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भारत में कोविड-19 टीकों को लेकर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, विशेषज्ञों ने कहा - Covid19 vaccines in India

Covid19 vaccines in India: भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र के शीर्ष विशेषज्ञों ने कहा कि भारत में फिलहाल कोविड-19 टीकों को लेकर चिंता की कोई आवश्यकता नहीं है. हालांकि, उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को मामलों की घटना पर नजर रखनी चाहिए, जीनोम सिक्वेंसिंग करना चाहिए और टीकों के बारे में मिथकों और गलतफहमियों को दूर करना चाहिए. कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट पर ईटीवी भारत संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट...

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प्रतीकात्मक तस्वीर (ETV Bharat, IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 10, 2024, 10:39 PM IST

Updated : May 11, 2024, 2:43 PM IST

नई दिल्ली: फार्मास्‍यूटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट में वैक्सीन के खतरनाक साइड इफेक्ट की बात स्वीकार की थी. जिसके बाद कोविशील्ड वैक्सीन पर मचे बवाल के बाद हार्ट अटैक के खतरे के जोखिम से हड़कंप मच गया. वहीं भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों ने शुक्रवार (10 मई) को कहा कि, अधिकांश लोगों को कोविड-19 टीकों की तीन खुराकें दी गई हैं, इसलिए चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. यह बयान ब्रिटिश फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा अदालत में स्वीकार किए जाने के कुछ दिनों बाद आया है, जिसमें उन्होंने उनके कोविड-19 वैक्सीन के दुष्प्रभाव की बात स्वीकार की थी.

टीटीएस सिंड्रोम का दुर्लभ दुष्प्रभाव
एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया है कि टीटीएस सिंड्रोम का एक दुर्लभ दुष्प्रभाव है. यह एक दुर्लभ समस्या है जो 2021 में व्यक्तियों में कोविशील्ड की पहली खुराक दिए जाने के बाद हुई थी. अब अधिकांश व्यक्तियों को तीन खुराकें दी गई हैं. इसलिए चिंता करने की जरूरत नहीं है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संस्थान (एनआईएचएफडब्ल्यू) की कार्यक्रम सलाहकार समिति की अध्यक्ष डॉ. सुनीला गर्ग ने ईटीवी भारत को बताया कि,कोरोना काल में सभी टीकों का आपतकालीन उपयोग ने अस्पताल में भर्ती होने और गंभीरता को रोकने के उद्देश्य को पूर्ण किया है. उन्होंने आगे कहा कि, अब भी कोविड के अलग-अलग वैरिएंट देखे जा रहे हैं. ये सभी ओमिक्रॉन के वेरिएंट हैं लेकिन कोई बड़ा प्रकोप नहीं देखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि, सरकार को मामलों की घटना पर नजर रखनी चाहिए. जीनोम सिक्वेंसी किया जाना चाहिए और कोविशील्ड के बारे में मिथकों और गलतफहमियों को दूर करना चाहिए. हालांकि, डॉ. गर्ग ने कहा कि हर टीके के कुछ दुष्प्रभाव होते हैं.

कोविशील्ड के दुष्प्रभाव
एस्ट्राजेनेका ने हाल ही में अदालती दस्तावेजों में स्वीकार किया था कि कोविड-19 के खिलाफ उसके टीके (कोविशील्ड) में टीटीएस पैदा करने की क्षमता है, जो रक्त के थक्के जमने से जुड़ा एक दुर्लभ साइड इफेक्ट है. कंपनी की कोविड-19 वैक्सीन वैश्विक स्तर पर कोविशील्ड और वैक्सजेवरिया ब्रांड नाम के तहत बेची गई थी। थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) के साथ घनास्त्रता एक गंभीर और जीवन-घातक प्रतिकूल घटना है.

कोविशील्ड से SII कनेक्शन
भारतीय फार्मा दिग्गज सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) कोविशील्ड का निर्माता है, जो भारत में एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी वैक्सीन द्वारा विकसित वैक्सीन है. एस्ट्राजेनेका की स्वीकारोक्ति के बाद, SII ने कहा है कि उसने कोविड-19 वैक्सीन कोविशील्ड बनाना और आपूर्ति करना बंद कर दिया है. ब्रिटेन के हाईकोर्ट में पेश दस्तावेजों में एस्ट्राजेनेका ने टीटीएस जैसे दुर्लभ साइड इफेक्ट्स की बात कबूल करने के बाद कंपनी ने दुनियाभर से अपना कोरोना का टीका वापस मंगा लिया है.

सरकार का दृष्टिकोण
हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पिछले डेढ़ वर्षों में, लगभग 4 लाख कोविड -19 टीकों का घरेलू स्तर पर उपयोग किया गया था. दरअसल, सितंबर 2022 के बाद जब मुफ्त बूस्टर खुराक की पेशकश की गई, तो सरकार ने वैक्सीन की कोई और खुराक नहीं खरीदी. अधिकारी ने कहा कि, फिलहाल भारत में वैक्सीन का स्टॉक नहीं होने पर इसे वापस मंगाने का कोई मतलब नहीं है.

भारत की वर्तमान टीकाकरण स्थिति
CoWIN डेटा के अनुसार भारत में अब तक 95.2 करोड़ से अधिक लोगों को पूरी तरह से टीका लगाया गया है. आंकड़ों के अनुसार, अब तक 1,74,9417,978 कोविशील्ड वैक्सीन जैब्स दिए जा चुके हैं. इसी तरह, 36,39,30,701 कोवैक्सिन लाभार्थियों को दी गई है. कोवैक्सिन और कोविशील्ड के अलावा, स्पुतनिक वी, कॉर्बेवैक्स, iNCOVACC और GEMCOVAC-OM जैब जैसे टीके भी लोगों को लगाए गए. पिछले 24 घंटों में भारत में 32 लोगों को टीका लगाया गया. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में वर्तमान में 792 सक्रिय कोविड मामले हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के कोविड निगरानी समूह, INSACOG के अनुसार, JN.1 कोविड-19 उप-वेरिएंट वर्तमान में देखे जा रहे हैं. हालांकि, इस सब वेरिएंट के साथ रोग की गंभीरता या अस्पताल में भर्ती होने में कोई वृद्धि नहीं देखी गई है.

विशेषज्ञों की राय
प्रसिद्ध सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और एशियन सोसाइटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. टैमोरिश कोले ने कहा कि एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया है कि, कोविशील्ड वैक्सीन थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) के साथ थ्रोम्बोसिस सहित दुर्लभ दुष्प्रभाव पैदा कर सकती है, जिसमें रक्त के थक्कों का जमना बताया गया है. उन्होंने कहा कि, टीटीएस सबसे अधिक कोरोना टीके की पहली खुराक प्राप्त करने के बाद तीसरे दिन से 30वें दिन के बीच देखा जाता है. हालांकि, वर्तमान में टीटीएस की घटना अत्यंत दुर्लभ है. उन्होंने कहा कि, यदि किसी व्यक्ति को पहली खुराक के बाद टीटीएस का अनुभव नहीं हुआ है तो दूसरी खुराक से टीटीएस होगा, इसकी संभावना नहीं है.

उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोगों को टीकाकरण के बाद हल्के या मध्यम साइड इफेक्ट का अनुभव होता है. ये आमतौर पर कुछ ही दिनों में अपने आप ठीक हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि, इंजेक्शन लगने वाले स्थान पर दर्द, बुखार, थकान, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द या फिर दस्त शामिल है. जबकि कुछ कोविड-19 टीकों के लिए अत्यंत दुर्लभ, गंभीर एलर्जी प्रतिक्रियाएं (जैसे एनाफिलेक्सिस) की सूचना मिली है.

ये भी पढ़ें: वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने स्वीकारा, कोरोना वैक्सीन से दुर्लभ मामलों में जम सकता है खून का थक्का

नई दिल्ली: फार्मास्‍यूटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट में वैक्सीन के खतरनाक साइड इफेक्ट की बात स्वीकार की थी. जिसके बाद कोविशील्ड वैक्सीन पर मचे बवाल के बाद हार्ट अटैक के खतरे के जोखिम से हड़कंप मच गया. वहीं भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों ने शुक्रवार (10 मई) को कहा कि, अधिकांश लोगों को कोविड-19 टीकों की तीन खुराकें दी गई हैं, इसलिए चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. यह बयान ब्रिटिश फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा अदालत में स्वीकार किए जाने के कुछ दिनों बाद आया है, जिसमें उन्होंने उनके कोविड-19 वैक्सीन के दुष्प्रभाव की बात स्वीकार की थी.

टीटीएस सिंड्रोम का दुर्लभ दुष्प्रभाव
एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया है कि टीटीएस सिंड्रोम का एक दुर्लभ दुष्प्रभाव है. यह एक दुर्लभ समस्या है जो 2021 में व्यक्तियों में कोविशील्ड की पहली खुराक दिए जाने के बाद हुई थी. अब अधिकांश व्यक्तियों को तीन खुराकें दी गई हैं. इसलिए चिंता करने की जरूरत नहीं है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संस्थान (एनआईएचएफडब्ल्यू) की कार्यक्रम सलाहकार समिति की अध्यक्ष डॉ. सुनीला गर्ग ने ईटीवी भारत को बताया कि,कोरोना काल में सभी टीकों का आपतकालीन उपयोग ने अस्पताल में भर्ती होने और गंभीरता को रोकने के उद्देश्य को पूर्ण किया है. उन्होंने आगे कहा कि, अब भी कोविड के अलग-अलग वैरिएंट देखे जा रहे हैं. ये सभी ओमिक्रॉन के वेरिएंट हैं लेकिन कोई बड़ा प्रकोप नहीं देखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि, सरकार को मामलों की घटना पर नजर रखनी चाहिए. जीनोम सिक्वेंसी किया जाना चाहिए और कोविशील्ड के बारे में मिथकों और गलतफहमियों को दूर करना चाहिए. हालांकि, डॉ. गर्ग ने कहा कि हर टीके के कुछ दुष्प्रभाव होते हैं.

कोविशील्ड के दुष्प्रभाव
एस्ट्राजेनेका ने हाल ही में अदालती दस्तावेजों में स्वीकार किया था कि कोविड-19 के खिलाफ उसके टीके (कोविशील्ड) में टीटीएस पैदा करने की क्षमता है, जो रक्त के थक्के जमने से जुड़ा एक दुर्लभ साइड इफेक्ट है. कंपनी की कोविड-19 वैक्सीन वैश्विक स्तर पर कोविशील्ड और वैक्सजेवरिया ब्रांड नाम के तहत बेची गई थी। थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) के साथ घनास्त्रता एक गंभीर और जीवन-घातक प्रतिकूल घटना है.

कोविशील्ड से SII कनेक्शन
भारतीय फार्मा दिग्गज सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) कोविशील्ड का निर्माता है, जो भारत में एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी वैक्सीन द्वारा विकसित वैक्सीन है. एस्ट्राजेनेका की स्वीकारोक्ति के बाद, SII ने कहा है कि उसने कोविड-19 वैक्सीन कोविशील्ड बनाना और आपूर्ति करना बंद कर दिया है. ब्रिटेन के हाईकोर्ट में पेश दस्तावेजों में एस्ट्राजेनेका ने टीटीएस जैसे दुर्लभ साइड इफेक्ट्स की बात कबूल करने के बाद कंपनी ने दुनियाभर से अपना कोरोना का टीका वापस मंगा लिया है.

सरकार का दृष्टिकोण
हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पिछले डेढ़ वर्षों में, लगभग 4 लाख कोविड -19 टीकों का घरेलू स्तर पर उपयोग किया गया था. दरअसल, सितंबर 2022 के बाद जब मुफ्त बूस्टर खुराक की पेशकश की गई, तो सरकार ने वैक्सीन की कोई और खुराक नहीं खरीदी. अधिकारी ने कहा कि, फिलहाल भारत में वैक्सीन का स्टॉक नहीं होने पर इसे वापस मंगाने का कोई मतलब नहीं है.

भारत की वर्तमान टीकाकरण स्थिति
CoWIN डेटा के अनुसार भारत में अब तक 95.2 करोड़ से अधिक लोगों को पूरी तरह से टीका लगाया गया है. आंकड़ों के अनुसार, अब तक 1,74,9417,978 कोविशील्ड वैक्सीन जैब्स दिए जा चुके हैं. इसी तरह, 36,39,30,701 कोवैक्सिन लाभार्थियों को दी गई है. कोवैक्सिन और कोविशील्ड के अलावा, स्पुतनिक वी, कॉर्बेवैक्स, iNCOVACC और GEMCOVAC-OM जैब जैसे टीके भी लोगों को लगाए गए. पिछले 24 घंटों में भारत में 32 लोगों को टीका लगाया गया. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में वर्तमान में 792 सक्रिय कोविड मामले हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के कोविड निगरानी समूह, INSACOG के अनुसार, JN.1 कोविड-19 उप-वेरिएंट वर्तमान में देखे जा रहे हैं. हालांकि, इस सब वेरिएंट के साथ रोग की गंभीरता या अस्पताल में भर्ती होने में कोई वृद्धि नहीं देखी गई है.

विशेषज्ञों की राय
प्रसिद्ध सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और एशियन सोसाइटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. टैमोरिश कोले ने कहा कि एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया है कि, कोविशील्ड वैक्सीन थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) के साथ थ्रोम्बोसिस सहित दुर्लभ दुष्प्रभाव पैदा कर सकती है, जिसमें रक्त के थक्कों का जमना बताया गया है. उन्होंने कहा कि, टीटीएस सबसे अधिक कोरोना टीके की पहली खुराक प्राप्त करने के बाद तीसरे दिन से 30वें दिन के बीच देखा जाता है. हालांकि, वर्तमान में टीटीएस की घटना अत्यंत दुर्लभ है. उन्होंने कहा कि, यदि किसी व्यक्ति को पहली खुराक के बाद टीटीएस का अनुभव नहीं हुआ है तो दूसरी खुराक से टीटीएस होगा, इसकी संभावना नहीं है.

उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोगों को टीकाकरण के बाद हल्के या मध्यम साइड इफेक्ट का अनुभव होता है. ये आमतौर पर कुछ ही दिनों में अपने आप ठीक हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि, इंजेक्शन लगने वाले स्थान पर दर्द, बुखार, थकान, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द या फिर दस्त शामिल है. जबकि कुछ कोविड-19 टीकों के लिए अत्यंत दुर्लभ, गंभीर एलर्जी प्रतिक्रियाएं (जैसे एनाफिलेक्सिस) की सूचना मिली है.

ये भी पढ़ें: वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने स्वीकारा, कोरोना वैक्सीन से दुर्लभ मामलों में जम सकता है खून का थक्का

Last Updated : May 11, 2024, 2:43 PM IST
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