हरिद्वारः 19 अप्रैल को उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के पहले चरण के तहत मतदान किए जाएंगे. 5 लोकसभा सीटों के लिए 56 उम्मीदवारों ने नामांकन किया है. सबसे ज्यादा 14 उम्मीदवार हरिद्वार संसदीय सीट पर है. इस बार हरिद्वार सीट पर एक खास उम्मीदवार की उम्मीदवारी चुनाव मैदान में नहीं रहेगी. क्योंकि वे रिटर्निंग ऑफिसर को नामांकन के दौरान 25 हजार का नकद बॉन्ड नहीं दे पाए. खास उम्मीदवार इसलिए भी, क्योंकि उन्होंने 2007 से लेकर 2022 तक करीब 6 चुनाव लड़े. लेकिन एक भी चुनाव में अपनी जमानत नहीं बचा पाए.
नाम- मुरसलीन कुरैशी उर्फ स्कूटर
शौक- चुनाव लड़ना
पेशे से वेल्डिंग का काम करने वाले मुरसलीन कुरैशी उर्फ स्कूटर 2007 से 2022 तक 6 चुनाव लड़ चुके हैं, जिसमें 3 विधानसभा, एक नगर निगम और एक लोकसभा का चुनाव है. लेकिन इस बार नेताजी नामांकन भरने से चूक गए. क्योंकि रिटर्निंग ऑफिसर को 25 हजार रुपए का बॉन्ड देने के लिए उनके पास नकद पैसे नहीं थे और अभी तक ऑनलाइन पेमेंट का ऑप्शन चुनाव आयोग ने लागू नहीं किया. लिहाजा, नामांकन भरने के लिए अपनी पत्नी और बच्चों के साथ पहुंचे मुरसलीन कुरैशी उर्फ 'स्कूटर' अब बेहद दुखी हैं. कुरैशी का कहना है कि इसके साथ ही उनका इस बार चुनाव लड़ने का सफर पहली सीढ़ी पर ही टूट गया.
कब-कब लड़ा चुनाव: मुरसलीन कुरैशी ने साल 2007 में पहली बार हरिद्वार (नगर) विधानसभा सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. साल 2008 में उन्होंने मेयर के पद के लिए नगर निगम का चुनाव लड़ा, यहां भी हार गए. इसके बाद साल 2009 में हरिद्वार संसदीय सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन यहां भी वे अपनी जमानत नहीं बचा पाए. इसके बाद 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने हरिद्वार (नगर) और रानीपुर विधानसभा सीट से पर्चा भरा. लेकिन यहां भी उन्हें करारी शिकस्त मिली. इसके बाद कुछ निजी कारणों के चलते 2014 लोकसभा, 2017 विधानसभा और 2019 लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा. लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने फिर से रानीपुर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में छलांग लगाई, लेकिन यहां उन्हें फिर मुंह की खानी पड़ी. और इस बार उन्हें भारी दुख का सामना करना पड़ा.
कुरैशी अपने पहले चुनाव को याद करते हुए कहते हैं, 'मुझे यह तो याद है कि मेरे पहले 2007 के चुनाव में मुझे 419 वोट मिले थे. लेकिन उसके बाद मैंने वोटों की गिनती करना भी छोड़ दिया. लेकिन अपने तमाम चुनाव को मिलाकर मुझे लगभग 2800 से 3 हजार के बीच वोट मिले हैं.
'स्कूटर' के नाम से चर्चित हैं मुरसलीन : कुरैशी को ज्वालापुर में लोग 'स्कूटर' के नाम से भी बुलाते हैं. उनको बचपन से लोग 'स्कूटर' बुलाते हैं. क्यों वे हमेशा स्कूटर की तरह ही सरपट दौड़ते हैं. किसी को भी काम के लिए इनकार नहीं करते और 'स्कूटर' की तरह दौड़ जाते हैं. यहां तक अपना प्रचार भी अकेले स्कूटर पर सवार होकर करते हैं.
राजनीतिक दलों ने दिया ऑफर: कुरैशी कहते हैं, ऐसा नहीं है कि उनके पास राजनीतिक पार्टियों के ऑफर नहीं आए. उनकी कार्यशैली और मेहनत को देखते हुए कभी कांग्रेस तो कभी अन्य दूसरे दलों ने उन्हें सदस्यता दिलाने की बात कही. लेकिन कुरैशी बताते हैं कि उन्हें किसी पार्टी में जाना ही नहीं है. उनके लगातार चुनाव लड़ने के सवाल पर उनका कहना है कि, 'मैं जनता की सेवा करना चाहता हूं. इस बार का चुनाव अगर मैं लड़ता तो पुलिस में कुछ बदलाव के सुझाव मुझे देने थे. मैं चाहता हूं कि हर पुलिस की वर्दी में सीसीटीवी कैमरा लगे. इतना ही नहीं, बेगुनाहों को सताने वाली पुलिस पर तत्काल कार्रवाई हो'.
5 मुकदमे हैं दर्ज: कुरैशी आगे बताते हैं कि उनके ऊपर खुद चार से पांच मुकदमे दर्ज हैं. लेकिन फिर भी वह जनता की सेवा करते हैं. कुरैशी ज्वालापुर में ही वेल्डिंग की दुकान चलाते हैं. रोजाना 400 से 500 रुपए कमाने वाले कुरैशी का चुनावी खर्च मात्र 10 हजार रुपए होता है. एक स्कूटर पर अकेले प्रचार करने वाले कुरैशी ज्वालापुर से लेकर रायवाला तक स्कूटर पर ही सवार होकर लोगों से वोट की अपील भी करते हैं. इस बार भी उनके मन की इच्छा यही थी कि वह लोकसभा का चुनाव लड़े और इसके लिए बाकायदा पूरे इंतजाम के साथ वो नामांकन करने गए भी थे.