नई दिल्ली : भारत और मालदीव ने रविवार को द्वीपीय राष्ट्र से भारतीय सैन्य कर्मियों की जगह असैन्य कर्मियों की तैनाती के संबंध में समीक्षा की और माले ने कहा कि दूसरा समूह 10 अप्रैल तक रवाना हो जाएगा. दोनों पक्षों ने माले में आयोजित उच्च स्तरीय कोर समूह की तीसरी बैठक में द्वीपीय देश से भारतीय सैन्यकर्मियों की वापसी पर ध्यान केंद्रित करते हुए इसकी समीक्षा की. सैन्य दल का स्थान नागरिक तकनीकी विशेषज्ञों ने ले लिया है. भारतीय कर्मी मालदीव में तीन उड्डयन प्लेटफार्म का संचालन कर रहे हैं और नयी दिल्ली अब उन्हें संचालित करने के लिए असैन्य कर्मियों को तैनात कर रही है.
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने अपने देश से भारतीय सैन्यकर्मियों के पहले समूह की वापसी के लिए 10 मार्च की समय सीमा तय की थी. विदेश मंत्रालय (एमईए) ने एक बयान कहा, 'बैठक के दौरान, दोनों पक्षों ने मालदीव के लोगों को मानवीय और चिकित्सकीय निकासी सेवाएं प्रदान करने वाले भारतीय हेलीकॉप्टर के निरंतर संचालन के लिए भारतीय तकनीकी कर्मियों की जारी प्रतिनियुक्ति की समीक्षा की.'
मालदीव के विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने मालदीव में विमानन प्लेटफार्म पर भारतीय सैन्य कर्मियों को असैन्य कर्मियों से बदलने में हुई प्रगति पर गौर किया. उसने कहा, 'आज की तारीख तक, ऐसे एक प्लेटफार्म पर सैन्य कर्मियों को असैन्य कर्मियों से बदल दिया गया है और शेष को 10 अप्रैल और 10 मई को असैन्य कर्मियों से बदल दिया जाएगा.' मालदीव के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'इसमें अन्य बातों के साथ-साथ संयुक्त निगरानी तंत्र के नियमित आयोजन के माध्यम से जारी विकास सहयोग परियोजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाना, द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के प्रयास और क्षमता निर्माण तथा यात्रा के माध्यम से दोनों देशों के लोगों के बीच संबंधों को बढ़ाना शामिल है.'
इस बात पर सहमति बनी कि उच्च स्तरीय कोर समूह की अगली बैठक पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तिथि पर नई दिल्ली में होगी. भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी के मुद्दे के समाधान के लिए गठित उच्च स्तरीय कोर समूह की दूसरी बैठक के बाद, मालदीव के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत 10 मई तक दो चरणों में अपने सभी सैन्य कर्मियों को असैन्य कर्मियों से बदल देगा. कोर समूह की दूसरी बैठक दो फरवरी को दिल्ली में हुई थी.
दिसंबर में दुबई में सीओपी-28 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू के बीच एक बैठक के बाद दोनों पक्षों ने कोर ग्रुप गठित करने का निर्णय लिया था. नवंबर में मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद से भारत और मालदीव के बीच संबंधों में कुछ तनाव आ गया. चीन समर्थक नेता के रूप में देखे जाने वाले मुइज्जू ने देश के राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के बाद कहा कि वह भारतीय सैन्य कर्मियों को अपने देश से बाहर निकालने के अपने चुनावी वादे को पूरा करेंगे.
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