पटना: बिहार में तीसरे चरण में 5 सीटों पर होने वाला चुनाव दिलचस्प हो गया है. तीसरे चरण में नीतीश कुमार और लालू तेजस्वी आमने-सामने हैं. तीसरे चरण में जदयू की तीन सीट हैं, मधेपुरा, झंझारपुर और सुपौल सीटिंग सीट है. तीसरे चरण में राजद के भी तीन सीट हैं. ऐसे में जदयू और राजद का सीधा मुकाबला है.
तीसरा चरण जदयू के लिए अहम: 2019 में राजद का लोकसभा चुनाव में खाता नहीं खुला था. एक तरफ जहां नीतीश कुमार के लिए सीटिंग सीट को बचाना एक बड़ी चुनौती है तो वहीं राजद के लिए इस बार खाता खोलना है. एनडीए की ओर से जदयू को इस बार तीसरे चरण में पांच में से तीन सीट मिली है. तीनों जदयू की सीटिंग सीट है और नीतीश कुमार ने अपने सांसदों पर ही फिर से भरोसा जताया है.
"हम लोग सभी सीट जीतेंगे पूरी तरह से स्वीप होगा. कहीं कोई लड़ाई नहीं है. इस बार भ्रष्टाचार और विकास को लेकर हम लोग जनता के बीच गए हैं. 15 साल के विनाश और नीतीश कुमार के विकास पर चुनाव हो रहा है."- मनोरंजन गिरी, जदयू, प्रवक्ता
तीन सीटों पर जदयू का कब्जा: झंझारपुर में रामप्रीत मंडल का मुकाबला वीआईपी के सुमन महासेठ से है, लेकिन बसपा के गुलाब यादव ने मुकाबले को रोचक बना दिया है. सुपौल में दिलेश्वर कामत के सामने राजद के विधायक चंद्रहास चौपाल हैं. पिछली बार कांग्रेस ने पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन को यहां से चुनाव लड़ा था लेकिन जदयू ने 268853 से अधिक मतों से चुनाव जीता था. मधेपुरा में जदयू ने दिनेश चंद्र यादव पर ही भरोसा जताया है उनका मुकाबला प्रोफेसर चंद्रदीप से है वह पूर्व सांसद स्वर्गीय रामेंद्र रवि के पुत्र हैं
एनडीए का गढ़: अररिया में भाजपा ने प्रदीप सिंह को फिर से मौका दिया है. प्रदीप सिंह का मुकाबला राजद के शाहनवाज आलम से है. पिछली बार सरफराज आलम उतरे थे और 137000 वोट से चुनाव हार गए थे. वहीं खगड़िया में लोजपा रामविलास के राजेश वर्मा का मुकाबला माकपा के संजय कुमार से है. तीसरे चरण में खगड़िया सीट पर एनडीए और महागठबंधन के दोनों नए उम्मीदवार हैं. एनडीए से इकलौते मुस्लिम सांसद चौधरी महबूब अली कैसर (वर्तमान खगड़िया सांसद) ने आरजेडी का दामन थाम लिया.
"हम लोग सातों फेज और सभी 40 सीट को गंभीरता से ले रहे हैं. दो चरण में नौ लोकसभा सीट का चुनाव हो चुका है और एनडीए को पता चल गया है तेजस्वी यादव अकेले एनडीए के सभी नेताओं पर भारी पड़ रहे हैं. लालू प्रसाद यादव के विचार तो घर-घर पहुंच रहे हैं लेकिन नीतीश कुमार से अधिक प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने मोर्चा संभाल रखा है."- एजाज अहमद, प्रवक्ता आरजेडी
महागठबंधन की जीत की पूरी कोशिश: राजनीतिक विशेषज्ञ और वरिष्ठ पत्रकार भोलानाथ का कहना है कि नीतीश कुमार के लिए इसलिए भी चुनौती है क्योंकि सभी सीटिंग सीट को उन्हें बचाना है. तीसरी चरण में 5 में से तीन सीट जदयू का है. 2019 में पांचों सीट एनडीए ने जीता था तो दूसरी तरफ आरजेडी के लिए मधेपुरा, सुपौल, झंझारपुर, अररिया और खगड़िया भी हमेशा से खास रहा है. लेकिन 2019 में सफलता नहीं मिली थी. इस बार उनकी कोशिश होगी कि यहां उन्हें जीत हासिल हो, लेकिन एनडीए और महागठबंधन में जो सबसे खास चीज है कि जहां एनडीए के घटक दल में चुनाव प्रचार में एकजुटता दिख रही है तो दूसरी तरफ चुनाव प्रचार में तेजस्वी यादव महागठबंधन की तरफ से मोर्चा संभाले हुए हैं.
"उनके (तेजस्वी) साथ केवल मुकेश सहनी हैं. कांग्रेस और लेफ्ट दिख नहीं रहे हैं. बिहार में राहुल गांधी की केवल एक सभा हुई है तो वहीं प्रधानमंत्री ने पांच जनसभा की है. गृह मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक पूरी ताकत लगा रहे हैं. एनडीए के लिए जहां यह पक्ष मजबूत है तो वहीं महागठबंधन के लिए कमजोर पक्ष है."-भोलानाथ,वरिष्ठ पत्रकार
जानें एक्सपर्ट की राय : वहीं राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा का कहना है कि तीसरे चरण के पांच सीट दोनों गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण है. 2019 में भले ही आरजेडी का खाता नहीं खुला था लेकिन मधेपुरा, सुपौल, झंझारपुर, अररिया और खगड़िया में जो यादव और मुस्लिम का समीकरण है वह लालू तेजस्वी यादव और महागठबंधन के पक्ष का है.इसलिए पांचों सीट पर लड़ाई इस बार दिलचस्प हो गई है. मधेपुरा सीट पर जदयू ने दिनेश चंद्र यादव को उतारा है. दिनेश चंद्र यादव उस क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखते हैं और इसलिए 2019 में आसानी से चुनाव जीत गए थे. इस बार भी उनके चुनाव जीतने के आसार अधिक हैं.
"सुपौल में महागठबंधन के लिए परेशानी इसलिए बढ़ गई है क्योंकि गुलाब यादव बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतर गए हैं . अररिया सीट बीजेपी का सीटिंग सीट है लेकिन यहां 40% से अधिक मुस्लिम आबादी है. इसलिए वोट का समीकरण एनडीए के लिए चुनौती बना हुआ है. खगड़िया में भी मुस्लिम आबादी काफी अधिक है. चिराग पासवान ने इस बार महबूब अली कैसर को टिकट नहीं दिया है और नया उम्मीदवार मैदान में उतारा है."- प्रो अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ
महागठबंधन का पक्ष भी मजबूत: एक्सपर्ट की मानें तो माय समीकरण पूरी तरह से महागठबंधन के पक्ष में है. ऐसे चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री से लेकर एनडीए के सभी दिग्गज नेता मोर्चा संभाल रखा है तो दूसरी तरफ तेजस्वी यादव ने भी मोर्चा संभाला है. लेकिन उनके साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नहीं दिख रहे हैं इसलिए चुनौती दोनों तरफ है.
2019 में प्रदर्शन: 2019 में झंझारपुर सीट से जदयू के रामप्रीत मंडल सांसद बने और गुलाब यादव 322995 वोटों से हराया. वहीं सुपौल से जदयू के दिलेश्वर कामत ने रंजीत रंजन 268853 वोटों से शिकस्त दी. अररिया से बीजेपी के प्रदीप कुमार सिंह ने सरफराज आलम को 137241 मतों से हराया. मधेपुरा से जदयू के दिनेश चंद्र यादव ने शरद यादव को 3 लाख 1527 मतों से हराया. खगड़िया से महबूब अली कैसर जीते और मुकेश सहनी को 248576 मतों से हराया.
7 मई को मतदान: 5 सीटों में से ऐसे तो चार सीट पर एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है. झंझारपुर सीट पर बसपा के टिकट पर गुलाब यादव ने मुकाबला को त्रिकोणीय बना दिया है. अब देखना है जनता इस बार किस पर विश्वास करती है क्योंकि अब तक दो चरण में 9 सीटों का चुनाव हो चुका है. बिहार में लोकसभा की 40 सीट है और सात चरणों में चुनाव होना है. तीसरे चरण का चुनाव 7 मई को है और दोनों तरफ से पांचो सेट को जीतने की पूरी कोशिश हो रही है.
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