नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बलवंत सिंह राजोआना को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से उसकी लंबित दया याचिका की स्थिति के बारे में सुने बिना फैसला नहीं लिया जा सकता है.
बब्बर खालसा आतंकवादी समूह के समर्थक राजोआना ने 1995 में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में अपनी भूमिका के संबंध में अपनी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की मांग की थी.
यह मामला न्यायमूर्ति बी आर गवई की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया था. राजोआना पंजाब पुलिस का एक पूर्व कांस्टेबल था. वह 29 साल से जेल में बंद है और फांसी की प्रतीक्षा कर रहा है. उसने अपनी याचिका में तर्क दिया कि केंद्र ने 25 मार्च, 2012 को उसकी दया याचिका पर आज तक कोई निर्णय नहीं लिया है. राजोआना की रिहाई का मुद्दा राजनीतिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है.
आज मामले की शुरुआत में राजोआना का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने जोरदार ढंग से तर्क दिया कि दया याचिका पर निर्णय लेने में देरी चौंकाने वाली है. साथ ही कहा कि राजोआना 29 वर्षों से हिरासत में है. उन्होंने राजोआना की अस्थायी रिहाई के लिए दबाव बनाया. पंजाब सरकार के वकील ने पीठ को बताया कि राज्य ने अभी तक इस मामले में अपना जवाब दाखिल नहीं किया है तथा इसके लिए समय मांगा.
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह राजोआना की रिहाई की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार और पंजाब सरकार के हलफनामों के अभाव में कोई आदेश पारित नहीं करेगा. पीठ में न्यायमूर्ति पीके मिश्रा और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन भी शामिल थे. पीठ ने कहा कि कोई भी निर्णय लेने से पहले न्यायालय को दया याचिका की स्थिति पर स्पष्टता की आवश्यकता है.
साथ ही कहा कि वह प्रतिवादियों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय देगी. रोहतगी ने कहा कि उनका एक अत्यावश्यक अनुरोध कि उनका एक मुवक्किल 29 वर्षों में से जेल में है और 15 वर्षों से दया याचिका के फैसले का इंतजार कर रहा है. जबकि ऐसे मामले में अन्य लोगों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा आजीवन कारावास में बदल दिया गया.
रोहतगी ने कहा कि उनके मुवक्किल की पिछली याचिका का मई 2023 में निपटारा किया गया था. पीठ ने कहा कि वे नियत समय में दया याचिका पर कार्रवाई करेंगे. रोहतगी ने अनुरोध किया कि उसे 6 महीने या 3 महीने के लिए रिहा कर दिया जाए. वह एक खत्म हो चुका व्यक्ति है. उसे बाहर की दुनिया देखने दें.
केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राजोआना पंजाब के मुख्यमंत्री की हत्या का दोषी है. और उन्होंने कहा कि उसकी दया याचिका के बारे में जानकारी प्राप्त करने दीजिए. तुषार मेहता ने कहा कि यह संभव है कि यह राष्ट्रपति के पास हो. न्यायमूर्ति गवई ने कहा, 'इस पर किसी भी तरह से निर्णय लिया जा सकता है, अन्यथा हम इस पर विचार करेंगे.
रोहतगी ने कहा कि वह कुछ अंतरिम राहत की मांग कर रहे हैं. इसपर न्यायमूर्ति गवई ने कहा, 'केंद्र की सुनवाई किए बिना संभव नहीं है. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को निर्धारित की. अगली सुनवाई में केंद्र और पंजाब सरकार को अपनी-अपनी स्थिति स्पष्ट करने का मौका मिला. राजोआना बब्बर खालसा से जुड़ा था जो पंजाब में उग्रवाद के दौरान हिंसक गतिविधियों के लिए जिम्मेदार एक उग्रवादी सिख अलगाववादी समूह है. उसकी रिहाई आतंकवाद पीड़ितों के परिवारों और पंजाब में राजनीतिक गतिशीलता दोनों के लिए एक संवेदनशील मुद्दा है.
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