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उत्तराखंड में वन्यजीव गणना में बड़ा खुलासा, गायब हो गए 600 से अधिक तेंदुए लेकिन हमले बढ़े, जानिये वजह - leopards decreased in Uttarakhand

Leopards Decreased in Uttarakhand, Wildlife Census in Uttarakhand: उत्तराखंड में वन्यजीवों की गणना के बाद तेंदुओं की संख्या में कमी दर्ज की गई है. आंकड़ों में 652 तेंदुए कम हुए हैं. ताजा वन्यजीव गणना के अनुसार अल्मोड़ा जिले में अभी सबसे अधिक तेंदुए हैं. अल्मोड़ा जिले में 272 तेंदुए रिकॉर्ड किए गये हैं.

LEOPARDS DECREASED IN UTTARAKHAND
उत्तराखंड में 652 तेंदुए कम हुए हैं. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 19, 2024, 4:03 PM IST

Updated : Jun 19, 2024, 5:25 PM IST

देहरादून: भारतीय वन्य जीव संस्थान ने उत्तराखंड के जंगलों में नए वन्य जीवों की गणना के आंकड़े जारी किए हैं., जिसमें संस्थान ने पाया कि उत्तराखंड में अचानक से 600 से अधिक तेंदुए गायब हो गए हैं. साल 2024 में की गई गणना के अनुसार उत्तराखंड में 2,776 तेंदुए मौजूद हैं. इसमें सबसे अधिक तेंदुए पौड़ी जिले में पाए गए हैं. राज्य के 13 जनपदों में की गई गणना के बाद अब जो बातें निकलकर सामने आई हैं वो ये बताती है कि तेंदुओं की कमी इसलिए हो जाती है क्योंकि जिस जगह पर बाघों की संख्या अधिक हो वहां से तेंदुए किसी और जगह चले जाते हैं.

गिनती में कम हुए 652 तेंदुए: हर साल उत्तराखंड के जंगलों में वन्य जीव जंतुओं की गणना की जाती है, जिसमें तेंदुए, टाइगर, बाघ, घड़ियाल, हाथी और यहां तक पशु पक्षियों की भी गणना की जाती है. ये गणना राजाजी नेशनल पार्क से लेकर कॉर्बेट नेशनल पार्क और ऊपरी हिमालय में तमाम सेंचुरियों में होती है. हाल ही में की गई तेंदुओं की गणना के बाद यह बात सामने आई है कि राज्य में 652 तेंदुए कम हुए हैं. राज्य में की गई गिनती के बाद यह पता चला है कि-

LEOPARDS DECREASED IN UTTARAKHAND
उत्तराखंड में तेंदुओं की संख्या (ईटीवी भाऱत ग्राफिक्स)
  1. केदारनाथ वन्य क्षेत्र में 138 तेंदुए हैं.
  2. अल्मोड़ा में 272
  3. चंपावत में 169
  4. नैनीताल में 134
  5. नरेंद्र नगर में 129
  6. टिहरी गढ़वाल में 145
  7. और रुद्रप्रयाग में 117 तेंदुए रिकॉर्ड किये गये हैं.

बाघ नहीं चाहता उसकी सल्लनत में आएं तेंदुएं: राजाजी नेशनल पार्क के पूर्व निदेशक सनातन सोनकर कहते हैं यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है. अगर किसी जगह पर तेंदुए की संख्या कम हो रही है तो इस बात की अधिक संभावना है कि वहां बाघ का बसेरा हो सकता है. ये दोनों ही जानवर अत्यधिक सक्रिय हैं. दोनों को ही एक जगह नहीं रखा जा सकता. यह प्रकृति का नियम भी है. बाघ अपने क्षेत्र में किसी तरह का कोई भी हस्तक्षेप नहीं चाहता. यही कारण है कि दूसरे जानवरों को उसके क्षेत्र से जाना पड़ता है.

उत्तराखंड में घातक तेंदुए और बाघ: उत्तराखंड में मानव जाति के लिए सबसे अधिक घातक तेंदुए और बाघ ही हैं. हर महीने उत्तराखंड में किसी न किसी क्षेत्र में यह आदमखोर हो चुके जानवर इंसानी जान ले रहे हैं. वन्य जीव जंतुओं के साथ संघर्ष की घटनाएं प्रदेश के पौड़ी जिले में सबसे अधिक देखने को मिली है.

LEOPARDS DECREASED IN UTTARAKHAND
उत्तराखंड में मानव वन्यजीव संघर्ष के आंकड़े (ईटीवी भाऱत ग्राफिक्स)

क्या कहते हैं आंकड़े: बता दें कि, उत्तराखंड में आए दिन जंगली जानवरों से मानव संघर्ष की घटनाएं सामने आती रहती हैं. यह घटनाएं राज्य में सर्दियों के सीजन में अधिक बढ़ जाती हैं. अब तक के आंकड़ों की बात करें तो जानवर और इंसानों के बीच-

  1. साल 2022 में 407 मानव वन्य जीव संघर्ष के मामले सामने आए.
  2. साल 2022 में ही कुल घटनाओं में 325 लोग घायल हुए, 82 लोगों की जान चली गई.
  3. साल 2023 में 383 मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाएं हुई.
  4. साल 2023 की घटनाओं में 317 लोग घायल हुए, 66 लोगों को जान गंवानी पड़ी.
  5. साल 2024 में अब तक कुल 21 घटनाएं हो चुकी हैं. जिसमें 6 से अधिक लोगों की मौत हुई है.

पढे़ं-

कॉर्बेट नेशनल पार्क में सिमट रही टाइगर की 'सल्तनत', अब पहाड़ों पर पलायन कर रहा 'जंगल का राजा'

उत्तराखंड में बढ़ रहे जंगली जानवरों के हमले, वन्यजीवों के लिए कम पड़ रहे जंगल, फॉरेस्ट केयरिंग कैपेसिटी का होगा अध्ययन

देहरादून: भारतीय वन्य जीव संस्थान ने उत्तराखंड के जंगलों में नए वन्य जीवों की गणना के आंकड़े जारी किए हैं., जिसमें संस्थान ने पाया कि उत्तराखंड में अचानक से 600 से अधिक तेंदुए गायब हो गए हैं. साल 2024 में की गई गणना के अनुसार उत्तराखंड में 2,776 तेंदुए मौजूद हैं. इसमें सबसे अधिक तेंदुए पौड़ी जिले में पाए गए हैं. राज्य के 13 जनपदों में की गई गणना के बाद अब जो बातें निकलकर सामने आई हैं वो ये बताती है कि तेंदुओं की कमी इसलिए हो जाती है क्योंकि जिस जगह पर बाघों की संख्या अधिक हो वहां से तेंदुए किसी और जगह चले जाते हैं.

गिनती में कम हुए 652 तेंदुए: हर साल उत्तराखंड के जंगलों में वन्य जीव जंतुओं की गणना की जाती है, जिसमें तेंदुए, टाइगर, बाघ, घड़ियाल, हाथी और यहां तक पशु पक्षियों की भी गणना की जाती है. ये गणना राजाजी नेशनल पार्क से लेकर कॉर्बेट नेशनल पार्क और ऊपरी हिमालय में तमाम सेंचुरियों में होती है. हाल ही में की गई तेंदुओं की गणना के बाद यह बात सामने आई है कि राज्य में 652 तेंदुए कम हुए हैं. राज्य में की गई गिनती के बाद यह पता चला है कि-

LEOPARDS DECREASED IN UTTARAKHAND
उत्तराखंड में तेंदुओं की संख्या (ईटीवी भाऱत ग्राफिक्स)
  1. केदारनाथ वन्य क्षेत्र में 138 तेंदुए हैं.
  2. अल्मोड़ा में 272
  3. चंपावत में 169
  4. नैनीताल में 134
  5. नरेंद्र नगर में 129
  6. टिहरी गढ़वाल में 145
  7. और रुद्रप्रयाग में 117 तेंदुए रिकॉर्ड किये गये हैं.

बाघ नहीं चाहता उसकी सल्लनत में आएं तेंदुएं: राजाजी नेशनल पार्क के पूर्व निदेशक सनातन सोनकर कहते हैं यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है. अगर किसी जगह पर तेंदुए की संख्या कम हो रही है तो इस बात की अधिक संभावना है कि वहां बाघ का बसेरा हो सकता है. ये दोनों ही जानवर अत्यधिक सक्रिय हैं. दोनों को ही एक जगह नहीं रखा जा सकता. यह प्रकृति का नियम भी है. बाघ अपने क्षेत्र में किसी तरह का कोई भी हस्तक्षेप नहीं चाहता. यही कारण है कि दूसरे जानवरों को उसके क्षेत्र से जाना पड़ता है.

उत्तराखंड में घातक तेंदुए और बाघ: उत्तराखंड में मानव जाति के लिए सबसे अधिक घातक तेंदुए और बाघ ही हैं. हर महीने उत्तराखंड में किसी न किसी क्षेत्र में यह आदमखोर हो चुके जानवर इंसानी जान ले रहे हैं. वन्य जीव जंतुओं के साथ संघर्ष की घटनाएं प्रदेश के पौड़ी जिले में सबसे अधिक देखने को मिली है.

LEOPARDS DECREASED IN UTTARAKHAND
उत्तराखंड में मानव वन्यजीव संघर्ष के आंकड़े (ईटीवी भाऱत ग्राफिक्स)

क्या कहते हैं आंकड़े: बता दें कि, उत्तराखंड में आए दिन जंगली जानवरों से मानव संघर्ष की घटनाएं सामने आती रहती हैं. यह घटनाएं राज्य में सर्दियों के सीजन में अधिक बढ़ जाती हैं. अब तक के आंकड़ों की बात करें तो जानवर और इंसानों के बीच-

  1. साल 2022 में 407 मानव वन्य जीव संघर्ष के मामले सामने आए.
  2. साल 2022 में ही कुल घटनाओं में 325 लोग घायल हुए, 82 लोगों की जान चली गई.
  3. साल 2023 में 383 मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाएं हुई.
  4. साल 2023 की घटनाओं में 317 लोग घायल हुए, 66 लोगों को जान गंवानी पड़ी.
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Last Updated : Jun 19, 2024, 5:25 PM IST
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