ग्वालियर: आखिरकार फर्जी पासपोर्ट के जरिए भारत में घुसने के आरोप में पकड़े गए अहमद अल मक्की को अब देश के सबसे बड़े डिटेंशन सेंटर गोलपाड़ा में रखा जाएगा. यह डिटेंशन सेंटर असम में है और देश में मौजूद चार डिटेंशन सेंटर में सबसे बड़ा है. 10 साल पहले ग्वालियर पुलिस ने पड़ाव थाना क्षेत्र के रेलवे स्टेशन बजरिया से अहमद अल मक्की नामक युवक को संदिग्ध हालत में पकड़ा था.
उसने पहले अपने आप को सऊदी अरब का नागरिक बताया था लेकिन सऊदी अरब के दूतावास ने उसके अपने यहां का नागरिक होने के बारे में अभिज्ञता जाहिर की थी. इसके बाद आरोपी अहमद अल मक्की ने अपने आप को बांग्लादेश का नागरिक बताया.
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फर्जी पासपोर्ट से देश में घुसने पर उसे 3 साल की सजा हुई थी. अल मक्की सितंबर 2017 को सजा पूरी होने के बाद पड़ाव थाने में बनाए गए अस्थाई डिटेंशन सेंटर में 9 महीने तक रहा. कलेक्टर के आदेश पर उसे पड़ाव थाने में बनाए डिटेंशन सेंटर में उसे रखा गया था. अलमक्की महालेखाकार कार्यालय के पास स्थित मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए साथ में आए पड़ाव थाने के आरक्षक को चकमा देकर 2018 में भाग निकला था. बाद में उसे हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया. इस मामले में उस पर एक मुकदमा और दर्ज किया गया.
पुलिस कस्टडी से भगाने के आरोप में उसे दोबार सुनाई गई थी 3 साल की सजा
पुलिस अभिरक्षा यानी डिटेंशन सेंटर से भगाने के आरोप में उसे फिर 3 साल की सजा सुनाई गई. उसकी यह सजा भी पूरी हो गई है. लेकिन डीएम यानी कलेक्टर के आदेश पर उसे फिर सेंट्रल जेल में स्थाई डिटेंशन सेंटर बनाकर कारागार भेज दिया गया. इसे अल मक्की के वकील अकरम खान ने चुनौती दी. दायर याचिका में उनका दावा था कि कलेक्टर को अस्थाई डिटेंशन सेंटर बनाने या सजा के बाद जेल में रखने का अधिकार नहीं है. इसका फैसला केंद्र को करना होता है.
अभी तक अहमद अल मक्की की नागरिकता सिद्ध नहीं हो सकी है कि वह किस देश का नागरिक
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के अधिवक्ता और राज्य शासन से इस मामले में 24 घंटे के अंदर जवाब मांगा था. मंगलवार को हुई सुनवाई के बाद न्यायालय ने अहमद अल मक्की को असम के गोलपाड़ा डिटेंशन सेंटर में भेजने के आदेश दिए हैं. खास बात यह है कि अभी तक अहमद अल मक्की की नागरिकता सिद्ध नहीं हो सकी है कि वह आखिर किस देश का नागरिक है.