत्री अमित शाह का दावा - One nation One Election

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 17, 2024, 2:08 PM IST

Home Minister Amit Shah: मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर गृह मंत्री अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने मीडिया संबोधित किया और कहा कि सरकार अपने कार्यकाल के दौरान एक राष्ट्र, एक चुनाव की योजना लागू करना चाहती है.

अमित शाह
अमित शाह (PTI)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि अगले पांच साल के भीतर यानी इस कार्यकाल के पूरा होने से पहले ही देश में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' लागू कर दिया जाएगा. उन्होंने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए NDA सरकार द्वारा सत्ता संभालने के 100 दिनों में किए गए उल्लेखनीय कार्यों पर प्रकाश भी डाला.

गृह मंत्री ने कहा, "सरकार की योजना इस सरकार के कार्यकाल के दौरान एक राष्ट्र, एक चुनाव को लागू करने की है." बता दें कि पिछले महीने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के लिए एक दमदार तर्क दिया था, जिसमें उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि बार-बार होने वाले चुनावों से देश का विकास धीमा हो रहा है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अमित शाह (PTI)

भाजपा के घोषणापत्र में शामिल हो मुद्दा
पीएम मोदी ने राजनीतिक स्पेक्ट्रम को संबोधित करते हुए यह सुनिश्चित करने के लिए एकता का आह्वान किया था कि राष्ट्रीय संसाधनों का आवंटन आम लोगों की भलाई के लिए किया जाए. उन्होंने सामूहिक जिम्मेदारी के महत्व को दोहराते हुए कहा, "हमें 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के सपने को साकार करने के लिए आगे आना होगा." यह प्रस्ताव आगामी लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के घोषणापत्र का एक अहम एलिमेंट है.

पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में बने पैनल की सिफारिश
गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय पैनल ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं दोनों के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी. हालांकि, पैनल ने प्रस्तावित बदलावों को लागू करने के लिए कोई समयसीमा नहीं बताई है, लेकिन इसने अपनी सिफारिशों को सुचारू रूप से लागू करने के लिए एक 'कार्यान्वयन समूह' के गठन का आह्वान किया.

इसके लिए पैनल ने 18 संवैधानिक संशोधनों का भी सुझाव दिया, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभा की मंजूरी की आवश्यकता नहीं है, लेकिन संवैधानिक संशोधन विधेयक के रूप में संसद की मंजूरी की आवश्यकता होगी.

यह भी पढ़ें- आजादी के बाद पहली बार देश को मिली मजबूत सरकार:अमित शाह

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि अगले पांच साल के भीतर यानी इस कार्यकाल के पूरा होने से पहले ही देश में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' लागू कर दिया जाएगा. उन्होंने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए NDA सरकार द्वारा सत्ता संभालने के 100 दिनों में किए गए उल्लेखनीय कार्यों पर प्रकाश भी डाला.

गृह मंत्री ने कहा, "सरकार की योजना इस सरकार के कार्यकाल के दौरान एक राष्ट्र, एक चुनाव को लागू करने की है." बता दें कि पिछले महीने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के लिए एक दमदार तर्क दिया था, जिसमें उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि बार-बार होने वाले चुनावों से देश का विकास धीमा हो रहा है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अमित शाह (PTI)

भाजपा के घोषणापत्र में शामिल हो मुद्दा
पीएम मोदी ने राजनीतिक स्पेक्ट्रम को संबोधित करते हुए यह सुनिश्चित करने के लिए एकता का आह्वान किया था कि राष्ट्रीय संसाधनों का आवंटन आम लोगों की भलाई के लिए किया जाए. उन्होंने सामूहिक जिम्मेदारी के महत्व को दोहराते हुए कहा, "हमें 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के सपने को साकार करने के लिए आगे आना होगा." यह प्रस्ताव आगामी लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के घोषणापत्र का एक अहम एलिमेंट है.

पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में बने पैनल की सिफारिश
गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय पैनल ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं दोनों के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी. हालांकि, पैनल ने प्रस्तावित बदलावों को लागू करने के लिए कोई समयसीमा नहीं बताई है, लेकिन इसने अपनी सिफारिशों को सुचारू रूप से लागू करने के लिए एक 'कार्यान्वयन समूह' के गठन का आह्वान किया.

इसके लिए पैनल ने 18 संवैधानिक संशोधनों का भी सुझाव दिया, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभा की मंजूरी की आवश्यकता नहीं है, लेकिन संवैधानिक संशोधन विधेयक के रूप में संसद की मंजूरी की आवश्यकता होगी.

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