बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं हुए, जिसमें राज्यपाल द्वारा उन्हें जारी किए गए कारण बताओ नोटिस पर चर्चा की गई थी. इस नोटिस में उनसे यह बताने के लिए कहा गया था कि कथित मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) साइट आवंटन घोटाले के संबंध में अभियोजन स्वीकृति क्यों नहीं दी जानी चाहिए.
गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि सिद्धारमैया ने उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार को बैठक की अध्यक्षता करने के लिए अधिकृत किया है. परमेश्वर ने कहा कि चूंकि कैबिनेट को राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा उन्हें जारी किए गए नोटिस पर चर्चा करनी थी, इसलिए मंत्रियों ने मुख्यमंत्री से इसमें शामिल न होने का अनुरोध किया.
उन्होंने कहा कि कैबिनेट की बैठक उनकी (सिद्धारमैया की) अनुपस्थिति में होनी है. परमेश्वर ने कहा, हमने (मंत्रियों ने) उनसे (कैबिनेट बैठक में) शामिल नहीं होने का अनुरोध किया था. उन्होंने कहा कि जब कैबिनेट उन्हें जारी किए गए नोटिस पर चर्चा कर रही हो तो मुख्यमंत्री को उसमें शामिल नहीं होना चाहिए.
गौरतलब है कि MUDA घोटाले में यह आरोप लगाया गया है कि सिद्धारमैया की पत्नी को मैसूर के एक उच्चस्तरीय क्षेत्र में प्रतिपूरक भूखंड आवंटित किया गया था, जिसका संपत्ति मूल्य MUDA द्वारा अधिग्रहित उनकी भूमि के स्थान की तुलना में अधिक था.
MUDA ने पार्वती को 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे, जहां MUDA ने आवासीय लेआउट विकसित किया था. विवादास्पद योजना के तहत, MUDA ने आवासीय लेआउट बनाने के लिए उनसे अधिग्रहित अविकसित भूमि के बदले भूमि खोने वालों को 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित की.
भाजपा नेताओं ने दावा किया है कि MUDA घोटाला 4,000 करोड़ रुपये से 5,000 करोड़ रुपये तक का है. कांग्रेस सरकार ने MUDA घोटाले की जांच के लिए 14 जुलाई को उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी एन देसाई के नेतृत्व में एकल सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया था.
कर्नाटक सरकार ने राज्यपाल को नोटिस वापस लेने की दी सलाह
वहीं दूसरी ओर कर्नाटक सरकार ने गुरुवार को राज्यपाल थावरचंद गहलोत को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को जारी कारण बताओ नोटिस वापस लेने की सलाह दी, जिसमें उनसे पूछा गया था कि कथित मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) साइट आवंटन घोटाले के संबंध में अभियोजन स्वीकृति क्यों नहीं दी जा सकती.
कैबिनेट बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने राज्यपाल के फैसले को लोकतंत्र और संविधान की हत्या बताया. कैबिनेट ने राज्यपाल से नोटिस वापस लेने का आग्रह करने का फैसला किया. डीके शिवकुमार ने कहा कि यहां अभियोजन का कोई मामला नहीं है.