नई दिल्ली : गुजरात सरकार द्वारा बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों के साथ 'सांठगांठ' करने के लिए की गई प्रतिकूल टिप्पणियों के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दिया. इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने इन दोषियों की सजा में छूट को रद्द कर दिया था.
जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुईयां की पीठ ने कहा, 'खुली अदालत में पुनर्विचार याचिकाओं को सूचीबद्ध करने के लिए आवेदन खारिज किए जाते हैं. पुनर्विचार याचिकाओं, चुनौती दिए गए आदेश और उनके साथ संलग्न दस्तावेजों को ध्यान से देखने के बाद, हम इस बात से संतुष्ट हैं कि रिकॉर्ड में कोई त्रुटि नहीं दिखती या पुनर्विचार याचिकाओं में कोई ऐसा गुण नहीं है, जिसके लिए विवादित आदेश पर पुनर्विचार की आवश्यकता हो.'
Supreme Court dismisses review petition of Gujarat government seeking to expunge certain remarks made against the government for its conduct with regard to the premature release of the 11 convicts in Bilkis Bano case.
— ANI (@ANI) September 26, 2024
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पीठ ने कहा, 'तदनुसार, पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज किया जाता है. लंबित आवेदन, यदि कोई हो, का निपटारा किया जाएगा.'बता दें कि 8 जनवरी को, शीर्ष अदालत ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा पाए 11 दोषियों को छूट देने के गुजरात सरकार के अगस्त 2022 में लिए गए फैसले को रद्द कर दिया था.
अदालत ने अपने फैसले में पुरुषों को आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था. शीर्ष अदालत ने निष्कर्ष निकाला था कि गुजरात के पास दोषियों को रिहा करने का कोई अधिकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा आदेश दिए जाने के एक महीने बाद कि 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ बलात्कार और उसके परिवार की हत्या के दोषी 11 लोगों को जेल वापस जाना चाहिए, गुजरात सरकार ने फैसले में उसके खिलाफ की गई कुछ प्रतिकूल टिप्पणियों को हटाने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था.
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