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बिजली खरीद मामले में तेलंगाना के पूर्व सीएम केसीआर को नोटिस - Notices To KCR

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 11, 2024, 6:49 PM IST

Notices To KCR : यदाद्री और भद्राद्री बिजली संयंत्रों के निर्माण और छत्तीसगढ़ बिजली खरीद पर न्यायमूर्ति एल नरसिम्हा रेड्डी आयोग ने कई अहम बिंदुओं का खुलासा किया है. आयोग ने बताया कि इन तीनों पहलुओं पर अब तक 25 अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को पत्र लिखा जा चुका है. आयोग ने स्पष्ट किया कि उसने पूर्व मुख्यमंत्री केसीआर को भी पत्र लिखा है. पढ़ें पूरी खबर...

Notices To KCR
बिजली खरीद मामले में केसीआर को नोटिस (ETV Bharat)

हैदराबाद : न्यायमूर्ति नरसिम्हा रेड्डी की अगुआई वाली समिति ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के प्रमुख के. चंद्रशेखर राव को नोटिस जारी कर उनसे उनके कार्यकाल के दौरान बिजली खरीद समझौते (पीपीए) में उनकी संलिप्तता पर विस्तृत जवाब मांगा है. आयोग ने केसीआर से 15 जून तक जवाब मांगा है. नोटिस का जवाब देते हुए केसीआर ने मामले में स्पष्टीकरण देने के लिए 30 जुलाई तक का समय मांगा है.

बता दें, आयोग का गठन बीआरएस के सरकार में रहने के दौरान किए गए बिजली खरीद समझौतों में अनियमितताओं की जांच के लिए किया गया था. जांच खास तौर पर यदाद्री और दामरचेरला बिजली संयंत्रों पर केंद्रित है और इसमें छत्तीसगढ़ से प्रस्तावित 1,000 मेगावाट बिजली खरीद भी शामिल है. वहीं, सोमवार को इस मामले में टीएस जेनको एंड ट्रांसको के पूर्व चेयरमैन और प्रबंध निदेशक प्रभाकर राव पूर्व विशेष मुख्य सचिव सुरेश चंदा के साथ आयोग के समक्ष पेश हुए. सुरेश चंदा छत्तीसगढ़ से बिजली खरीदने के प्रस्ताव में शामिल थे. आयोग ने पूर्व सीएम को चेतावनी दी कि अगर जवाब संतोषजनक नहीं रहा तो उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होना पड़ेगा.

न्यायमूर्ति एल नरसिम्हा रेड्डी आयोग ने कई अहम बिंदुओं का किया खुलासा
यदाद्री और भद्राद्री बिजली संयंत्रों के निर्माण और छत्तीसगढ़ बिजली खरीद पर न्यायमूर्ति एल नरसिम्हा रेड्डी आयोग ने कई अहम बिंदुओं का खुलासा किया है. आयोग ने बताया कि इन तीनों पहलुओं पर अब तक 25 अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को पत्र लिखा जा चुका है. आयोग ने स्पष्ट किया कि उसने पूर्व मुख्यमंत्री केसीआर को भी पत्र लिखा है. आयोग का मानना ​​है कि छत्तीसगढ़ में बिजली खरीद के कारण सरकार पर भारी वित्तीय बोझ पड़ा है. आयोग के मुताबिक, छत्तीसगढ़ बिजली खरीद समझौते के दौरान बिजली कंपनी का वास्तविक निर्माण नहीं हुआ था. न्यायमूर्ति एल नरसिम्हा रेड्डी ने बीआरके भवन में आयोजित मीडिया कॉन्फ्रेंस में यदाद्री और भद्राद्री बिजली संयंत्रों के निर्माण और छत्तीसगढ़ से बिजली खरीद का ब्यौरा पेश किया.

न्यायमूर्ति एल नरसिम्हाराड्डी ने कहा कि उन्होंने 25 अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को पत्र लिखा है. लगभग सभी ने उनके पत्रों का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि यदाद्री और भद्राद्री बिजली संयंत्रों का निर्माण और छत्तीसगढ़ बिजली खरीद का मामला तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा लिया गया निर्णय था, लेकिन जेनको और अन्य एजेंसियों द्वारा स्वतंत्र रूप से कोई निर्णय नहीं लिया गया.

उन्होंने आगे कहा कि राज्य में बिजली की कम उपलब्धता के कारण नई केसीआर सरकार में पहले दक्षिणी राज्यों की एजेंसियों से बिजली खरीदने के लिए संयुक्त उद्यम दिया गया था, लेकिन दो महीने बाद इसे कहीं से भी खरीदने के लिए बदल दिया गया. इस बीच छत्तीसगढ़ के साथ बिजली खरीद समझौता किया गया. न्यायमूर्ति ने कहा कि सरकारी अधिकारियों के अलावा सीपीडीसीएल ने भी बिजली खरीद के लिए उनके साथ समझौता किया है. नवंबर 2016 के अंत में वित्त विभाग ने तेलंगाना विद्युत विनियमन आयोग (ईआरसी) को एक पत्र लिखा था.

राज्य पर भारी वित्तीय बोझ पड़ने की संभावना है
उस पत्र में यह बात सामने आई थी कि छत्तीसगढ़ से बिजली खरीदने के कारण राज्य पर भारी वित्तीय बोझ पड़ने की संभावना है. पत्र में उल्लेख किया गया है कि अगर खुले बाजार में बिजली खरीदी जाती है, तो काफी पैसा बचाने का मौका है. लेकिन न्यायमूर्ति एल नरसिम्हा रेड्डी ने बताया कि सरकारी अधिकारियों ने उस मामले पर ध्यान नहीं दिया. उन्होंने कहा कि ईआरसी ने भी उस पत्र पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.

जब पिछले अधिकारियों से पूछा गया कि बिजली खरीदने के लिए टेंडर प्रक्रिया क्यों नहीं की गई, तो उन्होंने जवाब दिया कि बिजली की कमी के कारण उन्हें तत्काल बिजली खरीदनी पड़ रही है. लेकिन रिकॉर्ड खंगालने पर एक और दिलचस्प बात सामने आई है, जस्टिस ने कहा कि एमओयू और पीपीयू एग्रीमेंट के समय यह एग्रीमेंट हुआ था कि छत्तीसगढ़ पावर कंपनी पूरी तरह से बनकर तैयार नहीं होगी, बल्कि निर्माण की अवस्था में होगी. आयोग ने खुलासा किया कि छत्तीसगढ़ बिजली कंपनी 2017 में शुरू हुई, तीन-चार साल तक बिजली दी और फिर समस्याओं के कारण बंद हो गई.

भद्राद्री पावर प्लांट ने भी पावर प्लांट के निर्माण को लेकर कई आशंकाएं जताई हैं. सुपर क्रिटिकल थर्मल परियोजनाओं का निर्माण हर जगह चल रहा है, जबकि भद्राद्री का निर्माण सब क्रिटिकल तकनीक से किया गया है. उन्होंने कहा कि सब क्रिटिकल स्थिति के कारण वायु प्रदूषण बढ़ने के अलावा हर साल कोयला खरीदने का खर्च 250 से 300 करोड़ रुपये होगा. उन्होंने कहा कि सुपर क्रिटिकल थर्मल परियोजनाओं की तुलना में सब क्रिटिकल थर्मल परियोजनाओं में जरूरत से ज्यादा कोयले का इस्तेमाल होगा.

हालांकि निर्माण साझेदारी में शामिल अधिकारियों का कहना है कि निर्माण जल्दी करने के लिए वे सब क्रिटिकल गए हैं, लेकिन उन्हें पहले ही जानकारी मिल चुकी है कि कोट्टागुडेम में सुपर क्रिटिकल तकनीक से एक इकाई का निर्माण किया गया है. उन्होंने कहा कि यदाद्री थर्मल प्लांट को भी टेंडर प्रक्रिया से गुजरने के बजाय नामांकन प्रक्रिया के जरिए दिया गया था. उन्होंने कहा कि यदाद्री में अभी बिजली उत्पादन शुरू नहीं हुआ है.

न्यायमूर्ति नरसिम्हा रेड्डी ने कहा कि यह सर्वविदित है कि ये सभी मामले मुख्यमंत्री की बैठक में तय किए गए थे और इसलिए पूर्व मुख्यमंत्री केसीआर को नोटिस दिए गए हैं.

क्या है पूरा मामला
बता दें कि सीएम रेवंत रेड्डी की अगुवाई वाली तेलंगाना सरकार ने न्यायमूर्ति नरसिम्हा रेड्डी की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग गठित किया है, जिसमें कहा गया है कि पिछली बीआरएस सरकार के दौरान बिजली खरीद में अनियमितताएं हुई थीं. ज्ञात हो कि आयोग ने इसी क्रम में जांच शुरू की है. पिछले दो दिनों से बीआरएस शासन के दौरान काम करने वाले कुछ अधिकारियों को जांच के लिए बुलाया गया और विभिन्न प्रमुख बिंदुओं पर पूछताछ की गई.

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हैदराबाद : न्यायमूर्ति नरसिम्हा रेड्डी की अगुआई वाली समिति ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के प्रमुख के. चंद्रशेखर राव को नोटिस जारी कर उनसे उनके कार्यकाल के दौरान बिजली खरीद समझौते (पीपीए) में उनकी संलिप्तता पर विस्तृत जवाब मांगा है. आयोग ने केसीआर से 15 जून तक जवाब मांगा है. नोटिस का जवाब देते हुए केसीआर ने मामले में स्पष्टीकरण देने के लिए 30 जुलाई तक का समय मांगा है.

बता दें, आयोग का गठन बीआरएस के सरकार में रहने के दौरान किए गए बिजली खरीद समझौतों में अनियमितताओं की जांच के लिए किया गया था. जांच खास तौर पर यदाद्री और दामरचेरला बिजली संयंत्रों पर केंद्रित है और इसमें छत्तीसगढ़ से प्रस्तावित 1,000 मेगावाट बिजली खरीद भी शामिल है. वहीं, सोमवार को इस मामले में टीएस जेनको एंड ट्रांसको के पूर्व चेयरमैन और प्रबंध निदेशक प्रभाकर राव पूर्व विशेष मुख्य सचिव सुरेश चंदा के साथ आयोग के समक्ष पेश हुए. सुरेश चंदा छत्तीसगढ़ से बिजली खरीदने के प्रस्ताव में शामिल थे. आयोग ने पूर्व सीएम को चेतावनी दी कि अगर जवाब संतोषजनक नहीं रहा तो उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होना पड़ेगा.

न्यायमूर्ति एल नरसिम्हा रेड्डी आयोग ने कई अहम बिंदुओं का किया खुलासा
यदाद्री और भद्राद्री बिजली संयंत्रों के निर्माण और छत्तीसगढ़ बिजली खरीद पर न्यायमूर्ति एल नरसिम्हा रेड्डी आयोग ने कई अहम बिंदुओं का खुलासा किया है. आयोग ने बताया कि इन तीनों पहलुओं पर अब तक 25 अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को पत्र लिखा जा चुका है. आयोग ने स्पष्ट किया कि उसने पूर्व मुख्यमंत्री केसीआर को भी पत्र लिखा है. आयोग का मानना ​​है कि छत्तीसगढ़ में बिजली खरीद के कारण सरकार पर भारी वित्तीय बोझ पड़ा है. आयोग के मुताबिक, छत्तीसगढ़ बिजली खरीद समझौते के दौरान बिजली कंपनी का वास्तविक निर्माण नहीं हुआ था. न्यायमूर्ति एल नरसिम्हा रेड्डी ने बीआरके भवन में आयोजित मीडिया कॉन्फ्रेंस में यदाद्री और भद्राद्री बिजली संयंत्रों के निर्माण और छत्तीसगढ़ से बिजली खरीद का ब्यौरा पेश किया.

न्यायमूर्ति एल नरसिम्हाराड्डी ने कहा कि उन्होंने 25 अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को पत्र लिखा है. लगभग सभी ने उनके पत्रों का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि यदाद्री और भद्राद्री बिजली संयंत्रों का निर्माण और छत्तीसगढ़ बिजली खरीद का मामला तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा लिया गया निर्णय था, लेकिन जेनको और अन्य एजेंसियों द्वारा स्वतंत्र रूप से कोई निर्णय नहीं लिया गया.

उन्होंने आगे कहा कि राज्य में बिजली की कम उपलब्धता के कारण नई केसीआर सरकार में पहले दक्षिणी राज्यों की एजेंसियों से बिजली खरीदने के लिए संयुक्त उद्यम दिया गया था, लेकिन दो महीने बाद इसे कहीं से भी खरीदने के लिए बदल दिया गया. इस बीच छत्तीसगढ़ के साथ बिजली खरीद समझौता किया गया. न्यायमूर्ति ने कहा कि सरकारी अधिकारियों के अलावा सीपीडीसीएल ने भी बिजली खरीद के लिए उनके साथ समझौता किया है. नवंबर 2016 के अंत में वित्त विभाग ने तेलंगाना विद्युत विनियमन आयोग (ईआरसी) को एक पत्र लिखा था.

राज्य पर भारी वित्तीय बोझ पड़ने की संभावना है
उस पत्र में यह बात सामने आई थी कि छत्तीसगढ़ से बिजली खरीदने के कारण राज्य पर भारी वित्तीय बोझ पड़ने की संभावना है. पत्र में उल्लेख किया गया है कि अगर खुले बाजार में बिजली खरीदी जाती है, तो काफी पैसा बचाने का मौका है. लेकिन न्यायमूर्ति एल नरसिम्हा रेड्डी ने बताया कि सरकारी अधिकारियों ने उस मामले पर ध्यान नहीं दिया. उन्होंने कहा कि ईआरसी ने भी उस पत्र पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.

जब पिछले अधिकारियों से पूछा गया कि बिजली खरीदने के लिए टेंडर प्रक्रिया क्यों नहीं की गई, तो उन्होंने जवाब दिया कि बिजली की कमी के कारण उन्हें तत्काल बिजली खरीदनी पड़ रही है. लेकिन रिकॉर्ड खंगालने पर एक और दिलचस्प बात सामने आई है, जस्टिस ने कहा कि एमओयू और पीपीयू एग्रीमेंट के समय यह एग्रीमेंट हुआ था कि छत्तीसगढ़ पावर कंपनी पूरी तरह से बनकर तैयार नहीं होगी, बल्कि निर्माण की अवस्था में होगी. आयोग ने खुलासा किया कि छत्तीसगढ़ बिजली कंपनी 2017 में शुरू हुई, तीन-चार साल तक बिजली दी और फिर समस्याओं के कारण बंद हो गई.

भद्राद्री पावर प्लांट ने भी पावर प्लांट के निर्माण को लेकर कई आशंकाएं जताई हैं. सुपर क्रिटिकल थर्मल परियोजनाओं का निर्माण हर जगह चल रहा है, जबकि भद्राद्री का निर्माण सब क्रिटिकल तकनीक से किया गया है. उन्होंने कहा कि सब क्रिटिकल स्थिति के कारण वायु प्रदूषण बढ़ने के अलावा हर साल कोयला खरीदने का खर्च 250 से 300 करोड़ रुपये होगा. उन्होंने कहा कि सुपर क्रिटिकल थर्मल परियोजनाओं की तुलना में सब क्रिटिकल थर्मल परियोजनाओं में जरूरत से ज्यादा कोयले का इस्तेमाल होगा.

हालांकि निर्माण साझेदारी में शामिल अधिकारियों का कहना है कि निर्माण जल्दी करने के लिए वे सब क्रिटिकल गए हैं, लेकिन उन्हें पहले ही जानकारी मिल चुकी है कि कोट्टागुडेम में सुपर क्रिटिकल तकनीक से एक इकाई का निर्माण किया गया है. उन्होंने कहा कि यदाद्री थर्मल प्लांट को भी टेंडर प्रक्रिया से गुजरने के बजाय नामांकन प्रक्रिया के जरिए दिया गया था. उन्होंने कहा कि यदाद्री में अभी बिजली उत्पादन शुरू नहीं हुआ है.

न्यायमूर्ति नरसिम्हा रेड्डी ने कहा कि यह सर्वविदित है कि ये सभी मामले मुख्यमंत्री की बैठक में तय किए गए थे और इसलिए पूर्व मुख्यमंत्री केसीआर को नोटिस दिए गए हैं.

क्या है पूरा मामला
बता दें कि सीएम रेवंत रेड्डी की अगुवाई वाली तेलंगाना सरकार ने न्यायमूर्ति नरसिम्हा रेड्डी की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग गठित किया है, जिसमें कहा गया है कि पिछली बीआरएस सरकार के दौरान बिजली खरीद में अनियमितताएं हुई थीं. ज्ञात हो कि आयोग ने इसी क्रम में जांच शुरू की है. पिछले दो दिनों से बीआरएस शासन के दौरान काम करने वाले कुछ अधिकारियों को जांच के लिए बुलाया गया और विभिन्न प्रमुख बिंदुओं पर पूछताछ की गई.

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