बेंगलुरु: मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) भूमि आवंटन घोटाले की जांच कर रहे ईडी के अधिकारियों ने मैसूर और बेंगलुरु में 9 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की. फिलहाल वे दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं.
इसके साथ ही ही एक ओर जहां लोकायुक्त मुडा मामले की जांच कर रहा है, तो वहीं दूसरी ओर ईडी ने मामला दर्ज कर जांच कर रही है. पिछले शुक्रवार और शनिवार को ही ईडी ने मुडा मामले में करीब 79 घंटे तक दस्तावेजों की जांच की और कुछ महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट अपने साथ ले गए.
हाल ही में मुडा में दस्तावेजों की जांच करने वाले ईडी अधिकारियों को 50:50 अनुपात में बिक्री और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों और वित्तीय लेनदेन की जानकारी मिली. इस बीच ईडी अधिकारियों ने आज बेंगलुरु और मैसूर में बिल्डरों और मुडा के पूर्व अधिकारियों के घरों और कार्यालयों पर छापेमारी की.
बेंगलुरु में ईडी का छापा
जानकारी के मुताबिक ईडी अधिकारियों ने बेंगलुरु के डॉलर्स कॉलोनी, जेपी नगर, सदाशिव नगर और अन्य स्थानों पर एक बिल्डर के आवास पर छापेमारी की और ईडी के अधिकारी दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं.
इससे पहले इस सिलसिले में 18 अक्टूबर को ईडी अधिकारियों ने मैसूर स्थित मुडा कार्यालय समेत कई जगहों पर छापेमारी कर कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए थे. साथ ही शनिवार को बेंगलुरु स्थित ईडी कार्यालय में मुडा के छह अधिकारियों से पूछताछ भी की गई थी. इसी सिलसिले में आज दूसरे चरण की छापेमारी की गई.
आरटीआई कार्यकर्ता गंगाराजू से पूछताछ
मूडा भूमि के अवैध आवंटन के मामले में शिकायतकर्ता आरटीआई कार्यकर्ता गंगाराजू आज ईडी के समक्ष पेश हुए. शांतिनगर स्थित ईडी कार्यालय में पेश हुए गंगाराजू ने जवाब दिया, "मुझे 22 अक्टूबर को जांच में शामिल होने के लिए नोटिस दिया गया था. हालांकि, 23 अक्टूबर को शाम 4 बजे नोटिस मेरे पास पहुंचा, तो मैंने समय मांगा. इसके अनुसार मुझे 24 अक्टूबर को जांच में शामिल होने का निर्देश दिया गया. मैं आज जांच में शामिल हुआ."
उन्होंने बताया कि मैंने कहा कि मामले से संबंधित दस्तावेज में घोटाले सहित 1929 से अब तक के विकास पर हजारों पन्नों के दस्तावेज हैं. ईडी अधिकारियों ने मुझसे व्यक्तिगत दस्तावेज भी मांगे. उन्हें लोकायुक्त पर भरोसा नहीं है, उन्हें ईडी की जांच पर भरोसा है.
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