चंडीगढ़: हरियाणा में सितंबर के अंत या अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं. लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद ये चुनाव रोचक होने की उम्मीद है. एक तरफ कांग्रेस पांच सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की पूरी उम्मीद लगाए हुए है. वहीं बीजेपी भी आसानी से मुकाबले को छोड़ती नजर नहीं आ रही.
लोकसभा चुनाव के बाद परिस्थितियां बदली: 2014 में दस में से नौ सीटें और 2019 दस में से दस सीटें जीतने वाली बीजेपी 2024 में मात्र पांच सीटें ही जीत पाई. इस नतीजे के बाद कांग्रेस के नेताओं की दस साल बाद हरियाणा की सत्ता में वापसी की उम्मीद भी जग गई. इसलिए भी क्योंकि 90 विधानसभा में कांग्रेस 46 सीटों पर आगे रही. लिहाजा हार का मंथन कर बीजेपी अब तेजी से काम कर रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जैसे ही सीएम नायब सैनी के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान किया. वैसे ही वो हालत को बदलने में जुट गए.
फ्री हैंड मिलते ही सीएम नायब सैनी ने पकड़ी रफ्तार: केंद्रीय नेतृत्व ने नायब सैनी की अगुवाई में विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया, तो उन्होंने पूर्व सीएम मनोहर के कई फैसलों को बदलने में भी गुरेज नहीं किया. जो ये संकेत देने के लिए काफी हैं कि शायद पार्टी को उन फैसलों से लोकसभा चुनाव में नुकसान हुआ होगा. तभी फ्री हैंड मिलते ही सीएम नायब सैनी ने वो फैसले पल दिए. नायब सैनी सिर्फ प्रशासनिक ही नहीं राजनीतिक फैसले लेने में भी तेजी से काम कर रहे हैं, फिर चाहे बात पुराने पार्टी नेताओं को वापस लाने की ही क्यों ना हो.
बीजेपी के पूर्व नेताओं की हो रही घर वापसी: सीएम नायब सैनी और पार्टी ये बात जानती है कि कुछ विधानसभा सीटों पर अगर वक्त रहते काम किया गया, तो फिर बीजेपी कांग्रेस की सत्ता में वापसी की राह को मुश्किल कर सकती है. यही वजह है कि जो नेता बीजेपी से जाने के बाद राजनीतिक तौर पर पार्टी से दूर हो गए थे. सीएम सैनी उनकी वापसी करने में जुट गए हैं. इसी कड़ी में सीएम नायब सैनी ने कालांवाली से 2014 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े राजेंद्र देसुजोधा की पार्टी में वापसी करा दी. राजेंद्र देसुजोधा ने जहां सीएम को सम्मानित किया, तो वहीं नायब सैनी ने देसुजोधा को पुराना मित्र बताया.
किरण चौधरी के समर्थकों को भी करवाया पार्टी में शामिल: कांग्रेस की पूर्व नेता किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी पहले ही बीजेपी में शामिल हो चुकी हैं. अब सीएम नायब सैनी की मौजूदगी में उनके प्रदेशभर के करीब ग्यारह सौ समर्थक भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. जिनमें जिला पार्षद, काउंसलर, सरपंच और कांग्रेस के कई पदाधिकारी शामिल हैं. उन सबके पार्टी में शामिल होने से कहीं ना कहीं बीजेपी खुद की प्रदेश में मजबूती का संदेश देने की कोशिश कर रही है. जिसका आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को फायदा भी मिल सकता है.
क्या नेताओं की घर वापसी से बीजेपी बदल पाएगी जमीनी हालात? इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार राजेश मोदगिल कहते हैं कि अगर पार्टी के पुराने साथी बीजेपी में आते हैं, तो इससे हालत बदलेंगे या नहीं. ये कहना अभी संभव नहीं होगा, लेकिन इसका पार्टी के अंदर और कार्यकर्ताओं में एक पॉजिटिव संदेश तो जाता ही है. इससे बीजेपी के कार्यकर्ताओं का जमीनी स्तर पर मनोबल बढ़ेगा. इससे वोटों में कितनी तब्दील होगी, इसके लिए हमें अभी इंतजार करना होगा.
वरिष्ठ पत्रकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने बताया कि बीजेपी के लिए इस बार विधानसभा की राह आसान दिखाई नहीं देती है. ऐसे में सीएम नायब सैनी जिस तरह से फैसले ले रहे हैं और पुराने साथियों की वापसी करवा रहे हैं. उससे ये बात तो स्पष्ट हो जाती है कि बीजेपी कांग्रेस की एकतरफा जीतने की उम्मीदों को आसानी से पूरा नहीं होने देगी. बीजेपी चुनाव पूरी ताकत से लड़ती है. ये बात सब जानते हैं. इसलिए सीएम सैनी पार्टी की हर कमजोर कड़ी को मजबूत कर रहे हैं. अन्य दलों से नेताओं का बीजेपी में शामिल होना और अन्य दलों में गए बीजेपी के नेताओं की वापसी करवाना उसी कड़ी का हिस्सा दिखाई देता है.