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करनाल छोड़ लाडवा से चुनाव लड़े तो हार सकते हैं नायब सैनी, वो 5 चुनौतियां जिनसे पार पाना मुश्किल - nayab saini on ladwa seat

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Aug 31, 2024, 7:28 PM IST

Updated : Aug 31, 2024, 7:35 PM IST

Haryana Assembly Election 2024: मुख्यमंत्री नायब सैनी लाडवा से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे, ये ऐलान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बड़ोली ने की है. हलांकि बीजेपी उम्मीदवारों की लिस्ट अभी घोषित नहीं हुई. इसलिए सवाल उठने लगे हैं कि क्या सीएम सैनी लाडवा से हार के डर से चुनाव नहीं लड़ना चाहते. आइये आपको बताते हैं वो 5 कारण, जो अगर सच साबित हुए तो सीएम लाडवा से चुनाव हार सकते हैं.

Haryana Assembly Election 2024
लाडवा के चक्रव्यूह में फंसे नायब सैनी (Photo- ETV Bharat)

कुरुक्षेत्र: हरियाणा विधानसभा चुनाव का आगाज हो चुका है. हरियाणा में इस समय सबसे ज्यादा चर्चा मुख्यमंत्री नायब सैनी के चुनाव लड़ने को लेकर है. नायब सैनी किस सीट से चुनाव लड़ेंगे इसको लेकर बीजेपी के अंदर ही मतभेद खुलकर सामने आ गये हैं. नायब सैनी दावा कर रहे हैं कि वो करनाल से ही चुनाव लड़ेंगे जबकि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने ये घोषणा कर दी है कि सीएम सैनी लाडवा से चुनाव लड़ेंगे. इसका मतलब ये निकाला जा रहा है कि नायब सैनी लाडवा से अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नहीं हैं.

1. लाडवा सीट पर बीजेपी में भितरघात का खतरा

राजनीतिक विशेषज्ञ विनोद चौधरी का कहना है कि अभी तक नायब सैनी के लाडवा से चुनाव लड़ने पर संदेह था. ये सस्पेंस शायद इसलिए था कि अभी से उनका नाम उम्मीदवार के तौर पर सामने आता है तो पार्टी में भितरघात का खतरा बढ़ जायेगा. क्योंकि लाडवा विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के कई नेता टिकट की रेस में हैं. मौजूदा समय में यहां पर पूर्व विधायक डॉक्टर पवन सैनी, वरिष्ठ नेता डॉक्टर गणेश शर्मा और संदीप गर्ग मुख्यमंत्री से पहले से लाडवा विधानसभा सीट से टिकट की दावेदारी पेश कर रहे हैं. इन नेताओं का जमीनी तौर पर अच्छा प्रभाव है. और अगर ये भितरघात करते हैं तो नायब सैनी की जीत मुश्किल में पड़ जायेगी. लाडवा में सैनी समाज के कई नेताओं के चलते ये वोट आपस में बंट सकता है.

2. लाडवा में सैनी मतदाताओं का बिखराव

अब सवाल ये है कि नायब सैनी अगर लाडवा सीट से लड़ते हैं तो क्या उनकी जीत मुश्किल में पड़ सकती है. हलांकि उनके लाडवा से लड़ने के पीछे सबसे बड़ा कारण ये माना जा रहा है कि वहां सैनी समाज का अच्छा वोट बैंक है. नायब सैनी के लड़ने सैनी वोटर का झुकाव उनकी तरफ हो सकता है. जिसके चलते उनकी जीत सुनिश्चित हो जायेगी. लेकिन लाडवा विधानसभा से नायब सैनी की जीत आसान नहीं होगी. यहां सैनी वोटर निर्णाय भूमिका में भले हैं लेकिन वो आपस में बंट सकते हैं. बीजेपी के कई नेता टिकट की रेस में हैं. अगर उनका बिखराव हुआ तो नायब सैनी के लिए मुश्किल खड़ी हो जायेगी.

3. किसानों की नाराजगी

राजनीतिक एक्सपर्ट विनोद चौधरी की मानें तो हरियाणा में किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर रहा है. भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल में किसान आंदोलन हरियाणा ही नहीं पूरे भारत में चुनौती बन गया था. इसका खामियाजा बीजेपी को हाल के लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला था. जब पार्टी 2019 का प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई और केवल 5 सीट ही जीत सकी. कुरुक्षेत्र कोर किसान बेल्ट है. यहां किसानों की नाराजगी भी नायब सैनी के लिए भारी पड़ सकती है.

4. नायब सैनी के बाहरी होने का ठप्पा

लाडवा सीट के लिए मुख्यमंत्री नायब सैनी एक बाहरी उम्मीदवार होंगे. वो मूल रूप से अंबाला के रहने वाले हैं और कुरुक्षेत्र में भी उनका घर थानेसर हलके में पड़ता है. बाहरी उम्मीदवार होना नायब सैनी के लिए भारी हो सकता है. मुख्यमंत्री नायब सैनी अगर लाडवा विधानसभा से चुनाव लड़ते हैं तो उनके सामने ये मुद्दा बड़ी चुनौती साबित होगा. हालांकि यहां पर उनके समाज का वोट बैंक काफी है लेकिन केवल सैनी समाज के वोट बैंक के भरोसे जीत हासिल नहीं की जा सकती. उन्हें हर वर्ग का वोट हासिल करना होगा. विधानसभा में स्थानीय लोगों की पहली पसंद स्थानीय नेता होते हैं, जो उनके साथ खड़े हों.

5. लाडवा में सबसे ज्यादा जाट वोटर, मौजूदा विधायक कांग्रेसी

विनोद चौधरी कहते हैं कि लाडवा में सबसे ज्यादा वोटर जाट समुदाय से आते हैं. यहां जाट करीब 40 हजार हैं जबकि सैनी समुदाय के 35 हजार के करीब मतदाता हैं. हरियाणा में जाट वोटर ज्यादातर बीजेपी के खिलाफ माने जाते हैं. यही वजह रही कि 2019 में बीजेपी ये सीट नहीं जीत पाई. लाडवा से मौजूदा विधायक मेवा सिंह कांग्रेस के हैं और वो जाट समुदाय से आते हैं. मेवा सिंह ने 2019 में बीजेपी के पवन सैनी को 12637 वोट से हराया था. इस चुनाव में भी अगर कांग्रेस मेवा सिंह को कांग्रेस टिकट देती है तो वो नायब सैनी के लिए बड़ी चुनौती साबित होंगे. इसलिए नायब सैनी के लिए लाडवा से जीत आसान नहीं होगी.

मोहनलाल बड़ोली ने क्यों की सैनी के लाडवा से लड़ने की घोषणा?

शुक्रवार को हरियाणा के बीजेपी अध्यक्ष मोहनलाल बड़ोली से जब ये पूछा गया कि सीएम नायब सैनी किस सीट से चुनाव लड़ेंगे तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वो लाडवा से लड़ेंगे. लेकिन उसके कुछ देर बाद ही करनाल में रोड शो कर रहे नायब सिंह सैनी से जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वो करनाल से ही चुनाव लड़ेंगे. जब उनसे पूछा गया कि मोहनलाल बड़ोली ने इसकी घोषणा कर दी है तो उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा कि वो प्रदेश अध्यक्ष हैं, उनको ज्यादा जानकारी होगी. अब सवाल ये उठता है कि जब बीजेपी उम्मीदवारों की सूची अभी आधिकारिक तौर पर घोषित नहीं हुई तो मोहनलाल बड़ोली ने नायब सैनी के लाडवा से लड़ने की बात मीडिया में क्यों की.

ये भी पढ़ें- क्या बीजेपी में सब ठीक नहीं? प्रदेश अध्यक्ष ने कहा सीएम लाडवा से लड़ेंगे चुनाव, सैनी बोले- मैं करनाल लड़ूंगा

ये भी पढ़ें- हरियाणा में बढ़ गई दिल की धड़कनें, BJP केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में 55 नामों पर बनी सहमति

ये भी पढ़ें- करनाल से कौन होगा बीजेपी का उम्मीदवार, जानिए CM के लाडवा जाने के हालात में किसे मिल सकता है मौका ?

कुरुक्षेत्र: हरियाणा विधानसभा चुनाव का आगाज हो चुका है. हरियाणा में इस समय सबसे ज्यादा चर्चा मुख्यमंत्री नायब सैनी के चुनाव लड़ने को लेकर है. नायब सैनी किस सीट से चुनाव लड़ेंगे इसको लेकर बीजेपी के अंदर ही मतभेद खुलकर सामने आ गये हैं. नायब सैनी दावा कर रहे हैं कि वो करनाल से ही चुनाव लड़ेंगे जबकि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने ये घोषणा कर दी है कि सीएम सैनी लाडवा से चुनाव लड़ेंगे. इसका मतलब ये निकाला जा रहा है कि नायब सैनी लाडवा से अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नहीं हैं.

1. लाडवा सीट पर बीजेपी में भितरघात का खतरा

राजनीतिक विशेषज्ञ विनोद चौधरी का कहना है कि अभी तक नायब सैनी के लाडवा से चुनाव लड़ने पर संदेह था. ये सस्पेंस शायद इसलिए था कि अभी से उनका नाम उम्मीदवार के तौर पर सामने आता है तो पार्टी में भितरघात का खतरा बढ़ जायेगा. क्योंकि लाडवा विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के कई नेता टिकट की रेस में हैं. मौजूदा समय में यहां पर पूर्व विधायक डॉक्टर पवन सैनी, वरिष्ठ नेता डॉक्टर गणेश शर्मा और संदीप गर्ग मुख्यमंत्री से पहले से लाडवा विधानसभा सीट से टिकट की दावेदारी पेश कर रहे हैं. इन नेताओं का जमीनी तौर पर अच्छा प्रभाव है. और अगर ये भितरघात करते हैं तो नायब सैनी की जीत मुश्किल में पड़ जायेगी. लाडवा में सैनी समाज के कई नेताओं के चलते ये वोट आपस में बंट सकता है.

2. लाडवा में सैनी मतदाताओं का बिखराव

अब सवाल ये है कि नायब सैनी अगर लाडवा सीट से लड़ते हैं तो क्या उनकी जीत मुश्किल में पड़ सकती है. हलांकि उनके लाडवा से लड़ने के पीछे सबसे बड़ा कारण ये माना जा रहा है कि वहां सैनी समाज का अच्छा वोट बैंक है. नायब सैनी के लड़ने सैनी वोटर का झुकाव उनकी तरफ हो सकता है. जिसके चलते उनकी जीत सुनिश्चित हो जायेगी. लेकिन लाडवा विधानसभा से नायब सैनी की जीत आसान नहीं होगी. यहां सैनी वोटर निर्णाय भूमिका में भले हैं लेकिन वो आपस में बंट सकते हैं. बीजेपी के कई नेता टिकट की रेस में हैं. अगर उनका बिखराव हुआ तो नायब सैनी के लिए मुश्किल खड़ी हो जायेगी.

3. किसानों की नाराजगी

राजनीतिक एक्सपर्ट विनोद चौधरी की मानें तो हरियाणा में किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर रहा है. भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल में किसान आंदोलन हरियाणा ही नहीं पूरे भारत में चुनौती बन गया था. इसका खामियाजा बीजेपी को हाल के लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला था. जब पार्टी 2019 का प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई और केवल 5 सीट ही जीत सकी. कुरुक्षेत्र कोर किसान बेल्ट है. यहां किसानों की नाराजगी भी नायब सैनी के लिए भारी पड़ सकती है.

4. नायब सैनी के बाहरी होने का ठप्पा

लाडवा सीट के लिए मुख्यमंत्री नायब सैनी एक बाहरी उम्मीदवार होंगे. वो मूल रूप से अंबाला के रहने वाले हैं और कुरुक्षेत्र में भी उनका घर थानेसर हलके में पड़ता है. बाहरी उम्मीदवार होना नायब सैनी के लिए भारी हो सकता है. मुख्यमंत्री नायब सैनी अगर लाडवा विधानसभा से चुनाव लड़ते हैं तो उनके सामने ये मुद्दा बड़ी चुनौती साबित होगा. हालांकि यहां पर उनके समाज का वोट बैंक काफी है लेकिन केवल सैनी समाज के वोट बैंक के भरोसे जीत हासिल नहीं की जा सकती. उन्हें हर वर्ग का वोट हासिल करना होगा. विधानसभा में स्थानीय लोगों की पहली पसंद स्थानीय नेता होते हैं, जो उनके साथ खड़े हों.

5. लाडवा में सबसे ज्यादा जाट वोटर, मौजूदा विधायक कांग्रेसी

विनोद चौधरी कहते हैं कि लाडवा में सबसे ज्यादा वोटर जाट समुदाय से आते हैं. यहां जाट करीब 40 हजार हैं जबकि सैनी समुदाय के 35 हजार के करीब मतदाता हैं. हरियाणा में जाट वोटर ज्यादातर बीजेपी के खिलाफ माने जाते हैं. यही वजह रही कि 2019 में बीजेपी ये सीट नहीं जीत पाई. लाडवा से मौजूदा विधायक मेवा सिंह कांग्रेस के हैं और वो जाट समुदाय से आते हैं. मेवा सिंह ने 2019 में बीजेपी के पवन सैनी को 12637 वोट से हराया था. इस चुनाव में भी अगर कांग्रेस मेवा सिंह को कांग्रेस टिकट देती है तो वो नायब सैनी के लिए बड़ी चुनौती साबित होंगे. इसलिए नायब सैनी के लिए लाडवा से जीत आसान नहीं होगी.

मोहनलाल बड़ोली ने क्यों की सैनी के लाडवा से लड़ने की घोषणा?

शुक्रवार को हरियाणा के बीजेपी अध्यक्ष मोहनलाल बड़ोली से जब ये पूछा गया कि सीएम नायब सैनी किस सीट से चुनाव लड़ेंगे तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वो लाडवा से लड़ेंगे. लेकिन उसके कुछ देर बाद ही करनाल में रोड शो कर रहे नायब सिंह सैनी से जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वो करनाल से ही चुनाव लड़ेंगे. जब उनसे पूछा गया कि मोहनलाल बड़ोली ने इसकी घोषणा कर दी है तो उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा कि वो प्रदेश अध्यक्ष हैं, उनको ज्यादा जानकारी होगी. अब सवाल ये उठता है कि जब बीजेपी उम्मीदवारों की सूची अभी आधिकारिक तौर पर घोषित नहीं हुई तो मोहनलाल बड़ोली ने नायब सैनी के लाडवा से लड़ने की बात मीडिया में क्यों की.

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Last Updated : Aug 31, 2024, 7:35 PM IST
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