लातेहार: बूढ़ा पहाड़ की गोद में बसा नावाटोली गांव भौगोलिक दृष्टि से लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड में स्थित हो सकता है. लेकिन इस गांव में रहने वाले ज्यादातर लोग कागजों में छत्तीसगढ़ के निवासी हैं. वैसे तो झारखंड में रहने वाले लोगों के भौगोलिक रूप से कागज पर छत्तीसगढ़िया होने के पीछे कई कारण हैं, लेकिन उनमें से एक महत्वपूर्ण कारक 2 किलो राशन है. झारखंड राज्य की तुलना में छत्तीसगढ़ में लाभार्थियों को 2 किलो अधिक राशन मिलता है.
क्या है मामला?: दरअसल, बूढ़ा पहाड़ की गोद में बसे नावाटोली गांव की कहानी बड़ी अजीब है. नक्सलियों के वर्चस्व के कारण यह गांव विकास से पूरी तरह वंचित था. यह गांव भौगोलिक दृष्टि से लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड अंतर्गत अक्सी पंचायत का हिस्सा है, कुछ साल पहले तक झारखंड सरकार की कोई भी योजना इस इलाके तक नहीं पहुंची थी. यह इलाका छत्तीसगढ़ से सटा हुआ है. नावाटोली के पास ही छत्तीसगढ़ का एक गांव चरहु भी स्थित है. इस गांव तक छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाएं पहुंचती थीं.
करीब 10 साल पहले छत्तीसगढ़ सरकार की पहल पर लोगों के राशन कार्ड और वोटर कार्ड बनाने का अभियान चलाया जा रहा था. झारखंड की सीमा में रहने के बावजूद झारखंड सरकार की योजनाओं से वंचित थे. उन्हें जैसे ही पता चला कि छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से लोगों को कई लाभ दिए जा रहे हैं. उन्होंने छत्तीसगढ़ के ग्रामीणों के रूप में अपना राशन कार्ड और वोटर कार्ड बनवा लिया और छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं का लाभ लेने लगे.
छत्तीसगढ़वासी ही बने रहना चाहते हैं ग्रामीण: इस बीच पिछले दो वर्षों में पुलिस प्रशासन ने बूढ़ा पहाड़ इलाके में बड़ा ऑपरेशन चलाया और इलाके को नक्सलियों के चंगुल से मुक्त कराया. इसके बाद झारखंड सरकार की योजनाओं को इस क्षेत्र में स्थित गांवों तक पहुंचाने का प्रयास भी शुरू किया गया. लोगों को राशन कार्ड बनाने के लिए भी प्रेरित किया गया. ताकि उन्हें झारखंड सरकार की योजनाओं का लाभ दिया जा सके. लेकिन स्थानीय लोग छत्तीसगढ़ के राशन कार्ड पर ही राशन लेने को इच्छुक हैं.
छत्तीसगढ़ में मिलता है 2 किलो ज्यादा राशन: स्थानीय निवासी मनोज यादव, सूरज यादव, बलवीर एक्का आदि का कहना है कि झारखंड में रहने वाले लोगों को सरकार की ओर से प्रति लाभुक 5 किलो राशन दिया जाता है. जबकि छत्तीसगढ़ में रहने वाले लोगों को प्रति लाभार्थी 7 किलो की दर से राशन मिलता है. अब कोई सुन रहा है कि यहां हर व्यक्ति को 10 किलो राशन दिया जाएगा. दूसरा, अगर आप झारखंड के लिए राशन कार्ड बनवाते हैं तो आपको राशन लेने के लिए गांव से लगभग 20 से 25 किलोमीटर दूर जाना होगा. जबकि छत्तीसगढ़ में राशन की दुकान राशन कार्ड धारक से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इसलिए लोग झारखंड सरकार का राशन कार्ड लेकर झारखंडी बनने की बजाय कागज पर छत्तीसगढ़ के निवासी बने रहना चाहते हैं.
वोट सिर्फ छत्तीसगढ़ में: झारखंड के सीमावर्ती इलाके में रहने के बावजूद यहां के लोग छत्तीसगढ़ में ही वोट करते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उनका वोटर कार्ड भी छत्तीसगढ़ से बना है. अगर वे लातेहार के मनिका विधानसभा क्षेत्र से अपना वोटर कार्ड बनवाते हैं तो उन्हें वोट डालने के लिए 20 किलोमीटर पैदल चलना होगा, जबकि छत्तीसगढ़ में वोट डालने के लिए सिर्फ 7 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. ग्रामीणों ने बताया कि फिलहाल पुलिस और सीआरपीएफ ग्रामीणों को हरसंभव मदद पहुंचा रही है. भविष्य में वे झारखंड का वोटर कार्ड बनवायेंगे.
सभी प्रकार की सुविधाएं की जा रही बहाल: इस संबंध में लातेहार डीसी हिमांशु मोहन ने कहा कि बूढ़ा पहाड़ एक्शन प्लान के तहत क्षेत्र में सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराने की योजना चल रही है. उन्होंने कहा कि वे राशन कार्ड और वोटर कार्ड के संबंध में जानकारी ले रहे हैं. बूढ़ा पहाड़ इलाके में रहने वाले ग्रामीणों के घरों तक जल्द ही पक्की सड़क बनेगी. पेयजल और अन्य सुविधाएं भी उनके घर पर उपलब्ध होंगी. लेकिन झारखंड राज्य की अन्य आवश्यक सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए उनके पास झारखंड का वोटर कार्ड और राशन कार्ड होना आवश्यक होगा.
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