नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ अपना अभियान जारी रखते हुए, नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन (एनईएसओ) ने पूरे भारत में छात्र संगठनों को अपने साथ लेकर इसे एक अखिल भारतीय आंदोलन बनाने का फैसला किया है. ईटीवी भारत को इसका खुलासा करते हुए एनईएसओ के वित्त सचिव जॉन देबबर्मा ने कहा कि वे अपने आंदोलन में शामिल होने के लिए अन्य राज्यों के छात्र संगठनों से संपर्क करने की योजना बना रहे हैं.
देबबर्मा, जो त्रिपुरा स्टूडेंट फेडरेशन (टीएसएफ) के उपाध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि हम जल्द ही एनईएसओ की बैठक करेंगे, जहां हम अपनी भविष्य की रणनीति तय करेंगे. यह अधिनियम स्वयं असंवैधानिक है, क्योंकि धर्म के आधार पर नागरिकता देना हमारे देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र के विरुद्ध है. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के सभी छात्र संगठन इसके कार्यान्वयन के विरोध में सीएए की प्रतियां जला रहे हैं.
देबबर्मा ने कहा कि 'त्रिपुरा में भी हमने CAA की प्रतियां जलाईं.' उन्होंने कहा कि यह अधिनियम न केवल जनसांख्यिकीय परिवर्तन लाएगा, बल्कि इसका असर देश के वास्तविक नागरिकों पर भी पड़ेगा. इसी विचार को दोहराते हुए, एनईएसओ के अध्यक्ष सैमुअल जिरवा ने कहा कि केंद्र सरकार सीएए को बलपूर्वक लागू नहीं कर सकती है. एनईएसओ पूर्वोत्तर में विभिन्न छात्र निकायों का एक समूह है.
जिरवा ने कहा कि 'हम सीएए को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करेंगे. हम अधिनियम के कार्यान्वयन के खिलाफ अपना विरोध जारी रखेंगे.' उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को सीएए के बजाय मूल जनजातियों की सुरक्षा के लिए पूर्वोत्तर राज्यों को इनर लाइन परमिट देना चाहिए था. जिरवा ने कहा कि 'पूर्वोत्तर राज्य अलग-थलग नहीं रह सकते. हालांकि छठी अनुसूचित और इनर लाइन परमिट (आईएलपी) क्षेत्रों को अधिनियम के दायरे से छूट दी गई है, असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के कई हिस्सों को अधिनियम से छूट नहीं दी गई है.'
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए छठी अनुसूची भी कोई अचूक तरीका नहीं है. उन्होंने कहा कि 'सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही एक मामला लंबित है. हमें इस संबंध में न्यायपालिका से न्याय मिलने की उम्मीद है.' उन्होंने कहा कि 'हम जल्द ही सीएए नियमों और इसके कार्यान्वयन को चुनौती देने वाली एक और नई याचिका दायर करेंगे.'
इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्रालय सीएए नियमों की अधिसूचना की घोषणा के बाद विकसित हुई स्थिति पर करीब से नजर रख रहा है. गृह मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि 'पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों विशेषकर असम, मेघालय और त्रिपुरा से आंदोलन की कुछ खबरें हैं. दूसरे राज्यों में भी कुछ जगहें हैं, जहां से ऐसी ही खबरें आ रही हैं. हमने राज्य मशीनरी से तदनुसार स्थिति को संभालने के लिए कहा है.
सूत्रों ने बताया कि गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने भी बुधवार को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को कुछ राज्यों की स्थिति से अवगत कराया. इस बीच, गृह मंत्रालय जल्द ही CAA-2019 के तहत भारतीय नागरिकता के आवेदकों की सहायता के लिए एक हेल्पलाइन नंबर शुरू कर रहा है. गृह मंत्रालय ने कहा कि आवेदक भारत में कहीं से भी मुफ्त कॉल कर सकते हैं और सीएए-2019 से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
मंत्रालय ने कहा कि 'हेल्पलाइन सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक उपलब्ध रहेगी.' जब से केंद्र सरकार ने सीएए नियमों को अधिसूचित किया है, तब से छात्र संगठनों और विपक्षी दलों ने इस अधिनियम का विरोध करना शुरू कर दिया है. सीएए 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले प्रताड़ित हिंदुओं, पारसियों, सिखों, बौद्धों, जैनियों और ईसाइयों के भारतीय नागरिकता आवेदनों में तेजी लाता है.