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जानिए कौन है वो महायोगी जिनकी बर्फ के फाहों के बीच योग करते हुए वीडियो हो रही वायरल - Yogi Satyendra Nath

Monk Doing Penance Amidst Heavy Snowfall Himachal: सोशल मीडिया पर एक योगी का वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रहा है. ये योगी बर्फ में बैठकर तपस्या कर रहा है. हालांकि कई लोग इसे AI तकनीक से बनाया हुआ वीडियो बता रहे हैं, लेकिन ये वीडियो मंडी जिले की सराज घाटी का है. जिसमें वास्तविकता में एक सिद्धयोगी बादल और धुंध में आसमान से गिरते फाहों के बीच योग साधना में लीन हैं. कौन हैं ये योगी ये जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

Yogi Satyendra Nath
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 21, 2024, 9:37 PM IST

Updated : Feb 22, 2024, 6:17 AM IST

बर्फ के फाहों के बीच योग करते हुए वीडियो हो रही खूब वायरल

मंडी (Himachal Pradesh): इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो खूब वायरल हो रही है जिसमें ऊंची चोटी पर बर्फ के फांहों के बीच में एक महायोगी योग करते हुए दिखाई दे रहे हैं. सोशल मीडिया पर लोग इस वीडियो को खूब वायरल कर जहां इसे सनातन धर्म शक्ति से भी जोड़ा जा रहे हैं तो वहीं, कुछ लोग इसे एआई जेनरेटेड बता रहे हैं. आज हम आपको इस खबर के माध्यम से इस वीडियो की पूरी सच्चाई बताने वाले है. यह वीडियो कुल्लू जिले की सराज घाटी का है और ये फरवरी महीने के शुरुआती हफ्ते का शूट किया गया वीडियो है. जिसमें वास्तविकता में एक सिद्धयोगी बादल और धुंध में आसमान से गिरते फाहों के बीच योग साधना में लीन हैं. इन सिद्ध योगी का नाम सत्येंद्र नाथ है जो मूलतः कुल्लू जिला बंजार के रहने वाले हैं. इनका मंडी जिले के बालीचौकी में कौलान्तक पीठ नाम से आश्रम जहां ये पिछले 20 से 22 वर्षों से योग साधना कर रहे हैं.

ईशपुत्र के नाम से जानते हैं लोग

महायोगी सत्येंद्र नाथ के गुरु ईशनाथ थे उनका शिष्य होने के कारण इनको लोग ईशपुत्र पुकारते हैं. ईशपुत्र हिमालय की सिद्ध परम्परा के योगी हैं. इनका वास्तविक नाम महायोगी सत्येंद्र नाथ है. ये कौलान्तक पीठ के पीठाधीश्वर हैं जो हिमालय के सिद्धों की एकमात्र पीठ है और देव परम्परा को आधार मान कर चलती हैं. ईशपुत्र के चाहने वाले बहुत से देशों में फैले हुए हैं. 8 से भी अधिक देशों में कौलान्तक पीठ योग और देवधर्म का प्रचार करती है. ईशपुत्र क्योंकि एक पीठाधीश्वर हैं तो उनके आसपास सदैव उनके शिष्य रहते हैं. ईशपुत्र हिमालय के योगी हैं तो इनको सदा पहाड़ों, घने जंगलों, नदियों, झरनों पर साधना, ध्यान, समाधी का अभ्यास करते हुए देखा जा सकता हैं.

बाल्यावस्था से ही अभ्यास करते आए हैं महायोगी सत्येंद्र नाथ

बाल्यावस्था से ही अपने एक अन्य गुरु सिद्ध सिद्धांत नाथ जी द्वारा बताये साधना मार्ग का ईशपुत्र अभ्यास कर रहे हैं. अपनी कॉलेज की पढाई पूरी कर ईशपुत्र ने 'कौलान्तक पीठ' के समस्त कार्यों को पूरी तरह से संभाल लिया. लगभग एक माह से साधना अभ्यास कर रहे ईशपुत्र के साथ सराज घाटी के पहाड़ों पर उनको 2 शिष्य भी योग अभ्यास और ध्यान के लिए गए हुए थे. इसी दौरान हिमपात शुरू हो गया और बर्फीला तूफ़ान चलने लगा. चारो ओर बादल और धुंध थी. ऐसे में घबराये शिष्य ईशपुत्र के पास पहुंचते हैं. किन्तु वो उनको गहन ध्यान की अवस्था में पाते हैं और उनके वीडियो अपने मोबाइल में कैद कर लेते हैं. जब ये वीडियो सोशल मीडिया पर आता है तो लोग हैरान रह जाते हैं. अधिकांश को ऐसा लगता है कि ये स्टूडियो में शूट की गई क्लिप है, लेकिन सच्चाई ये हैं कि ये योग साधना की एक झलक है.

Yogi Satyendra Nath
तपस्या में विलीन योगी सत्येंद्र नाथ

शिष्य ने ही बनाया है यह वीडियो

अब रही बात कि ये वीडियो किसने बनाया तो ये राहुल नाम के एक शिष्य ने बनाया है. जो कि ईशपुत्र के सारे वीडियो अपने मोबाइल में कैद करता है, क्योंकि दुनिया भर में फैले शिष्यों तक ईशपुत्र को और ईशपुत्र के संदेशों को पहुंचाने का यही सबसे सरल और आधुनिक माध्यम है. साथ ही इन वीडियो को बनाने के पीछे मकसद नई पीढ़ी के युवाओं को योग, साधना से परिचित करवाना और योग ध्यान के लिए प्रेरित करना भी होता है. इस वीडियो को बनाते समय राहुल के साथ-साथ सावर्णि नाथ नाम के ईशपुत्र के सेवक भी साथ ही थे. ये केवल मात्र एक ही वीडियो नहीं बल्कि पूरे महीने में बहुत से ऐसी वीडियो हैं जिसे देख कर आम आदमी का चौक जाना लाजमी है, लेकिन सत्येंद्र नाथ के अनुसार ये कोई चमत्कार नहीं है. बल्कि अग्नि योग का अभ्यास मात्र है जिसे कोई भी सीख कर और अभ्यास कर संपन्न कर सकता है.

बचपन से ही बर्फ में साधना करते आए हैं योगी सत्येंद्र नाथ

योगी सत्येंद्र नाथ बचपन से ही बर्फ में साधना का अभ्यास कर रहे हैं, इसलिए उनके लिए ये सरल हैं, लेकिन ऐसे पहाड़ों पर जा कर बैठना जानलेवा साबित हो सकता है. हर वर्ष बर्फ और ठण्ड के कारण बहुत से लोगों की जान जाती है. लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं की योग में अद्भुत शक्ति होती है. अभ्यास द्वारा ऐसा किया जा सकता है. लेकिन शरीर को बिना अभ्यास बर्फ के संपर्क में लाना बेहद खतरनाक होता है. इसलिए वर्षो का अभ्यास बहुत जरूरी है.

Yogi Satyendra Nath
तपस्या में विलीन योगी.

क्यों की जाती है हिम में साधना

हिमालय की सिद्ध परंपरा में एक ग्रन्थ है 'श्वेत मेरु कल्प' जो कि हिम में और पर्वतों पर साधना करने की विधियां बताता है. हिमालय के योगियों के लिए हिम एकरूपता, सत्य और शांति का प्रतीक होता है. अपनी कुण्डलिनी ऊर्जा को जागृत कर जटिल हिमालय पर साधना की जाती है. इस ग्रन्थ में कब कहां कैसे? कितने समय? किस योग क्रिया द्वारा योगी को ध्यान करना चाहिए इसका विवरण दिया गया है. प्राणायाम को साधने और सूर्य नाड़ी पर ध्यान करने से साथ ही, अग्नि बीज मंत्र के अभ्यास से योगी कड़कड़ाती ठंड को सहने का अभ्यास करते हैं.

क्या होता है हिम साधना से

हिमालय के सिद्ध योगी अपने पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त करने के उद्देशय से और ध्यान-समाधी की गहराईयों का अनुभव करने के लिए इस तरह की जटिल साधनायें करते हैं. अद्भुत हिमालय की ऊर्जा योगी के लिए समाधी की ओर जाने में अत्यंत सहायक होती है और हिम की शीतलता कुण्डलिनी ऊर्जा को नियंत्रित रखती है.

बर्फ के फाहों के बीच योग करते हुए वीडियो हो रही खूब वायरल

मंडी (Himachal Pradesh): इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो खूब वायरल हो रही है जिसमें ऊंची चोटी पर बर्फ के फांहों के बीच में एक महायोगी योग करते हुए दिखाई दे रहे हैं. सोशल मीडिया पर लोग इस वीडियो को खूब वायरल कर जहां इसे सनातन धर्म शक्ति से भी जोड़ा जा रहे हैं तो वहीं, कुछ लोग इसे एआई जेनरेटेड बता रहे हैं. आज हम आपको इस खबर के माध्यम से इस वीडियो की पूरी सच्चाई बताने वाले है. यह वीडियो कुल्लू जिले की सराज घाटी का है और ये फरवरी महीने के शुरुआती हफ्ते का शूट किया गया वीडियो है. जिसमें वास्तविकता में एक सिद्धयोगी बादल और धुंध में आसमान से गिरते फाहों के बीच योग साधना में लीन हैं. इन सिद्ध योगी का नाम सत्येंद्र नाथ है जो मूलतः कुल्लू जिला बंजार के रहने वाले हैं. इनका मंडी जिले के बालीचौकी में कौलान्तक पीठ नाम से आश्रम जहां ये पिछले 20 से 22 वर्षों से योग साधना कर रहे हैं.

ईशपुत्र के नाम से जानते हैं लोग

महायोगी सत्येंद्र नाथ के गुरु ईशनाथ थे उनका शिष्य होने के कारण इनको लोग ईशपुत्र पुकारते हैं. ईशपुत्र हिमालय की सिद्ध परम्परा के योगी हैं. इनका वास्तविक नाम महायोगी सत्येंद्र नाथ है. ये कौलान्तक पीठ के पीठाधीश्वर हैं जो हिमालय के सिद्धों की एकमात्र पीठ है और देव परम्परा को आधार मान कर चलती हैं. ईशपुत्र के चाहने वाले बहुत से देशों में फैले हुए हैं. 8 से भी अधिक देशों में कौलान्तक पीठ योग और देवधर्म का प्रचार करती है. ईशपुत्र क्योंकि एक पीठाधीश्वर हैं तो उनके आसपास सदैव उनके शिष्य रहते हैं. ईशपुत्र हिमालय के योगी हैं तो इनको सदा पहाड़ों, घने जंगलों, नदियों, झरनों पर साधना, ध्यान, समाधी का अभ्यास करते हुए देखा जा सकता हैं.

बाल्यावस्था से ही अभ्यास करते आए हैं महायोगी सत्येंद्र नाथ

बाल्यावस्था से ही अपने एक अन्य गुरु सिद्ध सिद्धांत नाथ जी द्वारा बताये साधना मार्ग का ईशपुत्र अभ्यास कर रहे हैं. अपनी कॉलेज की पढाई पूरी कर ईशपुत्र ने 'कौलान्तक पीठ' के समस्त कार्यों को पूरी तरह से संभाल लिया. लगभग एक माह से साधना अभ्यास कर रहे ईशपुत्र के साथ सराज घाटी के पहाड़ों पर उनको 2 शिष्य भी योग अभ्यास और ध्यान के लिए गए हुए थे. इसी दौरान हिमपात शुरू हो गया और बर्फीला तूफ़ान चलने लगा. चारो ओर बादल और धुंध थी. ऐसे में घबराये शिष्य ईशपुत्र के पास पहुंचते हैं. किन्तु वो उनको गहन ध्यान की अवस्था में पाते हैं और उनके वीडियो अपने मोबाइल में कैद कर लेते हैं. जब ये वीडियो सोशल मीडिया पर आता है तो लोग हैरान रह जाते हैं. अधिकांश को ऐसा लगता है कि ये स्टूडियो में शूट की गई क्लिप है, लेकिन सच्चाई ये हैं कि ये योग साधना की एक झलक है.

Yogi Satyendra Nath
तपस्या में विलीन योगी सत्येंद्र नाथ

शिष्य ने ही बनाया है यह वीडियो

अब रही बात कि ये वीडियो किसने बनाया तो ये राहुल नाम के एक शिष्य ने बनाया है. जो कि ईशपुत्र के सारे वीडियो अपने मोबाइल में कैद करता है, क्योंकि दुनिया भर में फैले शिष्यों तक ईशपुत्र को और ईशपुत्र के संदेशों को पहुंचाने का यही सबसे सरल और आधुनिक माध्यम है. साथ ही इन वीडियो को बनाने के पीछे मकसद नई पीढ़ी के युवाओं को योग, साधना से परिचित करवाना और योग ध्यान के लिए प्रेरित करना भी होता है. इस वीडियो को बनाते समय राहुल के साथ-साथ सावर्णि नाथ नाम के ईशपुत्र के सेवक भी साथ ही थे. ये केवल मात्र एक ही वीडियो नहीं बल्कि पूरे महीने में बहुत से ऐसी वीडियो हैं जिसे देख कर आम आदमी का चौक जाना लाजमी है, लेकिन सत्येंद्र नाथ के अनुसार ये कोई चमत्कार नहीं है. बल्कि अग्नि योग का अभ्यास मात्र है जिसे कोई भी सीख कर और अभ्यास कर संपन्न कर सकता है.

बचपन से ही बर्फ में साधना करते आए हैं योगी सत्येंद्र नाथ

योगी सत्येंद्र नाथ बचपन से ही बर्फ में साधना का अभ्यास कर रहे हैं, इसलिए उनके लिए ये सरल हैं, लेकिन ऐसे पहाड़ों पर जा कर बैठना जानलेवा साबित हो सकता है. हर वर्ष बर्फ और ठण्ड के कारण बहुत से लोगों की जान जाती है. लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं की योग में अद्भुत शक्ति होती है. अभ्यास द्वारा ऐसा किया जा सकता है. लेकिन शरीर को बिना अभ्यास बर्फ के संपर्क में लाना बेहद खतरनाक होता है. इसलिए वर्षो का अभ्यास बहुत जरूरी है.

Yogi Satyendra Nath
तपस्या में विलीन योगी.

क्यों की जाती है हिम में साधना

हिमालय की सिद्ध परंपरा में एक ग्रन्थ है 'श्वेत मेरु कल्प' जो कि हिम में और पर्वतों पर साधना करने की विधियां बताता है. हिमालय के योगियों के लिए हिम एकरूपता, सत्य और शांति का प्रतीक होता है. अपनी कुण्डलिनी ऊर्जा को जागृत कर जटिल हिमालय पर साधना की जाती है. इस ग्रन्थ में कब कहां कैसे? कितने समय? किस योग क्रिया द्वारा योगी को ध्यान करना चाहिए इसका विवरण दिया गया है. प्राणायाम को साधने और सूर्य नाड़ी पर ध्यान करने से साथ ही, अग्नि बीज मंत्र के अभ्यास से योगी कड़कड़ाती ठंड को सहने का अभ्यास करते हैं.

क्या होता है हिम साधना से

हिमालय के सिद्ध योगी अपने पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त करने के उद्देशय से और ध्यान-समाधी की गहराईयों का अनुभव करने के लिए इस तरह की जटिल साधनायें करते हैं. अद्भुत हिमालय की ऊर्जा योगी के लिए समाधी की ओर जाने में अत्यंत सहायक होती है और हिम की शीतलता कुण्डलिनी ऊर्जा को नियंत्रित रखती है.

Last Updated : Feb 22, 2024, 6:17 AM IST
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