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बस्तर में बैकफुट पर गए नक्सलियों ने खुद को जिंदा रखने के लिए बदली गुरिल्ला वार की रणनीति

dummy naxali in bastar बस्तर में बारूद की जगह विकास की बयार बहने से नक्सली बौखलाहट में हैं. बस्तर के जिन जंगलों में जहां नक्सली खुद को सेफ समझते थे, जवानों की टीम अब उनके सेफ जोन में जाकर उनका खात्म कर रही है. बैकफुट पर जा चुके नक्सलियों ने खुद को जिंदा रखने के लिए अपनी पुरानी तकनीक को बदल कर हाईटेक लड़ाई लड़नी शुरु कर दी है. guerrilla war in bastar

dummy naxali in bastar
बस्तर में बैकफुट पर नक्सली
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 5, 2024, 7:46 PM IST

Updated : Mar 5, 2024, 10:59 PM IST

बस्तर में बैकफुट पर नक्सली

बीजापुर: बस्तर के जिन जंगलों में जहां दोपहर की खड़ी धूप नहीं पहुंचती है वहां अब नक्सली डेरा डालकर बैठ गए हैं. जो नक्सली कभी दूसरों के लिए खौफ हुआ करते थे आज वो खुद दहशत में हैं. बस्तर के जगंलों में जहां नक्सलियों का एकछत्र साम्राज्य हुआ करता था वहां अब पुल पुलिया सड़क नजर आने लगे हैं. जवानों की बढ़ती मौजूदगी और जंगलों में सिमटते नक्सली अब बौखलाहट में हैं. फोर्स अब घने जंगलों में भी ड्रोन के जरिए नक्सलियों के मूवमेंट पर नजर रख रही रही है. फोर्स के बढ़ते दबाव को देखते हुए नक्सली अब खुद को बचाने में जुट गए हैं. खुद को जिंदा रखने के लिए नक्सली अब गोरिल्ला वार की नई तकनीक और हाईटेक एंबुश का सहारा अबूझमाड़ जैसे जंगलों में ले रहे हैं.

खुद को बचाने के लिए नक्सलियों ने बदली गोरिल्ला रणनीति: बीजापुर और दंतेवाड़ा की सीमा पर हाल ही में जवानों ने सर्चिंग के दौरान बड़ी सुरंग का पर्दाफाश किया. नक्सलियों ने ये सुरंग इंद्रावती नदी के किनारे बोड़गा गांव में बना रखी थी. दस फीट गहरी और तीन फीट चौड़ी इस सुरंग में एक वक्त में सैंकड़ों नक्सली छिप सकते थे. नक्सली अब आमने सामने की लड़ाई से ज्यादा पीठे के पीछे से वार करने की कोशिश कर रहे हैं.

डमी नक्सली संभाल रहे जंगल में मोर्चा: नक्सलियों ने जवानों को धोखा देने के लिए घने जंगलों में मुठभेड़ के दौरान डमी नक्सली खड़े करने का भी बंदोबस्त कर रखा है. जवानों को जंगल से नक्सलियों की डमी भी मिली है. काले कपड़े में घास पतवार भरकर नक्सली पेड़ों के पीछे इनको खड़ा कर देते हैं. मुठभेड़ के दौरान जवानों को लगता है कि सामने नक्सली हैं तो वो उसको टारगेट करते हैं. नक्सलियों की टीम इस बात का फायदा उठाकर दूसरी ओर से जवानों पर हमला बोल देती है. बस्तर के जंगलों में इससे पहले नक्सलियों के द्वारा ऐसे ट्रेंड का इस्तेमाल नहीं किया गया था. नक्सली संगठन अब इस नए एंबुश का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर करने लगे हैं.

घास के मुखौटे लगाकर किया था हमला: 16 जनवरी 2024 को धर्मावरम कैंप पर नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया था. हमले के दौरान जवानों को एंबुश में फंसाने के लिए घास का मुखौट और ड्रेस पहनकर नक्सली पहुंचे थे. हमले के दौरान नक्सली घने घास और जंगल में खुद को छिपाने में कामयाब रहे थे. जवान जबतक नक्सलियों की रणनीति समझ पाते तबतक वो नुकसान पहुंचाकर भाग चुके थे.

नक्सलियों के आधार वाले इलाके में फोर्स आगे बढ़ रही है. जवान जैसे जैसे आगे बढ़ रहे हैं वैसे वैसे नक्सली अपनी गुरिल्ला वार में भी बदलाव ला रहे हैं. इंसानी डमी तैयार कर कुटरु इलाके में बीते दिनों नक्सलियों ने जवानों को गुमराह किया. अबूझमाड़ के बोड़ग में नक्सलियों ने सुरंग तैयार कर ली. धर्मावरम कैंप पर अटैक के दौरान नक्सली घास की पोशाक में आए थे. बम धमाकों की तकनीक में भी नक्सलियों ने बदलाव किया है. नक्सली अब प्रेशर और कमांड IED के बाद एंटी हैंडलिंग मैकेनिज्म का इस्तेमाल कर रहे हैं. नक्सलियों की बदली रणनीति के हिसाब से ही अब हम अपनी स्ट्रेटेजी तैयार कर रहे हैं. हमारी बदली तकनीक से ऑपरेशन आसान और केजुअल्टी कम हो रही है. मुठभेड़ में जवानों को सफलता भी ज्यादा मिल रही है. - जितेंद्र सिंह, एसपी, बीजापुर

नक्सलियों ने तैयार किया एंटी हैंडलिंग मैकनिज्म: नक्सलियों ने खुद को मजबूत बनाने के लिए देशी यूबीजीएल राकेट लॉन्चर बनाना शुरु कर दिया है. धर्मावरम कैंप पर हमले के दौरान माओवादियों ने इसका इस्तेमाल किया था. बस्तर में जिस तरह से जवान अब हाईटेक रणनीति के तहत नक्सलियों से लड़ाई लड़ रहे हैं उससे नक्सलियों में भारी घबराहट है. संगठन को बचाए रखने के लिए नक्सली ने भी अपनी रणनीति और तकनीक दोनों को बदला है.

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बीजापुर: बस्तर के जिन जंगलों में जहां दोपहर की खड़ी धूप नहीं पहुंचती है वहां अब नक्सली डेरा डालकर बैठ गए हैं. जो नक्सली कभी दूसरों के लिए खौफ हुआ करते थे आज वो खुद दहशत में हैं. बस्तर के जगंलों में जहां नक्सलियों का एकछत्र साम्राज्य हुआ करता था वहां अब पुल पुलिया सड़क नजर आने लगे हैं. जवानों की बढ़ती मौजूदगी और जंगलों में सिमटते नक्सली अब बौखलाहट में हैं. फोर्स अब घने जंगलों में भी ड्रोन के जरिए नक्सलियों के मूवमेंट पर नजर रख रही रही है. फोर्स के बढ़ते दबाव को देखते हुए नक्सली अब खुद को बचाने में जुट गए हैं. खुद को जिंदा रखने के लिए नक्सली अब गोरिल्ला वार की नई तकनीक और हाईटेक एंबुश का सहारा अबूझमाड़ जैसे जंगलों में ले रहे हैं.

खुद को बचाने के लिए नक्सलियों ने बदली गोरिल्ला रणनीति: बीजापुर और दंतेवाड़ा की सीमा पर हाल ही में जवानों ने सर्चिंग के दौरान बड़ी सुरंग का पर्दाफाश किया. नक्सलियों ने ये सुरंग इंद्रावती नदी के किनारे बोड़गा गांव में बना रखी थी. दस फीट गहरी और तीन फीट चौड़ी इस सुरंग में एक वक्त में सैंकड़ों नक्सली छिप सकते थे. नक्सली अब आमने सामने की लड़ाई से ज्यादा पीठे के पीछे से वार करने की कोशिश कर रहे हैं.

डमी नक्सली संभाल रहे जंगल में मोर्चा: नक्सलियों ने जवानों को धोखा देने के लिए घने जंगलों में मुठभेड़ के दौरान डमी नक्सली खड़े करने का भी बंदोबस्त कर रखा है. जवानों को जंगल से नक्सलियों की डमी भी मिली है. काले कपड़े में घास पतवार भरकर नक्सली पेड़ों के पीछे इनको खड़ा कर देते हैं. मुठभेड़ के दौरान जवानों को लगता है कि सामने नक्सली हैं तो वो उसको टारगेट करते हैं. नक्सलियों की टीम इस बात का फायदा उठाकर दूसरी ओर से जवानों पर हमला बोल देती है. बस्तर के जंगलों में इससे पहले नक्सलियों के द्वारा ऐसे ट्रेंड का इस्तेमाल नहीं किया गया था. नक्सली संगठन अब इस नए एंबुश का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर करने लगे हैं.

घास के मुखौटे लगाकर किया था हमला: 16 जनवरी 2024 को धर्मावरम कैंप पर नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया था. हमले के दौरान जवानों को एंबुश में फंसाने के लिए घास का मुखौट और ड्रेस पहनकर नक्सली पहुंचे थे. हमले के दौरान नक्सली घने घास और जंगल में खुद को छिपाने में कामयाब रहे थे. जवान जबतक नक्सलियों की रणनीति समझ पाते तबतक वो नुकसान पहुंचाकर भाग चुके थे.

नक्सलियों के आधार वाले इलाके में फोर्स आगे बढ़ रही है. जवान जैसे जैसे आगे बढ़ रहे हैं वैसे वैसे नक्सली अपनी गुरिल्ला वार में भी बदलाव ला रहे हैं. इंसानी डमी तैयार कर कुटरु इलाके में बीते दिनों नक्सलियों ने जवानों को गुमराह किया. अबूझमाड़ के बोड़ग में नक्सलियों ने सुरंग तैयार कर ली. धर्मावरम कैंप पर अटैक के दौरान नक्सली घास की पोशाक में आए थे. बम धमाकों की तकनीक में भी नक्सलियों ने बदलाव किया है. नक्सली अब प्रेशर और कमांड IED के बाद एंटी हैंडलिंग मैकेनिज्म का इस्तेमाल कर रहे हैं. नक्सलियों की बदली रणनीति के हिसाब से ही अब हम अपनी स्ट्रेटेजी तैयार कर रहे हैं. हमारी बदली तकनीक से ऑपरेशन आसान और केजुअल्टी कम हो रही है. मुठभेड़ में जवानों को सफलता भी ज्यादा मिल रही है. - जितेंद्र सिंह, एसपी, बीजापुर

नक्सलियों ने तैयार किया एंटी हैंडलिंग मैकनिज्म: नक्सलियों ने खुद को मजबूत बनाने के लिए देशी यूबीजीएल राकेट लॉन्चर बनाना शुरु कर दिया है. धर्मावरम कैंप पर हमले के दौरान माओवादियों ने इसका इस्तेमाल किया था. बस्तर में जिस तरह से जवान अब हाईटेक रणनीति के तहत नक्सलियों से लड़ाई लड़ रहे हैं उससे नक्सलियों में भारी घबराहट है. संगठन को बचाए रखने के लिए नक्सली ने भी अपनी रणनीति और तकनीक दोनों को बदला है.

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Last Updated : Mar 5, 2024, 10:59 PM IST
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