कोटा. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से आयोजित देश की सबसे बड़ी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट यूजी 2024 पर कई तरह के आरोप लग रहे हैं. इस मामले में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को कैंडिडेट, उनके पेरेंट्स, शिक्षाविद से लेकर राजनीतिक दल भी निशाने पर ले रहे हैं. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली परीक्षा के साफ सुथरा संपन्न होने की बात केंद्र सरकार और एचआरडी मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी कह चुके हैं, लेकिन इनकी बात को नहीं मानकर कई संगठन आज भी इनका विरोध कर रहे हैं. न्यायालय में भी परीक्षा का आयोजन कटघरे में खड़ा हुआ है. इस परीक्षा को लेकर एनटीए काफी कुछ इंतजाम करता है. इसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी लॉक, बैंक में पेपर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सीसीटीवी कैमरे से लाइव मॉनिटरिंग और परीक्षा के आयोजन में कई तरह की सुरक्षा रखी जाती है, इसके बावजूद भी परीक्षा पर पेपर लीक का आरोप लग रहा है.
एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा का कहना है कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को स्थापित करने की योजना इसलिए बनाई गई ताकि प्रतिष्ठित परीक्षाएं जैसे नीट यूजी और जेईई का बेहतरीन आयोजन हो सके. क्वेश्चन पेपर का स्टैंडर्ड और उसका पूरा एग्जीक्यूशन आसानी से हो सके, लेकिन इस समय यह महसूस हो रहा है कि यह उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है. राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित परीक्षा होने के बावजूद भी नीट यूजी के पेपर लीक की संभावना जताई जा रही है. पेपर लीक इस समय एक बड़ा मुद्दा है.
पेपर की क्वालिटी भी मुद्दा : देव शर्मा ने बताया कि एक बड़ा मुद्दा क्वालिटी ऑफ क्वेश्चन पेपर है. नीट यूजी में अगर कोई 720 में 720 प्रश्न हल कर रहा है तो पेपर का डिफिकल्टी लेवल वह नहीं है, जो टैलेंट को सेपरेट कर सके. क्वेश्चन पेपर क्वालिटी को इंप्रूव करना चाहिए. साथ ही इंतजामों को बेहतर करना चाहिए. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग और अच्छे तरह से किया जाना चाहिए.
मेड ही खेत को खाएं यह समस्या : देव शर्मा ने कहा कि पेपर कंडक्ट करवाने के सारे इंतजामों में ह्यूमन इंवॉल्वमेंट है. सेंट्रल सुपरिटेंडेंट से लेकर पेपर को लाने और ले जाने के साथ पूरे सिस्टम में ह्यूमन इंवॉल्वमेंट है. व्यक्ति अपनी निष्ठा या ईमानदारी को खो देता है तो निश्चित तौर पर इस तरह की चीजों को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है. जब मेड ही खेत को खाने लगे तो बचाव नहीं कर सकते. देव शर्मा ने का कहना है कि परीक्षा के आयोजन में एक बड़ी एजेंसी के जरिए इंतेजामत हो, जिसकी ईमानदारी पर किसी तरह का कोई शक नहीं हो. साइबर क्राइम से बचने के लिए भी नेक्स्ट लेवल की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग लेना चाहिए, क्योंकि साइबर एक्सपर्ट को सब पता है कि कैसे सिस्टम के लॉक को तोड़ा जा सकता है. इसके बाद वह सिस्टम में इंटर करके पूरे सिस्टम को हैक कर लेते हैं.
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इतने इंतजाम किए जाते हैं इस परीक्षा में :
- प्रश्न पत्रों को रखने वाले बक्सों पर रेडियो फ्रिकवेंसी आईडेंटिफिकेशन (RFID) सिस्टम लॉक का उपयोग करती है. इन डिजिटल लॉक में किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी होने पर एनटीए को मैसेज जाता है.
- एनटीए डिजिटल लॉक वाले बक्सों का लॉक ओपन करती है, तब लॉक बीप की आवाज करने लग जाता है. सेंट्रल ऑब्जर्वर और सुपरिटेंडेंट को मिलने वाले मैसेज से यह लॉक ओपन होते हैं.
- एग्जाम सेंटर पर अत्याधुनिक 5G जैमर, मेटल डिटेक्टर, फ्रिस्किंग, बायोमेट्रिक और पुलिस सुरक्षा का प्रबंध
- दिल्ली में नीट यूजी परीक्षा के लिए कंट्रोल रूम बनाया जाता है, जहां से सीसीटीवी के जरिए मॉनिटरिंग होगी
- आर्टिफिशियल इनेबल्ड सॉफ्टवेयर के जरिए सीसीटीवी कैमरे की पूरी रिकॉर्डिंग की जांच
- दिल्ली से फ्लाइंग स्क्वायड भी कई जिलों में जाकर परीक्षा केंद्र की जांच
- पेपर को बैंकों में रखा जाता है. एग्जाम सेंटर तक डिस्ट्रीब्यूशन से लेकर परीक्षा करवाने का भी एक पूरा मेकैनिज्म है.
- कैंडिडेट को एग्जाम सिटी 7 दिन पहले और परीक्षा केंद्र दो दिन पहले बताया जाता है, ताकि वह केंद्र पर सेटिंग कर नकल नहीं कर सके.
- परीक्षा के दौरान कोई भी स्टाफ मोबाइल का उपयोग भी नहीं करता है.