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मैक्लुस्कीगंज की खुली हवा में घुल रहा उग्रवाद का जहर, अब यहां लगता है डर! - Naxalites in McCluskieganj

Naxalite organizations active in McCluskieganj. मैक्लुस्कीगंज, एक ऐसा खुशनुमा शहर जो अपनी आबोहवा और एंग्लो इंडियन के नाम से मशहूर है. अब यहां की हवा धीरे-धीरे बदल रही है. यहां की फिजाओं में नक्सलवाद का जहर घुस रहा है. ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट से जानें, आखिर कैसे बदल रहा है यहां का माहौल.

Naxalite organizations becoming active in McCluskieganj of Ranchi
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 6, 2024, 4:04 PM IST

रांचीः कभी अंग्रेजों की सबसे पसंदीदा जगह में शुमार रांची रहे मैक्लुस्कीगंज की फिजा में अब उग्रवाद की काली परछाई दिखाई देने लगी है. आगजनी, गोलीबारी और हत्या की घटनाओं की वजह से बेहद शांत रहे मैक्लुस्कीगंज में अब लोगों को डर लगने लगा है.

मैक्लुस्कीगंज में नक्सली संगठन एक्टिव (ETV Bharat)

रांची का स्वर्ग मैक्लुस्कीगंज

राजधानी रांची से 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मैक्लुस्कीगंज अपने हसीन वादियों, फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले कुछ स्थानीय लोगों और एंग्लो इंडियन के लिए जाना जाता है. झारखंड की राजधानी रांची में स्थित मैक्लुस्कीगंज एक बेहतरीन पर्यटन स्थल है. आमतौर पर बेहद शांत रहने वाला यह क्षेत्र कुछ दिनों से रह रह कर अशांत हो जा रहा है.

मैक्लुस्कीगंज में हाल के दिनों में नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के साथ साथ नक्सलियों के स्प्लिन्टर्स ग्रुप भी एक्टिव हो गए है. मैक्लुस्कीगंज को और बेहतरीन बनाने के लिए सड़क, पुल के साथ साथ पानी के पाइप बिछाने का भी काम चल रहा है. लेकिन इन्हीं कामों में रंगदारी के लिए उग्रवादी और अपराधी दोनों ही एक्टिव हो गए है. रंगदारी नहीं देने पर मैक्लुस्कीगंज में आगजनी, फायरिंग और हत्या जैसे वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है.

रविंद गंझू से लेकर कई वांटेड एक्टिव

झारखंड पुलिस के मोस्ट वांटेड नक्सलियों की लिस्ट में शामिल कुख्यात नक्सली कमांडर और 15 लाख का इनामी रविन्द्र गंझू भी लातेहार से भाग कर मैक्लुस्कीगंज में ही पनाह लिए हुए हैं. छोटे-छोटे दस्ते के साथ मिलकर वह क्षेत्र में एक्टिव होकर लेवी वसूल रहा है. दूसरी और उग्रवादी संगठन टीपीसी, जेजेएमपी और पीएलएफआई के आधा दर्जन से ज्यादा एक्टिव कैडर भी मैक्लुस्कीगंज में सक्रिय है. लातेहार के बालूमाथ थाना से फरार हुए पीएलएफआई कमांडर सुल्तान जी भी मैक्लुस्कीगंज में ही एक्टिव है.

कोयला और बालू का खेल

वैसे तो मैक्लुस्कीगंज में ऐसा कुछ नहीं है जहां से नक्सली, उग्रवादी और अपराधी कुछ खास हासिल कर सके. लेकिन मैक्लुस्कीगंज की सीमा से सटे खलारी और पिपरवार कोयला क्षेत्र है और मैक्लुस्कीगंज उनका पासिंग लाइन है. यही वजह है कि नक्सली उग्रवादी और अपराधी पासिंग लाइन को ही अपना टारगेट बनाते हैं ताकि बिना किसी झंझट के उन तक रंगदारी की रकम पहुंचती रहे. वहीं कोयला के बाद बालू आपराधिक तत्वों के लिए कमाई का दूसरा सबसे बड़ा जरिया है. बालू की तस्करी का पैसा बड़े अपराधियों से लेकर उग्रवादी और नक्सली संगठन तक भी पहुंच रहा है. दरअसल वैसे नक्सली जिनके ठिकानों तक झारखंड पुलिस का अभियान पहुंच चुका है उनमें से अधिकांश छोटे-छोटे दल बनाकर मैक्लुस्कीगंज जैसे क्षेत्र में ही पनाह लिए हुए हैं.

मैक्लुस्कीगंज में क्यों है दहशत

मैक्लुस्कीगंज अक्सर चर्चा में रहता है क्योंकि यहां फिल्मों की शूटिंग काफी होती है, नेता-अभिनेता अक्सर बाहर के राज्यों से यहां घूमने आते हैं. यहां से विधानसभा को एंग्लो इंडियन विधायक मिलता है लेकिन पिछले दो महीने से मैक्लुस्कीगंज आबोहवा में जहर घोलने का काम किया जा रहा है. आगजनी और गोलीबारी की वारदातों को अंजाम देकर नक्सली अपराधी और उग्रवादियों ने माहौल को खराब कर दिया है. पिछले दो महीना के भीतर मैक्लुस्कीगंज में उग्रवादी और अपराधियों के हमले में एक व्यक्ति की गोली मार कर हत्या कर दी गई. एक को जिंदा जला दिया गया आधा दर्जन के करीब कंस्ट्रक्शन साइट पर हमला किया गया.

मामलों की जांच जारी

झारखंड पुलिस के आईजी अभियान अमोल वी होमकर के अनुसार मैक्लुस्कीगंज में हुई घटनाओं में केवल उग्रवादी तत्वों का नाम नहीं आया है. इसमे कुछ लोकल अपराधी भी संलिप्त है. सभी मामलों की जांच की जा रही है और किसी को भी बक्शा नहीं जाएगा.

इसे भी पढ़ें- मैक्लुस्कीगंज में कंस्ट्रक्शन साइट पर उग्रवादियों का हमला, मुंशी की गोली मार कर हत्या - Naxalite attack in Ranchi

इसे भी पढ़ें- रांची के मैक्लुस्कीगंज में नक्सली हमला, कंटेनर में लगाई आग, जिंदा जल गया खलासी - Naxalites attack in McCluskieganj

इसे भी पढ़ें- Naxal Attack Latehar: रेलवे पुल निर्माण के साइडिंग पर नक्सलियों ने किया हमला, कई वाहनों में लगाई आग

रांचीः कभी अंग्रेजों की सबसे पसंदीदा जगह में शुमार रांची रहे मैक्लुस्कीगंज की फिजा में अब उग्रवाद की काली परछाई दिखाई देने लगी है. आगजनी, गोलीबारी और हत्या की घटनाओं की वजह से बेहद शांत रहे मैक्लुस्कीगंज में अब लोगों को डर लगने लगा है.

मैक्लुस्कीगंज में नक्सली संगठन एक्टिव (ETV Bharat)

रांची का स्वर्ग मैक्लुस्कीगंज

राजधानी रांची से 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मैक्लुस्कीगंज अपने हसीन वादियों, फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले कुछ स्थानीय लोगों और एंग्लो इंडियन के लिए जाना जाता है. झारखंड की राजधानी रांची में स्थित मैक्लुस्कीगंज एक बेहतरीन पर्यटन स्थल है. आमतौर पर बेहद शांत रहने वाला यह क्षेत्र कुछ दिनों से रह रह कर अशांत हो जा रहा है.

मैक्लुस्कीगंज में हाल के दिनों में नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के साथ साथ नक्सलियों के स्प्लिन्टर्स ग्रुप भी एक्टिव हो गए है. मैक्लुस्कीगंज को और बेहतरीन बनाने के लिए सड़क, पुल के साथ साथ पानी के पाइप बिछाने का भी काम चल रहा है. लेकिन इन्हीं कामों में रंगदारी के लिए उग्रवादी और अपराधी दोनों ही एक्टिव हो गए है. रंगदारी नहीं देने पर मैक्लुस्कीगंज में आगजनी, फायरिंग और हत्या जैसे वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है.

रविंद गंझू से लेकर कई वांटेड एक्टिव

झारखंड पुलिस के मोस्ट वांटेड नक्सलियों की लिस्ट में शामिल कुख्यात नक्सली कमांडर और 15 लाख का इनामी रविन्द्र गंझू भी लातेहार से भाग कर मैक्लुस्कीगंज में ही पनाह लिए हुए हैं. छोटे-छोटे दस्ते के साथ मिलकर वह क्षेत्र में एक्टिव होकर लेवी वसूल रहा है. दूसरी और उग्रवादी संगठन टीपीसी, जेजेएमपी और पीएलएफआई के आधा दर्जन से ज्यादा एक्टिव कैडर भी मैक्लुस्कीगंज में सक्रिय है. लातेहार के बालूमाथ थाना से फरार हुए पीएलएफआई कमांडर सुल्तान जी भी मैक्लुस्कीगंज में ही एक्टिव है.

कोयला और बालू का खेल

वैसे तो मैक्लुस्कीगंज में ऐसा कुछ नहीं है जहां से नक्सली, उग्रवादी और अपराधी कुछ खास हासिल कर सके. लेकिन मैक्लुस्कीगंज की सीमा से सटे खलारी और पिपरवार कोयला क्षेत्र है और मैक्लुस्कीगंज उनका पासिंग लाइन है. यही वजह है कि नक्सली उग्रवादी और अपराधी पासिंग लाइन को ही अपना टारगेट बनाते हैं ताकि बिना किसी झंझट के उन तक रंगदारी की रकम पहुंचती रहे. वहीं कोयला के बाद बालू आपराधिक तत्वों के लिए कमाई का दूसरा सबसे बड़ा जरिया है. बालू की तस्करी का पैसा बड़े अपराधियों से लेकर उग्रवादी और नक्सली संगठन तक भी पहुंच रहा है. दरअसल वैसे नक्सली जिनके ठिकानों तक झारखंड पुलिस का अभियान पहुंच चुका है उनमें से अधिकांश छोटे-छोटे दल बनाकर मैक्लुस्कीगंज जैसे क्षेत्र में ही पनाह लिए हुए हैं.

मैक्लुस्कीगंज में क्यों है दहशत

मैक्लुस्कीगंज अक्सर चर्चा में रहता है क्योंकि यहां फिल्मों की शूटिंग काफी होती है, नेता-अभिनेता अक्सर बाहर के राज्यों से यहां घूमने आते हैं. यहां से विधानसभा को एंग्लो इंडियन विधायक मिलता है लेकिन पिछले दो महीने से मैक्लुस्कीगंज आबोहवा में जहर घोलने का काम किया जा रहा है. आगजनी और गोलीबारी की वारदातों को अंजाम देकर नक्सली अपराधी और उग्रवादियों ने माहौल को खराब कर दिया है. पिछले दो महीना के भीतर मैक्लुस्कीगंज में उग्रवादी और अपराधियों के हमले में एक व्यक्ति की गोली मार कर हत्या कर दी गई. एक को जिंदा जला दिया गया आधा दर्जन के करीब कंस्ट्रक्शन साइट पर हमला किया गया.

मामलों की जांच जारी

झारखंड पुलिस के आईजी अभियान अमोल वी होमकर के अनुसार मैक्लुस्कीगंज में हुई घटनाओं में केवल उग्रवादी तत्वों का नाम नहीं आया है. इसमे कुछ लोकल अपराधी भी संलिप्त है. सभी मामलों की जांच की जा रही है और किसी को भी बक्शा नहीं जाएगा.

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