रांची: रविवार को रांची के प्रेस क्लब सभागार में गैरसरकारी संस्था कॉमन कॉज, सतर्क नागरिक संगठन और लोकतंत्र बचाओ अभियान के तहत इलेक्टोरल बांड्स और राजनीतिक दल विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया. इस सेमिनार में सर्वोच्च न्यायालय के प्रख्यात अधिवक्ता प्रशांत भूषण, कॉमन कॉज से जुड़ीं समाजसेवी अंजली भारद्वाज और लोकतंत्र बचाओ अभियान से जुड़ीं एलिना ने शिरकत की. इसके अलावा समाज के अलग-अलग वर्गों के लोगों की भी इसमें भागीदारी रही.
सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स को काला धन सफेद करने का सबसे बड़ी योजना बताया. उन्होंने कहा कि झारखंड 12वां राज्य है जहां आकर वह इस तरह के कार्यक्रम कर रहे हैं. उनका मकसद है कि देश के हर राज्य के लोग यह जान सकें कि कैसे मोदी सरकार ने देश का सबसे बड़ा घोटाला इलेक्टोरल बॉन्ड्स के नाम पर किया है. इसके साथ ही उन्होंने इस मामले की जांच की मांग भी उठाई.
सर्वोच्च न्यायालय के रिटायर जज की देखरेख में SIT द्वारा हो मामले की जांच
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि जब यह साफ हो गया है कि पॉलिटिकल पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड्स के माध्यम से मिलने वाला चंदा जबरन वसूली, चंदा के बदले में लाभ देने, मनी लॉन्ड्रिंग के साधन के रूप में इस्तेमाल बनकर रह गया. ऐसे में अब बहुत जरूरी है कि पूरे मामले की जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
प्रशांत भूषण ने कहा कि उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है कि सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में एसआईटी का गठन कर मामले की जांच कराई जाए. इसके साथ साथ इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को मिली रकम वापस कराई जाए और जो भी दोषी हों उनपर कानूनी प्रावधान के तहत कार्रवाई हो. प्रशांत भूषण ने कहा कि कॉमन कॉज और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की ओर दायर याचिका पर सुनवाई होनी है.
राजनीति दलों को भी RTI के दायरे में लाया जाए
सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि 2013 में ही सेंट्रल इनफार्मेशन कमीशन द्वारा राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार के दायरे में लाने का निर्देश दिए जाने के बावजूद आज तक यह संभव नहीं हो पाया है. ऐसे में इसके लिए भी वह सर्वोच्च न्यायालय की शरण में गए हैं ताकि राजनीतिक दल भी सूचना के अधिकार के दायरे में आ सकें. भ्रष्टाचार पर रोक के लिए बहुत जरूरी है कि राजनीतिक दलों की लेनदेन नकदी से करने पर पूरी तरह रोक लगा दी जाए. ब्राजील की सूप्रीम कोर्ट ने किसी भी कंपनी से पॉलिटिकल पार्टियों के चंदा लेने पर रोक लगा दी है, कोई व्यक्ति ही चंदा दे सकता है.
जो लोग बीजेपी में शामिल हो गए उनपर ED की कार्रवाई धीमी पड़ गयी
सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने अंग्रेजी समाचार पत्र का हवाला देते हुए कहा कि विपक्षी दलों के 25 नेताओं पर ईडी की कार्रवाई चल रही थी. जब ये भाजपा में शामिल हुए तो इन 23 नेताओं पर ईडी की कार्रवाई या तो बंद हो गयी या फिर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. पीएम मोदी के बयान पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि आज पीएम अडाणी-अंबानी का नाम लेकर कांग्रेस पर आरोप लगा रहे हैं. सब जानते हैं कि अडाणी को फायदा कौन पहुंचा रहा है. प्रज्ज्वल रेवन्ना के मामले में सब जानते हुए भी पीएम उनके लिए वोट मांगते हैं.
मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है इलेक्टोरल बॉन्ड्स के तार- अंजली भारद्वाज
कॉमन कॉज और सतर्क नागरिक संगठन से जुड़ीं समाजसेवी अंजली भारद्वाज ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाला में जो तथ्य आए हैं, उससे साफ पता चलता है कि यह मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा मामला है. चंदा देने वाली 33 कंपनियां ऐसी हैं जिनका नेट एग्रीगेट लॉस 01 लाख करोड़ से अधिक का था. इसके बावजूद इन कंपनियों ने 575 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे और उसका 75 प्रतिशत चंदा भाजपा को गया.
समाजसेवी अंजली भारद्वाज ने कहा कि यह कैसे संभव है, क्या कंपनियों की आड़ में किसी और का पैसा राजनीतिक दलों को देकर काला धन को सफेद किया जा रहा था? यह बड़ा सवाल है. अंजली भारद्वाज ने कहा कि नियम को ताक पर रखकर नई-नई कंपनी बनाकर चंदा दिया गया तो जबरन चंदा भी लिया गया.
भारत निर्वाचन आयोग को खुला पत्र
इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य नेताओं के द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान देश के अन्य हिस्सों के साथ साथ झारखंड में भी नफरती भाषण देने, पीएम के गुमला और पलामू में दिए गए भाषणों पर कार्रवाई की मांग को अनसुना करने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया गया. इसको लेकर लोकतंत्र बचाओ अभियान 2024 से जुड़ीं एलिना ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त के नाम खुला पत्र को पढ़ा और आयोग से नियमानुसार कार्रवाई करने की मांग की.