नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को नीट-यूजी 2024 के संबंध में जाइलम लर्निंग प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दायर याचिका पर उम्मीदवारों की ओएमआर शीट पर शिकायत दर्ज करने की समय सीमा के मुद्दे पर राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी से जवाब मांगा.
सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि एक कोचिंग सेंटर के किस मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है, जिसने उसे संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत शीर्ष अदालत का रुख करने के लिए मजबूर किया है.
पीठ ने कहा कि यह उन कारणों में से एक है जहां हम कोचिंग सेंटरों की ओर से निभाई जाने वाली भूमिका को एक बैगपाइपर की भूमिका के रूप देखते हैं. उनकी शायद ही कोई भूमिका हो. पीठ ने कहा कि कोचिंग सेंटर की बाध्यता और कर्तव्य अलग-अलग होते हैं और जब वे अपनी सेवा पूरी कर लेते हैं तो मामला खत्म हो जाता है.
वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ताओं में वे छात्र भी शामिल हैं जिन्हें ओएमआर शीट दी जानी थी. उन्होंने मांगी गई अंतरिम राहत पर बहस करते हुए कहा कि यह याचिका ओएमआर शीट प्राप्त करने के लिए है क्योंकि कुछ छात्रों को यह नहीं मिली है.
एनटीए का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने तर्क दिया कि ओएमआर शीट पहले ही अपलोड की जा चुकी हैं. हालांकि, पीठ ने एनटीए के वकील से यह जांचने को कहा कि क्या ऐसी ओएमआर शीट पर शिकायत दर्ज कराने की कोई समय सीमा है. एनटीए के वकील ने कहा कि वह इसकी जांच करेंगे. दलीलें सुनने के बाद, शीर्ष अदालत ने नोटिस जारी किया और इसे अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ दिया, जिन पर 8 जुलाई को सुनवाई होनी है.
5 मई को आयोजित NEET UG 2024 में पेपर लीक सहित अनियमितताओं के आरोप लगे हैं. केंद्र सरकार ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं और एनटीए के महानिदेशक को भी हटा दिया है.