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देश में 'डिजिटल अरेस्ट' के मामले बढ़े, अलर्ट जारी, सरकार ने लोगों की यह अपील - MHA Alert Over Digital Arrest

MHA Alert Over Digital Arrest: ऑनलाइन धोखाधड़ी के लिए नवीनतम कार्यप्रणाली 'डिजिटल अरेस्ट' पर ईटीवी भारत की ओर से खबर प्रकाशित करने के कुछ दिनों बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अलर्ट जारी किया है. जिसमें पीड़ित लोगों से तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 या www.cybercrime.gov.in पर घटना को रिपोर्ट करने को कहा गया है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

MHA ALERT OVER DIGITAL ARREST
'डिजिटल अरेस्ट' पर अलर्ट जारी (फोटो- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 14, 2024, 6:07 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 'डिजिटल अरेस्ट' को संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध बताया है और मंगलवार को ऐसे अपराध के खिलाफ देशव्यापी अलर्ट जारी किया है. गृह मंत्रालय के मुताबिक, सीमा पार बैठे आपराधी इस सिंडिकेट को संचालित कर रहे हैं. मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इन आपराधियों के कारण देश भर में कई पीड़ितों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. यह संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध है और ऐसा पता चला है कि सीमा पार बैठे अपराधी गिरोह द्वारा संचालित किया जा रहा है.

दरअसल, कुछ दिन पहले ही ईटीवी भारत ने एक खबर प्रकाशित की थी कि कैसे ऑनलाइन क्राइम सिंडिकेट और जालसाज 'डिजिटल अरेस्ट' के जरिए लोगों के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं. अब गृह मंत्रालय ने नागरिकों से इस प्रकार की धोखाधड़ी के बारे में सतर्क रहने और जागरूकता फैलाने की अपील की है. बयान में कहा गया है कि फ्रॉड कॉल आने पर नागरिकों को तुरंत सहायता के लिए साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 या www.cybercrime.gov.in पर घटना की सूचना देनी चाहिए.

नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर साइबर अपराधियों द्वारा धमकी, ब्लैकमेल, जबरन वसूली और 'डिजिटल अरेस्ट' के संबंध में बड़ी संख्या में शिकायतें दर्ज कराई जा रही हैं. ये अपराधी खुद को पुलिस, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), नारकोटिक्स विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), प्रवर्तन निदेशालय और अन्य जांच एजेंसियों के अधिकारी बताते हैं और लोगों से जबरन वसूली करते हैं. गृह मंत्रालय ने कहा कि साइबर अपराधी आम तौर पर लोगों को फोन करते हैं और बताते हैं कि उसने पार्सल भेजा है या वह ऐसा पार्सल रिसीव किया है, जिसमें अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या कोई अन्य प्रतिबंधित वस्तु है.

मंत्रालय के मुताबिक, कभी-कभी अपराधी लोगों को यह भी बताते हैं कि उनका कोई करीबी या खास व्यक्ति किसी अपराध में शामिल पाया गया है और उनकी हिरासत में है. 'केस' में समझौता करने के लिए पैसे की मांग की जाती है. कुछ मामलों में पीड़ितों को 'डिजिटल अरेस्ट' से गुजरना पड़ता है और जब तक अपराधियों की मांग पूरी नहीं हो जाती, तब तक वे स्काइप या अन्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म पर उनसे जुड़े रहते हैं. धोखाधड़ी करने वाले लोग पुलिस स्टेशन और सरकारी कार्यालयों की तर्ज पर बने स्टूडियो का इस्तेमाल करते हैं और असली दिखने के लिए वर्दी पहनते हैं.

गृह मंत्रालय के अधीन भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) देश में साइबर अपराध से निपटने से संबंधित गतिविधियों पर नजर रखता है. बयान में कहा गया है कि गृह मंत्रालय साइबर धोखाधड़ी से निपटने के लिए अन्य मंत्रालयों और उनकी एजेंसियों, आरबीआई और अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर काम कर रहा है. I4C मामलों की पहचान और जांच के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस अधिकारियों को इनपुट और तकनीकी सहायता भी प्रदान कर रहा है.

1,000 से अधिक स्काइप आईडी ब्लॉक किए गए
आंकड़ों के मुताबिक, I4C ने माइक्रोसॉफ्ट के साथ मिलकर ऐसी गतिविधियों में शामिल 1,000 से अधिक स्काइप आईडी को भी ब्लॉक कर दिया है. I4C ऐसे अपराधियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले सिम कार्ड, मोबाइल उपकरण और मूल खातों को ब्लॉक करने की सुविधा भी दे रहा है. I4C ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'साइबरडोस्ट' पर इन्फोग्राफिक्स और वीडियो के माध्यम से विभिन्न अलर्ट भी जारी किए हैं.

ये भी पढ़ें- 'डिजिटल हाउस अरेस्ट', कहीं अगला नंबर आपका तो नहीं? सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी बना बुरा सपना

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 'डिजिटल अरेस्ट' को संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध बताया है और मंगलवार को ऐसे अपराध के खिलाफ देशव्यापी अलर्ट जारी किया है. गृह मंत्रालय के मुताबिक, सीमा पार बैठे आपराधी इस सिंडिकेट को संचालित कर रहे हैं. मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इन आपराधियों के कारण देश भर में कई पीड़ितों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. यह संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध है और ऐसा पता चला है कि सीमा पार बैठे अपराधी गिरोह द्वारा संचालित किया जा रहा है.

दरअसल, कुछ दिन पहले ही ईटीवी भारत ने एक खबर प्रकाशित की थी कि कैसे ऑनलाइन क्राइम सिंडिकेट और जालसाज 'डिजिटल अरेस्ट' के जरिए लोगों के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं. अब गृह मंत्रालय ने नागरिकों से इस प्रकार की धोखाधड़ी के बारे में सतर्क रहने और जागरूकता फैलाने की अपील की है. बयान में कहा गया है कि फ्रॉड कॉल आने पर नागरिकों को तुरंत सहायता के लिए साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 या www.cybercrime.gov.in पर घटना की सूचना देनी चाहिए.

नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर साइबर अपराधियों द्वारा धमकी, ब्लैकमेल, जबरन वसूली और 'डिजिटल अरेस्ट' के संबंध में बड़ी संख्या में शिकायतें दर्ज कराई जा रही हैं. ये अपराधी खुद को पुलिस, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), नारकोटिक्स विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), प्रवर्तन निदेशालय और अन्य जांच एजेंसियों के अधिकारी बताते हैं और लोगों से जबरन वसूली करते हैं. गृह मंत्रालय ने कहा कि साइबर अपराधी आम तौर पर लोगों को फोन करते हैं और बताते हैं कि उसने पार्सल भेजा है या वह ऐसा पार्सल रिसीव किया है, जिसमें अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या कोई अन्य प्रतिबंधित वस्तु है.

मंत्रालय के मुताबिक, कभी-कभी अपराधी लोगों को यह भी बताते हैं कि उनका कोई करीबी या खास व्यक्ति किसी अपराध में शामिल पाया गया है और उनकी हिरासत में है. 'केस' में समझौता करने के लिए पैसे की मांग की जाती है. कुछ मामलों में पीड़ितों को 'डिजिटल अरेस्ट' से गुजरना पड़ता है और जब तक अपराधियों की मांग पूरी नहीं हो जाती, तब तक वे स्काइप या अन्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म पर उनसे जुड़े रहते हैं. धोखाधड़ी करने वाले लोग पुलिस स्टेशन और सरकारी कार्यालयों की तर्ज पर बने स्टूडियो का इस्तेमाल करते हैं और असली दिखने के लिए वर्दी पहनते हैं.

गृह मंत्रालय के अधीन भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) देश में साइबर अपराध से निपटने से संबंधित गतिविधियों पर नजर रखता है. बयान में कहा गया है कि गृह मंत्रालय साइबर धोखाधड़ी से निपटने के लिए अन्य मंत्रालयों और उनकी एजेंसियों, आरबीआई और अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर काम कर रहा है. I4C मामलों की पहचान और जांच के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस अधिकारियों को इनपुट और तकनीकी सहायता भी प्रदान कर रहा है.

1,000 से अधिक स्काइप आईडी ब्लॉक किए गए
आंकड़ों के मुताबिक, I4C ने माइक्रोसॉफ्ट के साथ मिलकर ऐसी गतिविधियों में शामिल 1,000 से अधिक स्काइप आईडी को भी ब्लॉक कर दिया है. I4C ऐसे अपराधियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले सिम कार्ड, मोबाइल उपकरण और मूल खातों को ब्लॉक करने की सुविधा भी दे रहा है. I4C ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'साइबरडोस्ट' पर इन्फोग्राफिक्स और वीडियो के माध्यम से विभिन्न अलर्ट भी जारी किए हैं.

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