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रघुवर दास के चुनाव लड़ने के कयासों पर विराम, निशिकांत बोले, सरयू राय पर नेतृत्व का फैसला होगा अंतिम - MP Nishikant Dubey

Jharkhand Politics. रघुवर दास के दोबारा मेन स्ट्रीम पॉलिटिक्स में लौटने के कयासों पर फिलहाल विराम लग गया है. सरयू राय पर भी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व फैसला करेगा. यह बातें गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने कही है.

MP NISHIKANT DUBEY
रघुवर दास, निशिकांत दुबे और सरयू राय की कोलाज तस्वीर (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 1, 2024, 1:21 PM IST

रांचीः ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास के मेन स्ट्रीम पॉलिटिक्स में वापसी के कयासों पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने विराम लगा दिया है. उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि केंद्रीय नेतृत्व ने रघुवर दास जी को ओडिशा का राज्यपाल बनाया है. पहली बार अपने दम पर ओडिशा में हमारी सरकार है. रघुवर जी के पास लंबा राजनीतिक अनुभव है. इसलिए वे ओडिशा सरकार को अपना मार्गदर्शन देते रहेंगे.

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने जमशेदपुर पूर्वी से जदयू प्रत्याशी के तौर पर सरयू राय के चुनाव लड़ने के मसले पर भी तस्वीर साफ कर दी है. उन्होंने कहा है कि इस मसले पर दोनों पार्टी का नेतृत्व, गठबंधन के तहत जो निर्णय लेगा, वहीं अंतिम होगा. साथ ही उन्होंने इस कयास को हेमंत सरकार के भ्रष्टाचार से ध्यान भटकाने की कोशिश बताया है.

दरअसल, 27 सितंबर को असम के मुख्यमंत्री और झारखंड भाजपा के विधानसभा चुनाव सह प्रभारी की भुवनेश्वर स्थित राजभवन में रघुवर दास से मुलाकात के बाद कयासों का बाजार गर्म हुआ था. जमशेदपुर समेत पूरे प्रदेश में इस बात की चर्चा हो रही थी कि रघुवर दास अपनी परंपरागत जमशेदपुर पूर्वी सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं. उनकी इस चाहत के पीछे सरयू राय को कारण माना जा रहा था. क्योंकि जमशेदपुर पूर्वी सीट के जदयू के खाते में जाने की संभावना है. सरयू राय भी इसी सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके हैं.

MP NISHIKANT DUBEY
सांसद निशिकांत दुबे का ट्वीट (ईटीवी भारत)

चर्चा यह भी है कि सरयू राय ने नीतीश कुमार से बातचीत के बाद इसी शर्त पर पिछले दिनों जदयू का दामन थामा था. जमशेदपुर पूर्वी से सरयू राय के चुनाव लड़ने पर कोई पेंच इसलिए भी नहीं दिख रहा था कि उस सीट का लंबे समय से प्रतिनिधित्व करने वाले रघुवर दास अब ओडिशा के राज्यपाल बना दिए गये हैं. लेकिन रघुवर समर्थकों को यह बात नागवार गुजर रही थी. चर्चा है कि इसी का रास्ता तलाशने के लिए 28 सितंबर से ही रघुवर दास दिल्ली में डेरा जमाए हुए थे. वहीं सरयू राय भी दिल्ली पहुंच गये थे. इस कयास पर वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार स्पष्ट कर चुके हैं कि पार्टियां हमेशा लार्जर इंटरेस्ट में फैसला तय करती हैं. सभी जानते हैं कि केंद्र की मोदी सरकार के लिए नीतीश कितने मायने रखते हैं.

जगजाहिर है रघुवर और सरयू की अदावत

रघुवर दास और सरयू राय की अदावत जगजाहिर है. रघुवर कैबिनेट में मंत्री रहने के बावजूद सरयू राय कैबिनेट की मीटिंग में शामिल नहीं होते थे. 2019 के चुनाव के वक्त जमशेदपुर पश्चिमी सीट से सरयू राय को टिकट नहीं मिलने की वजह रघुवर दास को ही माना गया था. इसी वजह से सरयू राय ने बतौर निर्दलीय रघुवर दास के खिलाफ उनकी ही सीट पर ताल ठोक दी थी. तब जमशेदपुर पूर्वी सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी रहने के बावजूद झामुमो ने सरयू राय को समर्थन दिया था. दोनों के बीच अदावत इतनी गहरी रही है कि आए दिन सरयू राय रांची के सिवरेज-ड्रेनेज निर्माण के लिए मेनहर्ट कंपनी के चयन को अवैध बताते हुए रघुवर दास को घेरते रहे हैं.

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भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने जमशेदपुर पूर्वी से जदयू प्रत्याशी के तौर पर सरयू राय के चुनाव लड़ने के मसले पर भी तस्वीर साफ कर दी है. उन्होंने कहा है कि इस मसले पर दोनों पार्टी का नेतृत्व, गठबंधन के तहत जो निर्णय लेगा, वहीं अंतिम होगा. साथ ही उन्होंने इस कयास को हेमंत सरकार के भ्रष्टाचार से ध्यान भटकाने की कोशिश बताया है.

दरअसल, 27 सितंबर को असम के मुख्यमंत्री और झारखंड भाजपा के विधानसभा चुनाव सह प्रभारी की भुवनेश्वर स्थित राजभवन में रघुवर दास से मुलाकात के बाद कयासों का बाजार गर्म हुआ था. जमशेदपुर समेत पूरे प्रदेश में इस बात की चर्चा हो रही थी कि रघुवर दास अपनी परंपरागत जमशेदपुर पूर्वी सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं. उनकी इस चाहत के पीछे सरयू राय को कारण माना जा रहा था. क्योंकि जमशेदपुर पूर्वी सीट के जदयू के खाते में जाने की संभावना है. सरयू राय भी इसी सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके हैं.

MP NISHIKANT DUBEY
सांसद निशिकांत दुबे का ट्वीट (ईटीवी भारत)

चर्चा यह भी है कि सरयू राय ने नीतीश कुमार से बातचीत के बाद इसी शर्त पर पिछले दिनों जदयू का दामन थामा था. जमशेदपुर पूर्वी से सरयू राय के चुनाव लड़ने पर कोई पेंच इसलिए भी नहीं दिख रहा था कि उस सीट का लंबे समय से प्रतिनिधित्व करने वाले रघुवर दास अब ओडिशा के राज्यपाल बना दिए गये हैं. लेकिन रघुवर समर्थकों को यह बात नागवार गुजर रही थी. चर्चा है कि इसी का रास्ता तलाशने के लिए 28 सितंबर से ही रघुवर दास दिल्ली में डेरा जमाए हुए थे. वहीं सरयू राय भी दिल्ली पहुंच गये थे. इस कयास पर वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार स्पष्ट कर चुके हैं कि पार्टियां हमेशा लार्जर इंटरेस्ट में फैसला तय करती हैं. सभी जानते हैं कि केंद्र की मोदी सरकार के लिए नीतीश कितने मायने रखते हैं.

जगजाहिर है रघुवर और सरयू की अदावत

रघुवर दास और सरयू राय की अदावत जगजाहिर है. रघुवर कैबिनेट में मंत्री रहने के बावजूद सरयू राय कैबिनेट की मीटिंग में शामिल नहीं होते थे. 2019 के चुनाव के वक्त जमशेदपुर पश्चिमी सीट से सरयू राय को टिकट नहीं मिलने की वजह रघुवर दास को ही माना गया था. इसी वजह से सरयू राय ने बतौर निर्दलीय रघुवर दास के खिलाफ उनकी ही सीट पर ताल ठोक दी थी. तब जमशेदपुर पूर्वी सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी रहने के बावजूद झामुमो ने सरयू राय को समर्थन दिया था. दोनों के बीच अदावत इतनी गहरी रही है कि आए दिन सरयू राय रांची के सिवरेज-ड्रेनेज निर्माण के लिए मेनहर्ट कंपनी के चयन को अवैध बताते हुए रघुवर दास को घेरते रहे हैं.

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