कोलकाता : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को कोलकाता की एक स्पेशल पीएमएलए कोर्ट को बताया कि प्रसन्ना रॉय ने पश्चिम बंगाल में पैसे के बदले स्कूलों में नौकरी घोटाले के तहत बिचौलिए के रूप में 72 करोड़ रुपये जुटाए थे.
ईडी ने प्रसन्ना रॉय और उनके परिवार के सदस्यों के छह साल के दौरान विभिन्न बैंक खातों में जमा राशि का मिलान किया. इसके बाद जांच एजेंसी इस निष्कर्ष पर पहुंची. ईडी ने प्रसन्ना रॉय की पहचान एक प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में की है.
प्रसन्ना रॉय राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की भतीजी के पति हैं. इस मामले में पार्थ चटर्जी दो साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं. ईडी ने कोर्ट को यह भी बताया, 'प्रसन्ना रॉय ने राज्य शिक्षा विभाग और उससे संबद्ध निकाय जैसे पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) और पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीपीई) में एक नेटवर्क विकसित किया था, जिसका इस्तेमाल उन्होंने बड़ी रकम के बदले अयोग्य उम्मीदवारों के लिए स्कूल में नौकरियां दिलाने के लिए किया था.' प्रसन्ना रॉय को सबसे पहले सीबीआई ने गिरफ्तार किया था.
बाद में प्रसन्ना रॉय सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत पाने में कामयाब रहे. हालांकि, बाद में उन्हें ईडी ने गिरफ्तार किया था. जब सीबीआई ने प्रसन्ना रॉय के खिलाफ जांच शुरू की, तो एजेंसी के अधिकारी 2014 से 2020 के बीच उनकी संपत्ति में जबरदस्त उछाल देखकर हैरान रह गए। यह वही दौर था जब कथित शिक्षक भर्ती घोटाला फल-फूल रहा था. उन्होंने एक छोटे से हाउस पेंटिंग ठेकेदार के रूप में शुरुआत की. उन्होंने अपने बिजनेस को धीरे-धीरे अन्य क्षेत्रों जैसे- हॉलीडे रिसॉर्ट्स और यहां तक कि उत्तर बंगाल में चाय बागानों तक फैलाया.