पटना : वैसे तो बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में अभी एक साल से ज्यादा का वक्त बचा है. पर अभी से ही सीटों को लेकर प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू हो गयी है. जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा है कि नीतीश कुमार का बिहार में कोई विकल्प नहीं है. लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार को लेकर लोग क्या-क्या बयान दे रहे थे, लेकिन जेडीयू और बीजेपी ने बराबर-बराबर 12 सीटों पर जीत दर्ज कर नीतीश कुमार की ताकत को दिखा दिया है.
अभी से ही प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू..! : विधानसभा चुनाव में क्या नीतीश कुमार एक बार फिर से बड़े भाई की भूमिका में होंगे? इस सवाल पर उमेश कुशवाहा ने कहा कि यह भी कोई पूछने वाली बात है. जेडीयू और बीजेपी क्या बराबर बराबर सीटों पर लड़ेगी? इसपर उमेश कुशवाहा ने कहा कि यह हमारा अंदरूनी मामला है. पार्टी के अंदर हम लोग इस पर चर्चा कर रहे हैं.
''नीतीश कुमार ही विधानसभा चुनाव में बड़े भाई की भूमिका में रहेंगे. साथ ही सीटों को लेकर भी कहीं कोई परेशानी नहीं है. बीजेपी-जेडीयू हमेशा से बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ती रही है. ऐसे में यह हम लोगों का अंदरूनी मामला है. 2020 विधानसभा और उससे पहले 2019 लोकसभा चुनाव में जेडीयू-बीजेपी बराबर सीटों पर चुनाव लड़ी थी, इसलिए सीटों को लेकर कहीं कोई परेशानी नहीं है.''- उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, जेडीयू
'नीतीश बड़े भाई की भूमिका में' : दरअसल, लोकसभा चुनाव में एनडीए को 40 में से 30 सीटों पर जीत मिली है. उसके बाद से जेडीयू नेताओं का लगातार यह बयान आता रहा है कि नीतीश कुमार के कारण ही एनडीए का शानदार प्रदर्शन रहा है. बीजेपी के नेता भी 2025 विधानसभा का चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ने की बात कह रहे हैं. पार्टी नेताओं की तरफ से 2025 से 2030 एक बार फिर से नीतीश कुमार का पोस्टर भी लगाया जा रहा है.
''बिहार के चुनाव में नीतीश कुमार हमेशा बड़े भाई की भूमिका में रहे हैं. जो मुखिया होता है वही बड़े भाई की भूमिका में होता है.''- सुनील कुमार, शिक्षा मंत्री, बिहार सरकार
2005 और 2010 में JDU का बढ़ा कद : अब जरा आपको फ्लैशबैक में लिए चलते हैं. 2005 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू को 88 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि बीजेपी को 55 सीटें मिली थी. एनडीए की सरकार बिहार में पूर्ण बहुमत से बनी थी. वहीं 2010 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू को 115 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि बीजेपी को 91 सीटें मिली थी.
जब महागठबंधन के साथ गए नीतीश : 2015 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू महागठबंधन से चुनाव लड़ी. उस वक्त नीतीश की पार्टी को 71 सीटें मिली थी, क्योंकि आरजेडी को सबसे अधिक 80 सीटों पर जीत मिली थी. बीजेपी को 53 सीटें मिली थी.
2020 में BJP की बल्ले-बल्ले : वक्त बदला 2020 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से जेडीयू एनडीए में आकर चुनाव लड़ी, लेकिन उसबार प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा. पार्टी केवल 43 सीटों पर सिमट गई. बीजेपी को 74 सीटों पर जीत मिली थी.
लोकसभा में JDU को मिली थी एक सीट कम : 2024 लोकसभा चुनाव से पहले जब भी बिहार में चुनाव हुए, बीजेपी-जेडीयू बराबर-बराबर सीटों पर या फिर जेडीयू अधिक सीटों पर चुनाव लड़ी. लोकसभा चुनाव में इस बार बीजेपी 17 सीटों पर चुनाव लड़ी थी जबकि जेडीयू एक सीट कम 16 सीटों पर लेकिन दोनों पार्टी 12-12 सीटें जीत पायी थी.
JDU के बदले तेवर : लोकसभा चुनाव में कहा जाने लगा था कि बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में है और पहली बार नीतीश कुमार छोटे भाई की भूमिका में हैं, लेकिन अब लोकसभा में प्रदर्शन के बाद जेडीयू के तेवर बदलने लगे हैं. अब विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार का नेतृत्व रहेगा तो पार्टी के नेता खुलकर कहने लगे हैं कि नीतीश कुमार फिर से बड़े भाई की भूमिका में रहेंगे.
खुद को मजबूत करने में जुटी JDU-BJP : वैसे जेडीयू और बीजेपी दोनों ही पार्टियां आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अभी से महनत करने में जुट गयी है. 16 सितंबर को जेडीयू की बड़ी बैठक पटना में हुई. जिसमें मिशन 2025 के लिए टार्गेट 225 सीट एनडीए को जीताने पर काम करने का फैसला हुआ है. बीजेपी भी पकड़ को मजबूत करने में जुट गयी है.
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