नई दिल्ली : विदेश मंत्रालय (एमईए) ने जद (एस) के निलंबित सांसद प्रज्वल रेवन्ना को कारण बताओ नोटिस भेजकर पूछा है कि उनका राजनयिक पासपोर्ट रद्द क्यों नहीं किया जाना चाहिए जैसा कि कर्नाटक सरकार ने मांग की थी. मामले से परिचित लोगों ने शुक्रवार को बताया कि उनके खिलाफ यौन शोषण के आरोप लगाए गए हैं.
आधिकारिक सूत्रों ने गुरुवार को कहा था कि विदेश मंत्रालय प्रज्वल का राजनयिक पासपोर्ट रद्द करने के कर्नाटक सरकार के अनुरोध पर कार्रवाई कर रहा है. माना जा रहा है कि वह फिलहाल जर्मनी में हैं. सूत्रों ने कहा कि प्रज्वल को उसका पासपोर्ट रद्द करने के लिए शुरू की गई प्रक्रिया के तहत कारण बताओ नोटिस भेजा गया है.
पता चला है कि कारण बताओ नोटिस ईमेल के जरिए भेजा गया था. एचडी देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल सामूहिक यौन शोषण मामले के केंद्र में हैं. हासन सांसद ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होने के एक दिन बाद 27 अप्रैल को भारत छोड़ दिया.
यह पता चला है कि विदेश मंत्रालय पासपोर्ट अधिनियम 1967 के प्रावधानों के साथ-साथ संबंधित नियमों के तहत प्रज्वल के राजनयिक पासपोर्ट को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर रहा है.
मामले से परिचित एक व्यक्ति ने कहा, अगर पासपोर्ट रद्द कर दिया जाता है तो प्रज्वल का विदेश में रहना अवैध होगा और जिस देश में वह रह रहा है, वहां के संबंधित अधिकारियों द्वारा उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.
सिद्धारमैया ने पीएम को लिखा था पत्र : बुधवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दूसरा पत्र लिखकर प्रज्वल का राजनयिक पासपोर्ट रद्द करने के लिए 'त्वरित और आवश्यक' कार्रवाई करने का आग्रह किया. मुख्यमंत्री ने ऐसा ही एक पत्र एक मई को प्रधानमंत्री को भेजा था. प्रज्वल के खिलाफ यौन शोषण के आरोपों की जांच के लिए कर्नाटक सरकार ने विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है. एसआईटी ने एक स्थानीय अदालत द्वारा उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाने के बाद उसका राजनयिक पासपोर्ट रद्द करने के लिए विदेश मंत्रालय को लिखा था. एसआईटी के अनुरोध के बाद इंटरपोल द्वारा रेवन्ना के ठिकाने के बारे में जानकारी मांगने वाला 'ब्लू कॉर्नर नोटिस' पहले ही जारी किया जा चुका है.
इस महीने की शुरुआत में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा था कि प्रज्वल ने राजनयिक पासपोर्ट पर जर्मनी की यात्रा की और उन्होंने यात्रा के लिए राजनीतिक मंजूरी नहीं मांगी.